विविधता में एकता का संदेश, हिंदू-मुस्लिम परिवार ने एक-दूसरे को दी किडनी
पंजाब के मोहाली से विविधता में एकता की बात साबित करने वाला एक मामला सामने आया है। यहां के एक अस्पताल में बिहार के रहने वाले एक दंपत्ति ने कश्मीर के दंपत्ति के साथ अपनी किडनी बदली है। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद दोनों परिवार स्वस्थ जिंदगी बिता रहे हैं। धर्म के आधार पर भेदभाव की बात करने वाले लोगों के लिए यह मामला एक मिसाल है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
इंटरनेट के जरिए मिले दोनों परिवार
बिहार के रहने वाली सुजीत कुमार की पत्नी की किडनी खराब थी। वहीं कश्मीर के रहने वाले अब्दुल अजीज की किडनी में खराबी थी। दोनों परिवारों ने iKidney ऐप पर अपनी जरूरतें डाली हुई थीं, जहां पर उनके बीच संपर्क हुआ। इसके बाद सुजीत कुमार ने अपनी किडनी अब्दुल को दी और अब्दुल की पत्नी शाजिया ने अपनी किडनी सुजीत की पत्नी मंजुला को दी। इस ऑपरेशन पर हर दंपत्ति का छह लाख रुपये खर्च आया है।
अस्पताल ने करवाई दोनों परिवारों में मुलाकात
भारतीय वायुसेना से रिटायर सार्जेंट सुजीत ने बताया, "मैंने किडनी ट्रांसप्लांट ऐप पर रजिस्टर किया था। अस्पताल से फोन आया और हमें बताया कि हमारे मैच की किडनी मिल गई है। हम लोग अस्पताल आए और अब्दुल के परिवार से मिले। इसके बाद ट्रांसप्लांट हुआ।"
धर्म कभी मुद्दा नहीं बना- मंजुला
अब्दुल ने कहा कि वो इंटरनेट पर किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में खोज रहे थे, तभी इस परिवार से संपर्क हुआ। दंपत्ति ने बताया कि उनका अलग-अलग धर्म से होना उनके बीच कभी कोई मुद्दा नहीं बना। सुजीत की पत्नी मंजुला ने कहा कि जिंदगी पहली आती है और उसके बाद धर्म होता है। ट्रिब्यून के मुताबिक, सुजीत ने कहा कि धर्म मायने नहीं रखता। हिंदू हो या मुस्लिम, सबकी किडनी एक जैसी होती है।
इंसान, इंसान होता है- अब्दुल
बारामूला के रहने वाले अब्दुल ने कहा कि कश्मीर में हिंदू-मुस्लिम जैसी कोई चीज नहीं है। मुस्लिमों की खुशियों में हिंदू भाग लेते हैं और हिंदूओं की खुशी में मुस्लिम भाग लेते हैं। इंसान, इंसान होता है।
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद करीब आए दोनों परिवार
किडनी ट्रांसप्लांट ने दोनों परिवारों को करीब ला दिया है। अब्दुल ने कहा, "हम अब अकसर एक-दूसरे से फोन पर बात कर हाल पूछते रहते हैं।" वहीं सुजीत ने बताया, "अब्दुल ने मुझे कश्मीर बुलाया है और हमने उन्हें पटना बुलाया है। हम किसी दिन कश्मीर जाएंगे।" इस ट्रांसप्लांट को अंजाम देने वाले डॉक्टर प्रियदर्शी रंजन ने कहा कि उनके अस्पताल में यह ऐसा पहला मामला है। इससे विविधता में एकता का संदेश गया है।