जैश-ए-मोहम्मद से प्रेरित होकर हिजबुल मुजाहिदीन ने की थी पुलवामा जैसा हमला करने की कोशिश
जैश-ए-मोहम्मद के पुलवामा हमले से प्रेरित होकर कश्मीर के दूसरे आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन ने ऐसा ही हमला करने का प्रयास किया था। हालांकि, उसके ये नापाक मंसूबे कामयाब नहीं हो सके और हमले में कोई नुकसान नहीं हुआ। बता दें कि 14 फरवरी को जैश के आतंकी आदिल अहमद डार ने विस्फोटकों से लदी कार से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के काफिले पर हमला किया था, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे।
बनिहाल में CRPF काफिले से टकराई थी कार
पुलवामा हमला कश्मीर के इतिहास में सुरक्षा बलों पर हुआ सबसे बड़ा हमला था। इस हमले से प्रेरित होकर हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के बनिहाल में 30 मार्च को एक कार से CRPF के काफिले पर हमला करने की कोशिश की थी। हमले में विस्फोटकों से लदी एक सैंट्रो कार श्रीनगर से जम्मू जा रहे CRPF काफिले की एक बस से सुबह 10 बजे के आसपास टकराई थी। हमले में कोई जवान हताहत नहीं हुआ था।
NIA की जांच में हुआ खुलासा
हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हमले में हिजबुल का हाथ होने की बात कही है। हमले में शामिल हिजबुल आतंकियों हिलाल अहमद मंटू, ओवैस अमीन, उमर शाफी, आकिब शाह, शाहिद वानी और वसीम अहमद डार से पूछताछ में ये बातें सामने आई हैं। ओवैश अमीन ने ही कार से CRPF काफिले पर हमला किया था। इन सभी को हमले के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
अंतरराष्ट्रीय पहचान चाहता था हिजबुल
जांच से जुड़े अधिकारियों ने अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स' को बताया कि हिजुबल इस हमले के जरिए अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल करना चाहता था ताकि पाकिस्तान में रहने वाले उसके आका सैयद सलाहुद्दीन को वहां प्रशंसा हासिल हो सके। एक अधिकारी के अनुसार, "ज्यादातर आतंकियों ने दावा किया है कि उन्हें हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष नेतृत्व से जैश ने जैसा पुलवामा में किया, वैसा कुछ करने का आदेश आया था।"
बम ने दिया धोखा
इसके बाद आतंकियों ने अमोनियम नाइट्रेट, LPG सिलेंडर, यूरिया, गिलाटिन स्टिक्स और अन्य कुछ रसायनों की मदद से बम बनाया। हालांकि, ये बम उत्तम गुणवत्ता का नहीं था और इसलिए हमले में कोई जवान हताहत नहीं हुआ।
पिछले 3 साल में कोई हमला नहीं कर पाया हिजबुल
अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों की कार्रवाई के कारण हिजबुल पिछले 3 साल में कश्मीर घाटी में कोई भी हमला करने में नाकाम रहा है और उसकी जगह जैश ने ले ली है। जैश में ज्यादातर पाकिस्तान के आतंकी हैं, इसलिए हिजबुल आतंकी पुलवामा जैसा हमला करके अपने संगठन को फिर से जिंदा करना चाहते थे। NIA ये पता लगाने की कोशिश भी कर रही है कि बनिहाल हमले में जैश का कोई सदस्य तो शामिल नहीं था।
क्या हुआ था पुलवामा हमले के बाद?
पुलवामा हमले का जवाब देते हुए भारत ने 12 दिन बाद 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में जैश के आतंकी कैंप पर एयर स्ट्राइक की। अगले दिन दोनों देशों की वायुसेनाओं के विमानों में आसमान में लड़ाई हुई, जिसमें पाकिस्तान का F-16 और भारत का मिग 21 गिर गया था। पाकिस्तान ने भारत के पायलट अभिनंदन वर्तमान को कब्जे में ले लिया था, जिनकी 3 दिन वतन वापसी के बाद तनाव में कमी आई और युद्ध के हालात टले।