निर्भया के चारों दोषियों को हुई फांसी, जानिये इनके बारे में
निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड में फांसी की सजा पाए चारों दोषियों को 20 मार्च का सूरज उगने से पहले फांसी पर लटका दिया गया। उनके वकील ने फांसी दिए जाने से कुछ घंटे पहले तक हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जाकर उनकी सजा माफ करने की याचिका लगाई, लेकिन उन्हें कहीं से राहत नहीं मिली। शुक्रवार सुबह 05:30 बजे चारों को फांसी दे दी गई। आइये, इन चारों दोषियों के बारे में संक्षिप्त में जानते हैं।
अक्षय सिंह
बिहार के औरंगाबाद का निवासी अक्षय सिंह (31 वर्ष) उस बस में हेल्पर था, जिसमें निर्भया के साथ हैवानियत को अंजाम दिया गया। यह बस राम सिंह चला रहा था, जिसने तिहाड़ जेल में आत्महत्या की थी। नौंवी कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद अक्षय ने स्कूल छोड़ दिया था। 16 दिसंबर, 2012 की घटना के बाद अक्षय को 21 दिसंबर, 2012 को उसके गांव से गिरफ्तार किया गया था। अक्षय सिंह का आठ साल का एक बेटा है।
मुकेश सिंह
32 वर्षीय मुकेश राम सिंह का छोटा भाई था। वही कभी-कभार बस चलाता था। घटना से दो दिन बाद उसे राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था। उसने खुद पर रहम बरतने की मांग करते हुए कहा था कि वह घटना के समय बस चला रहा था। BBC की डॉक्यूमेंट्री 'इंडियाज डॉटर' में मुकेश के बयान को दिखाया गया था। उसे इस घटना को लेकर कोई अफसोस नहीं था बल्कि उसने घटना के लिए निर्भया को ही जिम्मेदार ठहराया था।
पवन गुप्ता
घटना के समय 19 साल का पवन गुप्ता फल बेचने का काम करता था। उसने और उसके पिता ने दावा किया था कि वह घटना के समय बस में मौजूद नहीं था। उसके पिता ने कहा था कि वह निर्दोष था। पवन उत्तर प्रदेश के बस्ती से 20 किमी दूर जगन्नाथपुर गांव का रहने वाले था। उसका परिवार लगभग 15 साल पहले अपना घर बेचकर दिल्ली में रहने के लिए आया था। उसने छठी कक्षा तक पढ़ाई की थी।
विनय शर्मा
जिम ट्रेनर का काम करने वाला विनय निर्भया और उसके दोस्त के साथ लूटपाट करने का भी दोषी था। घटना के दो दिन बाद 18 दिसंबर को उसे राजस्थान के करोली गांव से गिरफ्तार किया। गिरफ्तार होने के बाद उसने दावा किया था कि वह घटना के समय वह बस में मौजूद नहीं था, लेकिन बाद में उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया था। तिहाड़ में बंद रहते समय उसने खुदकुशी की भी कोशिश की थी।
सितंबर, 2013 में चारों दोषियों को सुनाई गई फांसी की सजा
मामले में छह आरोपी थे, जिसमें एक नाबालिग था और एक ने तिहाड़ में खुदकुशी कर ली थी। बाकी चारों आरोपियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 13 सितंबर, 2013 को फांसी की सजा सुनाई। इसके खिलाफ दोषियों ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की जिसने मार्च, 2014 में उनकी अपील को खारिज करते हुए फांसी की सजा बरकरार रखी। इसके बाद दोषी सुप्रीम पहुंचे, लेकिन उसने भी 2017 में फांसी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
16 दिसंबर, 2012 की रात हुई थी निर्भया के साथ हैवानियत
16 दिसंबर, 2016 की रात अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही 23 वर्षीय निर्भया के साथ छह लोगों ने चलती बस में गैंगरेप किया था। आरोपियों ने इस दौरान हैवानियत की सारे हदें पार कर दी थीं और बुरी तरह से घायल निर्भया और उसके दोस्त को सड़क किनारे फेंककर भाग गए थे। छात्रा का पहले सफदरजंग अस्पताल में इलाज चला, लेकिन कुछ दिन बाद सिंगापुर शिफ्ट कर दिया जहां उसकी मौत हो गई।