क्यों और कैसे हुई आलोक वर्मा की CBI निदेशक के पद से छुट्टी, जानें
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा CBI निदेशक के पद पर बहाली के दो दिनों के अंदर ही आलोक वर्मा को एक बार फिर पद से हटा दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया।
खुद को पद से हटाए जाने पर आलोक वर्मा का कहना है कि उन्हें झूठे आरोपों के आधार पर पद से हटाया गया है। उन्होंने CBI की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने की बात भी कही।
बैठक
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा की बहाली के आदेश में कहा था, 'वर्मा को हटाए जाने की प्रक्रिया गलत थी। चयन समिति CBI निदेशक का चुनाव करती है और वही पद से बर्खास्त कर सकती है।'
चयन समिति में प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और नेता विपक्ष होते हैं। बैठक में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की जगह उनके प्रतिनिधि न्यायाधीश ए.के. सीकरी शामिल हुए।
समिति ने 2-1 के बहुमत से फैसला लेते हुए वर्मा को पद से हटा दिया।
राजनीति
नेता विपक्ष खड़गे थे विरोध में
बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने का विरोध किया।
उन्होंने कहा कि वर्मा का कार्यकाल 77 दिन के लिए बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि इतने दिनों के लिए उन्हें छुट्टी पर भेजा गया था।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि खड़गे ने वर्मा की नियुक्ति पर भी असहमति जताई थी और उनके हटाए जाने पर भी।
राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि आजकल उन्हें नींद नहीं आ रही है।
ट्विटर पोस्ट
बीजेपी का जबाव
Indeed, Mr. Mallikarjun Kharge is a man of amazing consistency.
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) January 10, 2019
When Shri Alok Verma was appointed CBI chief by the selection committee, he dissented.
Now, when Shri Alok Verma has been removed by the same Selection Committee, he has dissented.
CVC जांच
आलोक वर्मा को हटाए जाने का कारण
आलोक वर्मा के CBI निदेशक के पद से छुट्टी की मुख्य वजह केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की रिपोर्ट को माना जा रहा है जिसमें वर्मा पर कुछ गंभीर और सख्त टिप्पणियां की गई है।
CVC ने जांच में वर्मा पर मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले में सतीश बाबू सना से 2 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोपों को गंभीर पाया है।
CVC ने CBI के रिकॉर्ड निकालकर तुरंत आलोक वर्मा के खिलाफ जांच की मांग की है।
गंभीर आरोप
CVC रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
CVC ने रिपोर्ट में वर्मा पर राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू यादव से जुड़े एक मामले में पुख्ता सबूतों के बावजूद एक वरिष्ठ अधिकारी को बचाने और लालू के ठिकानों पर तलाशी अभियान नहीं लेने का निर्देश जारी करने की बात भी कही है।
2016 में दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद पर रहते हुए वर्मा पर कस्टम विभाग द्वारा पकड़े गए एक सोने के तस्कर को बचाने के आरोपों को आंशिक पुख्ता पाया है, जिसमें आगे जांच की जरूरत है।