सुप्रीम कोर्ट ने CBI के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव पर लगाया 1 लाख का जुर्माना
क्या है खबर?
बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच से जुड़े अधिकारियों का तबादला करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने राव पर 1 लाख का जुर्माना लगाया है और कोर्ट की कार्रवाई चलने तक पूरे दिन कोर्ट में बैठने की सजा सुनाई है।
उनके साथ एस भसूरण को भी यही सजा सुनाई गई है।
नागेश्वर राव
राव ने किया था सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच सरकार ने राव को CBI का अंतरिम निदेशक बनाया था।
राव ने पद मिलने के बाद मुजफ्फरपुर कांड की जांच कर रहे पूर्व संयुक्त निदेशक एके शर्मा का तबादला केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के अतिरिक्त निदेशक के पद पर कर दिया था।
जबकि इससे पहले कोर्ट ने आदेश दिया था कि मामले की जांच कर रहे अधिकारी शर्मा का तबादला उनकी इजाजत के बिना नहीं किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट
'मामले को बहुत गंभीरता से लेंगे'
सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को राव को अवमानना का नोटिस जारी किया था और कहा था कि शर्मा का तबादला कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है।
कोर्ट ने CBI निदेशक ऋषि शुक्ला से भी अन्य किसी अधिकारी के फैसले में शामिल होने के बारे में पूछा था।
इसके बाद जांच एजेंसी के वकील ने 2 अन्य अधिकारियों को भी फैसले में शामिल बताया था, जिस पर कोर्ट ने कहा था कि वह इसे बहुत गंभीरता से लेगी।
मुख्य़ न्यायाधीश रंजन गोगोई
'सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ हुआ खिलवाड़'
इससे पहले राव की ओर से कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उनका बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने जानबूझ कर यह गलती नहीं की।
उन्होंने तबादले के राव के फैसले के पीछे गलत कानूनी सलाह को जिम्मेदार बताया।
मामले में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने चेतावनी देते हुए कहा, "आपने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ खिलवाड़ किया है। भगवान आपकी मदद करें। कभी भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ खिलवाड़ न करें।"
माफीनामा
'सपने में भी कोर्ट के आदेश के उल्लंघन के बारे में नहीं सोच सकता'
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने पिछले 20 साल में बेहद कम अवमानना के फैसले सुनाए है और इस फैसले का असर राव के करियर पर पड़ेगा।
इससे पहले मामले में राव ने अपना जबाव दाखिल करते हुए कहा था, "मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूं और बिना किसी शर्त के माफी मांगते हुए बताना चाहता हूं कि मैंने जानबूझ कर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं किया। मैं सपने में भी इसके बारे में नहीं सोच सकता।"