
हैदराबाद में फर्जी सेरोगेसी का क्या मामला है और कैसे नि:संतान दंपतियों से होती थी ठगी?
क्या है खबर?
हैदराबाद पुलिस ने सिकंदराबाद शहर में एक अवैध सरोगेसी और शुक्राणु तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने सेरोगेसी के नाम पर किसी दूसरे का बच्चा देने की शिकायत के आधार पर रेजिमेंटल बाजार स्थित यूनिवर्सल सृष्टि प्रजनन केंद्र पर दबिश देकर वहां की प्रबंधक डॉ अथलुरी नम्रता समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अब आराेपियों से पूछताछ कर ठगी का शिकार बनाए गए अन्य लोगों का भी पता लगाने का प्रयास कर रही है।
प्रकरण
क्या है फर्जी सेरोगेसी का मामला?
हैदराबाद उत्तर की पुलिस उपायुक्त (DCP) रश्मि पेरुमल ने बताया कि राजस्थान निवासी एक नि:संतान दंपत्ति ने 26 जुलाई को गोपालपुरम पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि व्यावसायिक सरोगेसी के जरिए सृष्टि प्रजनन केंद्र द्वारा दिए गए बच्चे से उनका कोई भी जैविक संबंध नहीं है। दिल्ली में कराई गई स्वतंत्र DNA जांच के जरिए इसकी पुष्टि हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने सेरोगेसी के लिए क्लिनिक को 35 लाख रुपये का भुगतान किया था।
जानकारी
क्लिनिक प्रबंधन ने नहीं कराया था DNA टेस्ट
DCP के अनुसार, दंपत्ति ने बच्चा मिलने के बाद DNA सत्यापन की मांग की, लेकिन डॉ सृष्टि ने टाल दिया। दिल्ली में DNA में सच्चाई सामने आने के बाद डॉ सृष्टि ने रिपोर्ट के गलत होने की बात कही और बाद में फरार हो गई।
कार्रवाई
पुलिस ने क्या की कार्रवाई?
DCP पेरुमल ने बताया कि पुलिस ने रविवार को अस्पताल पर दबिश देकर मुख्य आरोपी डॉ नम्रता (64), पैसों का प्रबंधन करने वाले उनके बेटे पी जयंत कृष्णा (25), सरकारी गांधी अस्पताल के एनेस्थेटिस्ट डॉ नरगुला सदानंदम (41), नर्सिंगकर्मी सी कल्याणी अच्चय्याम्मा (40), जी चेन्नाराव (37) और एजेंट धनश्री संतोषी समेत 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इन सभी पर सरोगेसी के नाम पर ग्राहकों को ठगने और बच्चों की तस्करी का रैकेट चलाने का मामला दर्ज किया गया है।
अवैध
डॉ सृष्टि ने अवैध रूप से संचालित किए थे 3 केंद्र
DCP पेरुमल ने बताया कि डॉ सृष्टि का लाइसेंस साल 2021 में ही निलंबित कर दिया गया था, लेकिन उसके बाद भी वह सिंकदराबाद के अलावा कोंडापुर (हैदराबाद), विजयवाड़ा और विशाखापट्टनम में भी अवैध रूप से प्रजनन केंद्र संचालित कर रही थी। पुलिस ने इन सभी पर भी छापेमारी की है। DCP ने बताया कि आरोपी डॉक्टर और उसके क्लिनिक के खिलाफ पहले भी विशाखापट्टनम, हैदराबाद और गुंटूर में 10 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे।
ठगी
कैसे की जा रही थी दंपतियों से ठगी?
DCP पेरुमल ने बताया कि यह कानूनी सरोगेसी का मामला नहीं है। डॉ नम्रता और उनके कर्मचारी पैसे का लालच देकर गरीब गर्भवती महिलाओं से खरीदे गए शिशुओं को मोटा पैसा लेकर निःसंतान दंपत्तियों को सेरोगेसी के नाम पर बेच रहे थे। उन्होंने बताया कि ताजा मामले में गिरोह ने असम निवासी गरीब दंपति मोहम्मद अली आदिक (38) और नसरीन बेगम (25) से 90,000 रुपये में बच्चा खरीदा था। पुलिस ने उन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया है।
अनुबंध
पीड़ित दंपति ने अगस्त 2024 में किया था सेरोगेसी के लिए अनुबंध
DCP पेरुमल के अनुसार, पीड़ित दंपति ने अगस्त 2024 में डॉ नम्रता से संपर्क किया था। जांच के बाद डॉ नम्रता ने उन्हें सरोगेसी का विकल्प चुनने की सलाह दी। उन्हें आश्वासन दिया कि क्लिनिक द्वारा सरोगेट का प्रबंध किया जाएगा और उनके भ्रूण का प्रत्यारोपण किया जाएगा। 9 महीनों की अवधि में दंपति ने परामर्श, उपचार और सरोगेट देखभाल के लिए कुल 35 लाख रुपये का भुगतान किया। इस दौरान उन्हें गर्भावस्था की पूरी जानकारी भी दी गई।
प्रसव
जून 2025 में हुआ प्रसव
DCP पेरुमल ने बताया कि जून 2025 में दंपति को बताया गया कि सरोगेट मां ने विशाखापट्टनम में लड़के को जन्म दिया है। बच्चे की कस्टडी लेने से पहले उनसे 2 लाख रुपये का अतिरिक्त डिलीवरी शुल्क देने को कहा गया। उसके बाद विशाखापत्तनम में बच्चे को कुछ दस्तावेजों के साथ दंपति को सौंप दिया गया। उन्होंने बताया कि दस्तावेजों में एक जन्म प्रमाण पत्र और बच्चा जैविक रूप से उनका ही होने का शपथ पत्र शामिल था।
सील
पुलिस ने सील किया प्रजनन केंद्र
DCP पेरुमल ने बताया कि कार्रवाई के बाद प्रजनन केंद्र को सील कर दिया गया है। वहां बरामद उपकरणों से पुष्टि होती है कि आरोपी बिना लाइसेंस के IVF उपचार, जीवित भ्रूण निर्माण और चिकित्सा प्रक्रियाएं कर रहे थे। हैदराबाद के जिला चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी (DMHO) डॉ जे वेंकट ने कहा, "निरीक्षण के दौरान क्लिनिक बंद मिलता था। बाद में पता चला कि यहां मरीज गुप्त रूप से आ रहे थे। अब विभागीय कार्रवाई भी शुरू की गई है।
पृष्ठभूमि
डॉ नम्रता के खिलाफ पहले भी दर्ज हो चुके हैं मामले
DCP पेरुमल के अनुसार, डॉ नम्रता साल 2016 और 2020 में भी जांच के घेरे में आई थीं। 2016 में तेलंगाना मेडिकल काउंसिल ने उनका लाइसेंस 5 साल के लिए निलंबित किया था। उस समय अमेरिका के NRI दंपत्ति ने आरोप लगाया था कि सरोगेसी के जरिए मिले नवजात शिशु से उनका जैविक रिश्ता नहीं है। इसी तरह साल 2020 में विशाखापट्टनम पुलिस ने डॉ नम्रता और 5 अन्य को नवजात शिशुओं की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था।