कोरोना महामारी: एयरलाइंस कंपनियों और हवाई अड्डों को पिछले साल हुआ 24,000 करोड़ का नुकसान- सरकार
कोरोना वायरस महामारी ने वैसे तो सभी उद्योगों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है, लेकिन देश की एयरलाइंस कंपनियों और हवाई अड्डों को बड़ा झटका लगा है। वित्त वर्ष 2020-21 में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन बाधित होने से एयरलाइंस कंपनियों और हवाई अड्डों को 24,680 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह चौंकाने वाली जानकारी दी है।
भाजपा सांसद ने लोकसभा में मांगी थी जानकारी
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, भाजपा सांसद पूनमबेन के सवाल किया था कि क्या सरकार ने विमानन क्षेत्र की वित्तीय स्थिति का आकलन किया है? इसी तरह पिछले साल कोरोना महामारी के कारण विमानन क्षेत्र को कितना नुकसान झेलना पड़ा है और सरकार इस क्षेत्र को पटरी पर लाने के लिए क्या प्रयास कर रही है। इसका जवाब देते हुए MoS सिंह ने एयरलाइंस कंपनियों और हवाई अड्डों को हुए नुकसान सहित अन्य जानकारी सदन को दी।
एयरलाइंस कंपनियों को हुआ सबसे अधिक नुकसान
MoS सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में एयरलाइंस कंपनियों को सबसे अधिक 19,564 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसी तरह हवाई अड्डों को कुल 5,116 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है। ऐसे में कुल 24,680 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत में विमानन क्षेत्र कोरोना महामारी से पैदा हुई कठिनाइयों के कारण गंभीर रूप से प्रभावित रहा है और इसे पटरी पर लाने के प्रयास जारी है।
विमानन क्षेत्र में अगले पांच सालों में खर्च किए जाएंगे 25,000 करोड़ रुपये
MoS सिंह ने कहा कि विमानन क्षेत्र को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। अगले पांच सालों में मौजूदा टर्मिनलों के विस्तार, नए टर्मिनलों का निर्माण, मौजूदा रनवे, एप्रन, एयरपोर्ट नेविगेशन सर्विसेज (ANS), कंट्रोल टावर, तकनीकी ब्लॉक आदि को मजबूत करने के लिए कुल 25,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसी तरह घरेलू रख रखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सेवाओं के लिए GST को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत किया गया है।
ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के विकास में निवेश की बनाई है योजना- सिंह
MoS सिंह ने कहा कि दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु में तीन सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) हवाई अड्डों ने 2025 तक 30,000 करोड़ रुपये की बड़ी विस्तार योजना शुरू की है। इसके अतिरिक्त देश भर में नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के विकास में निवेश के लिए 36,000 करोड़ रुपये की योजना भी बनाई गई है। इसी तरह मालवाहक विमानों की संख्या सात से बढ़कर 28 हो गई है। इससे अंतरराष्ट्रीय मालवाहक उड़ानों में भारत की हिस्सेदारी 19 प्रतिशत हो गई है।
भारत ने 31 जनवरी तक बढ़ाया अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का निलंबन
भले ही कोरोना महामारी से विमानन क्षेत्र को भारी नुकसान झेलना पड़ा है, लेकिन अब ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण सरकार की चिंता फिर से बढ़ गई है। ऐसे में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक यात्री सेवाओं के निलंबन को 31 जनवरी, 2022 की रात 11:59 बजे तक बढ़ाने का फैसला लिया है। इससे पहले 26 नवंबर को सरकार ने 15 दिसंबर से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की सामान्य सेवा बहाल करने का ऐलान किया था।
भारत ने मार्च 2020 में किया था अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का निलंबन
बता दें कि सरकार ने कोरोना महामारी के कारण 23 मार्च, 2020 को अंतरराष्ट्रीय और 25 मार्च को घरेलू उड़ानों को निलंबित कर दिया था। हालांकि, वंदे भारत मिशन के तहत मई 2020 और जुलाई 2020 से चुनिंदा देशों के साथ द्विपक्षीय 'एयर बबल' व्यवस्था के तहत विशेष अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित हो रही हैं। इसी तरह मई में 33 प्रतिशत क्षमता के साथ घेरलू उड़ानों का संचालन शुरू किया था और अक्टूबर में प्रतिबंधों में और ढील दे दी थी।