CVC जांच की निगरानी करने वाले जस्टिस पटनायक बोले- वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सेलेक्ट कमेटी ने आलोक कुमार वर्मा को CVC की टिप्पणियों के आधार पर CBI निदेशक के पद से हटा दिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एके पटनायक का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि वर्मा को हटाने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया है और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत नहीं थे। बता दें, जस्टिस पटनायक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर CVC जांच की निगरानी कर रहे थे।
जस्टिस एके सीकरी का वोट बना निर्णायक
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाले इस पैनल में नेता विपक्ष के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे और जस्टिस एके सीकरी शामिल थे। खड़गे ने वर्मा को निदेशक पद से हटाए जाने का विरोध किया था, लेकिन जस्टिस सीकरी, वर्मा को पद से हटाने के पक्ष में थे। जस्टिस सीकरी ने अपने फैसले के बारे में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्केंडेय काटजू को बताया। उन्होंने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक वर्मा को ट्रांसफर किया जाना चाहिए।
जस्टिस पटनायक ने जताई नाराजगी
सेलेक्शन कमेटी के फैसले पर नाराजगी जताते हुए रिटायर्ड जस्टिस पटनायक ने कहा कि यह जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है। उन्होंने कहा कि भले ही कोर्ट ने कमेटी को फैसला लेने का कहा था, लेकिन यह जल्दबाजी में नहीं लेना चाहिए था। जस्टिस पटनायक ने कहा कि यहां एक संस्था के बारे में निर्णय लिया जा रहा था इसलिए यहां सोच-विचार करना जरूरी हो जाता है। खासकर तब, जब इस प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट जज शामिल हो।
'वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप नहीं'
जस्टिस पटनायक ने कहा कि वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत नहीं है। यह जांच राकेश अस्थाना की शिकायत पर की गई थी। CVC की रिपोर्ट में मेरा कोई विचार नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि CVC की जांच अंतिम नहीं होती।
आलोक वर्मा का इस्तीफा
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद आज आलोक वर्मा ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सेलेक्ट कमेटी ने वर्मा को CBI निदेशक के पद से हटाते हुए उनको अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया था, लेकिन वर्मा ने पद संभालने से इनकार कर दिया। CBI निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद वर्मा ने कहा कि वह निर्दोष हैं।