
बिहार के पटना में 'डॉग बाबू' नाम के कुत्ते ने बनवा लिया आवासीय प्रमाणपत्र, जांच शुरू
क्या है खबर?
बिहार की राजधानी पटना में एक कुत्ते के नाम से आवासीय प्रमाणपत्र जारी हुआ है, जिससे हड़कंप मच गया है। मसौढ़ी अंचल में 'डॉग बाबू' नाम से प्रमाणपत्र जारी हुआ है, जिसमें पिता का नाम 'कुत्ता बाबू' और मां का नाम 'कुतिया देवी' लिखा है। प्रमाणपत्र में फोटो के स्थान पर कुत्ते की तस्वीर लगी हुई है। प्रमाणपत्र 24 जुलाई को जारी किया गया है। मामले को लेकर सरकार की गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं।
ट्विटर पोस्ट
सोशल मीडिया पर बन रहा मजाक
वोटर का नाम - Dog बाबू
— Priyanka Bharti (@priyanka2bharti) July 27, 2025
पिता का नाम - कुत्ता बाबू
घर का पता - मसौढ़ी
तो अब Dog बाबू बिहार चुनाव में वोट दे सकते हैं?
इनके पास तो आवासीय है और ये 11 डॉक्यूमेंट के सूची में शामिल है!
कुत्ते वोट देंगे लेकिन दलितों, पिछड़ो, आदिवासियों, गरीबों और मुस्लिमों से ECI को दिक्कत है! pic.twitter.com/H3xtCjvmdy
जवाब
मामले पर जिला प्रशासन ने दिया जवाब
सोशल मीडिया पर जब सरकार और प्रशासन की किरकिरी होने लगी तो पटना जिला प्रशासन ने इसका जवाब दिया है। एक्स पर लिखा, 'मसौढ़ी अंचल में डॉग बाबू के नाम से निवास प्रमाणपत्र रद्द कर दिया गया है। आवेदक, कंप्यूटर ऑपरेटर एवं प्रमाण पत्र निर्गत करने वाले पदाधिकारी के विरुद्ध FIR दर्ज की जा रही है। अनुमंडल पदाधिकारी, मसौढ़ी को विस्तृत जांच कर 24 घंटे में रिपोर्ट सौंपने को कहा है। दोषी कर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी।'
ट्विटर पोस्ट
जिला प्रशासन ने दिया जवाब
मसौढ़ी अंचल में ‘डॉग बाबू' के नाम से निवास प्रमाण पत्र निर्गत करने का मामला प्रकाश में आया है। मामला संज्ञान में आते ही उक्त निवास प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया है।
— District Administration Patna (@dm_patna) July 28, 2025
साथ ही आवेदक, कंप्यूटर ऑपरेटर एवं प्रमाण पत्र निर्गत करने वाले पदाधिकारी के विरुद्ध स्थानीय थाना में प्राथमिकी… pic.twitter.com/POxB4nXFch
विवाद
राजनीतिक विवाद गहराया
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव है। इससे पहले चुनाव आयोग मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) करवा रहा है, जिसको लेकर राजनीतिक घमासान छिड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि आयोग पुनरीक्षण के दौरान आधार और राशन कार्ड को नहीं बल्कि आवास प्रमाणपत्र को मान्य कर रहा है, ऐसे में ऐसे आवास प्रमाणपत्र की जानकारी सामने आने पर राजनीतिक विवाद गहरा गया है। बिहार में SIR के तहत 65 लाख मतदाताओं के नाम कट सकते हैं।