'पेगासस' से की गई राहुल गांधी और प्रशांत किशोर की जासूसी? सूची में नाम शामिल
जिन लोगों पर इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के स्पाईवेयर 'पेगासस' का इस्तेमाल किया गया था, उनमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी शामिल हैं। उनेक नंबर उस डाटाबेस में शामिल हैं जिनके खिलाफ पेगासस का इस्तेमाल किया गया था। राहुल के खिलाफ इसका इस्तेमाल 2019 लोकसभा चुनाव से पहले किया गया था। राहुल और प्रशांत के अलावा नए-नवेले सूचना प्रौद्योगिकी (IT) मंत्री बने अश्विनी वैष्णव को भी पेगासस से निशाना बनाया गया था।
राहुल के दो नंबरों को बनाया गया निशाना
पूरे मामले का खुलासा करने वाली मीडिया घरानों में शामिल 'द वायर' के अनुसार, राहुल के नंबर को सबसे पहले 2018 में पेगासस से निशाना बनाया गया था। तब वह 2019 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख विरोधी थे। दिलचस्प बात ये है कि राहुल के कम से कम दो नंबर को निशाना बनाया गया। यही नहीं, उनसे संबंधित पांच अन्य लोगों को भी निशाना बनाया गया जिनमें से कुछ का तो राजनीति से कोई संबंध नहीं है।
गांधी परिवार से मुलाकात के एक दिन बाद निशाना बनाए गए प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर की बात करें तो उनके फोन को भी पेगासस से निशाना बनाया गया था और फॉरेंसिक जांच के अनुसार, 14 जुलाई को भी ऐसा किया गया था। ये टाइमिंग बड़े सवाल खड़ा करती है क्योंकि प्रशांत किशोर 13 जुलाई को राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी से मिले थे और उनके कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें सामने आई थीं। बंगाल विधानसभा चुनाव के समय भी उनके फोन को निशाना बनाया गया था।
सरकार के इन विरोधियों के खिलाफ भी प्रयोग किया गया पेगासस
इन दोनों के अलावा पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का नाम भी पेगासस से निशाना बनाए गए लोगों की सूची में शामिल है। लवासा ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के आपत्तिजनक बयानों पर उनके खिलाफ फैसला दिया था। राफेल लड़ाकू विमान सौदे में कथित घोटाले पर विस्तृति रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार सुशांत सिंह के फोन को भी 2018 में पेगासस से निशाना बनाया गया था। इस महीने भी उनके फोन पर पेगासस एक्टिव था।
रंजन गोगोई के खिलाफ आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी का नंबर भी शामिल
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत करने वाली सुप्रीम कोर्ट की एक कर्मचारी का फोन नंबर भी पेगासस से निशाना बनाए गए नंबरों की सूची में शामिल है। महिला के आरोप लगाने के कुछ दिन बाद ही उसके नंबर को पेगासस की संभावित लक्ष्य की सूची में शामिल कर दिया गया था। उसके और उसे परिवार से संबंधित कुल 11 नंबर को निशाना बनाया गया। गोगोई अभी राज्यसभा सांसद हैं।
केंद्र सरकार के दो मंत्रियों का नाम भी शामिल
पेगासस के डाटाबेस में दो केंद्रीय मंत्रियों के नाम भी शामिल हैं। ये नाम नए-नवेले IT मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद पटेल के हैं। पटेल पर कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी देखने को मिली है और सूची में उनके और उनकी पत्नी के अलावा उनसे संबंधित 15 अन्य लोगों के नंबर भी शामिल हैं। इन लोगों में उनका रसोइया और माली भी शामिल हैं। वहीं वैष्णब का नंबर 2017 के आसपास निशाना बनाया गया था। तब वह भाजपा में नहीं थे।
लीका डाटाबेस में भारत के 1,000 से अधिक नंबर शामिल
पेगासस के डाटाबेस में जो 50,000 टेलीफोन नंबर मिले हैं, उनमें से 1,000 से अधिक नंबर भारत के हैं। ये डाटाबेस लीक होकर सबसे पहले फ्रांस के गैर लाभकारी संगठन फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल को मिला था। इसके बाद द गार्डियन, वॉशिंगटन पोस्ट, ले मॉन्डे और अरब देशों के 11 मीडिया संगठनों ने साथ मिलकर इन पर पड़ताल की और पीड़ितों से मिले। इन मीडिया घरानों की सूची में भारत का 'द वॉयर' भी शामिल रहा।
मामले पर किसने क्या प्रतिक्रिया दी?
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने सरकार पर विरोधियों की जासूसी करने का आरोप लगाया। इस देशद्रोह बताते हुए पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का पूर्ण परित्याग कर दिया है। भाजपा को 'भारतीय जासूस पार्टी' नाम देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार लोगों के बेडरूम की बातचीत सुन रही है। प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट करते हुए इसे निजता के संवैधानिक अधिकार पर खतरनाक हमला बताया है।
प्रशांत किशोर बोले- पांच फोन बदले, लेकिन फिर भी हैकिंग जारी
वहीं खुद शिकार हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि उन्हें जासूसी का शक तो हुआ था लेकिन हैकिंग का शक कभी भी नहीं हुआ, वो भी 2017 से 2021 के बीच। उन्होंने कहा कि फिर भी वे फोन बदलते रहते थे और पांच बार ऐसा कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद हैकिंग जारी रही। फॉरेंसिंक जांच में सामने आया है कि बंगाल चुनाव के दौरान और जून में 14 और जुलाई में 12 दिन उनके फोन पर पेगासस सक्रिय था।
सरकार ने क्या कहा?
खुद गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करते हुए इस रिपोर्ट के समय पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "यह भारत के विकास में विघ्न डालने वालों की भारत के विकास के अवरोधकों के लिए एक रिपोर्ट है। कुछ विघटनकारी वैश्विक संगठन हैं जो भारत की प्रगति को पसंद नहीं करते हैं। अवरोधक भारत के वो राजनीतिक षड्यंत्रकारी हैं जो नहीं चाहते कि भारत प्रगति कर आत्मनिर्भर बने। भारत की जनता इस क्रोनोलोजी और रिश्ते को बहुत अच्छे से समझती है।"