पेगासस जासूसी कांड: अब सामने आया अनिल अंबानी और पूर्व CBI निदेशक आलोक वर्मा का नाम
कारोबारी अनिल अंबानी, पूर्व CBI निदेशक आलोक वर्मा, एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना और पूर्व अतिरिक्त निदेशक एके शर्मा के नाम उस डाटाबेस में पाए गए हैं, जिनकी पेगासस स्पाईवेयर के जरिये जासूसी की जानी थी। द वायर ने गुरुवार को प्रकाशित रिपोर्ट में यह जानकरी दी है। यह समाचार पोर्टल सिलसिलेवार तरीके से डाटाबेस में पाए गए नामों को प्रकाशित कर रहा है, जिनकी जासूसी हो चुकी है या जिनका नाम संभावितों में शामिल है।
ताजा सूची में सामने आए ये बड़े नाम
ताजा सूची में अनिल अंबानी के कर्मचारी टोनी जेसुडेन, राफेल विमान बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन के भारत में प्रतिनिधि वेंकट राव पोसिना, बोइंग इंडिया के प्रमुख प्रत्युश कुमार और साब इंडिया के पूर्व प्रमुख इंद्रजीत सियाल का नाम भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, अंबानी और उनके कर्मचारियों के नाम पेगासस के जरिये निशाना बनाए जाने वाली सूची में 2018 में आए थे। उस वक्त राफेल विमानों की खरीद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा था।
CBI में विवाद के वक्त जोड़ा गया था वर्मा का नाम
रिपोर्ट में बताया गया है कि आलोक वर्मा के साथ-साथ उनके उनकी पत्नी, बेटी, दामाद समेत आठ लोग जासूसी के संभावित शिकारों में शामिल हैं। वर्मा का नाम इस सूची में अक्टूबर, 2018 में आया, जब CBI में उनके और अस्थाना के बीच विवाद चल रहा था। बाद में दोनों को ही अपने पदों से हटा दिया गया था। इसी समय अस्थाना और वर्मा के करीबी माने जाने वाले एके शर्मा का नाम सूची में शामिल किया गया था।
वर्मा के परिवार के आठ नाम डाटाबेस में शामिल
द वायर ने बताया कि वर्मा के अलावा उनकी पत्नी का पर्सनल मोबाइल नंबर, उनकी बेटी और दामाद का नंबर भी इस सूची में शामिल किया गया था। कुल मिलाकर वर्मा के परिवार के आठ लोगों को जासूसी की संभावित सूची में शामिल हैं। फरवरी, 2019 तक, जब वर्मा सरकारी सेवाओं से रिटायर हो गए तो इसके बाद उनके परिवार के सभी नंबर सूची से हटा दिए गए थे। अभी तक वर्मा और अस्थाना की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
रविवार को सामने आई थी पहली रिपोर्ट
रविवार को सामने आई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कई देशों के पत्रकारों, नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और चर्चित हस्तियों की फोन के जरिये जासूसी की गई थी। सबसे पहले यह डाटाबेस फ्रांस के गैर लाभकारी संगठन फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल को मिला, जिसे बाद में द गार्डियन, वॉशिंगटन पोस्ट, द वायर और यूरोपीय और अरब देशों के 11 मीडिया संगठनों के साथ साझा किया गया।
राहुल गांधी और प्रशांत किशोर के नाम भी आए सामने
ये खबरें छापने वाले मीडिया घरानों का कहना है कि फोन की तकनीकी जांच के बाद ही यह पता लगाया जा सकता है कि जासूसी का प्रयास किया गया था या नहीं। हालांकि, डाटाबेस में नाम शामिल होने का साफ मतलब यह है कि उस व्यक्ति का नाम जासूसी के लिए संभावित निशाने के तौर पर रखा गया था। भारत के कई पत्रकारों, राहुल गांधी और प्रशांत किशोर आदि का नाम डाटाबेस में पाया गया है।