मलेरिया की तुलना में वायु प्रदूषण से 19 गुना अधिक मौतें, वैज्ञानिकों ने बताया महामारी
क्या है खबर?
वर्तमान में पूरी दुनिया वायु प्रदूषण से जूझ रही है और इसके भयावह परिणाम सामने आ रहे हैं।
इसे कम करने के लिए दुनियाभर में प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन हालातों में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है।
हाल ही में वैज्ञानिकों की ओर से वायु प्रदूषण पर किए गए अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
वैज्ञानिकों ने इसे महामारी करार देते हुए दुनियाभर में लोगों के जीवनकाल को औसतन तीन साल कम करने वाला बताया है।
प्रतिवर्ष मौत
वायु प्रदूषण से हर साल 88 लाख लोगों की मौत
वैज्ञानिकों ने कार्डियोवास्कुलर रिसर्च जर्नल में बताया कि वायु प्रदूषण से सालाना दुनियाभर में 8.8 मिलियन यानी 88 लाख लोगों की मौत होती है।
यदि तेल, गैस और कोयले को जलाने से पैदा होने वाले अणुओं और फेफड़ों से जमा कणों के जहरीले कॉकटेल को खत्म किया जाए तो जीवनकाल को एक साल बढ़ाया जा सकता है।
जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के प्रमुख लेखक जोस लेलिवेल्ड ने वायु प्रदूषण को धूम्रपान से बड़ा स्वास्थ्य जोखिम बताया है।
जानकारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान से है दोगुना
वैज्ञानिकों की ओर से वायु प्रदूषण से सालाना 8.8 मिलियन अकाल मौत होने का दावा किया गया है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों से दोगुना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि उस रिपोर्ट में प्रभावों को बहुत कम करे आंका गया था।
भयावह
मलेरिया की तुलना में 19 गुना अधिक मौत
वैज्ञानिकों ने बताया कि वायु प्रदूषण से मलेरिया से होने वाली मौतों की तुलना में 19 गुना अधिक मौत होती है।
इसके अलावा एड्स की तुलना में नौ गुना व शराब पीने से होने वाली मौत की तुलना में तीन गुना अधिक मौत होती है।
इससे हृदयघात, शुगर और उच्च रक्तचाप की शिकायत भी अधिक होती है। उन्होंने कहा कि यदि दुनिया जीवाश्म ईंधन का उपयोग बंद कर दे तो इस महामारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।
जीवनकाल
भारत के लोगों के औसत जीवनकाल में आ रही चार वर्ष की कमी
रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण का खतरा पूरी दुनिया में हैं, लेकिन एशियाई देशों में इसका कुप्रभाव बहुत ज्यादा है।
इससे भारत के लोगों के औसत जीवनकाल में 3.9 साल की कमी आ रही है। इसी तरह चीन में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा 4.1 वर्ष और पाकिस्तान में 3.8 वर्ष का है।
भारत के उत्तर प्रदेश में स्थिति भयावह है, वहां औसत जीवनकाल में 8.5 वर्ष और चीन के हुबेई प्रांत में 6 साल की कमी आ रही है।
जानकारी
इन देशों की भी हालत है खराब
चीन, भारत और पाकिस्तान के अलाव अफ्रीकी देशों में भी हालत बेहद खराब है। अफ्रीका के लोगों के औसत जीवनकाल में 3.1 वर्ष और चाड, सिएरा लियोन, मध्य अफ्रीका और नाइजीरिया में 4.5 से 7.3 वर्ष की कमी आ रही है।
सोवियत संघ
सोवियत संघ की दो तिहाई मौतों के लिए प्रदूषण जिम्मेदार
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के रसायन विज्ञान और कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ लेखक थॉमस मुंजेल ने कहा कि प्रदूषण से होने वाली कुल मौत की छह प्रतिशत फेफडों के कैंसर से होती है।
उन्होंने बताया कि सोवियत संघ पूर्वी राज्यों में प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब है।
विशेषतौर पर बुल्गारिया, हंगरी और रोमानिया में होने वाली दो-तिहाई मौत के लिए मानव निर्मित प्रदूषण ही जिम्मेदार है। इसमें जीवाश्म ईंधन का उपयोग सबसे प्रमुख कारण है।
तूफान
धूल भरे तूफानों से भी बढ़ रहा मौत का ग्राफ
जोस लेलिवेल्ड ने बताया कि वायु प्रदूषण के साथ जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही घटनाओं से भी मृत्यु दर में इजाफा हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन से मध्य एशिया और उत्तरी अफ्रीका में धूल भरे तूफान बढ़ गए हैं। इनके कारण लोगों के फेफड़ों में धूल जमती है और फिर वह अपना प्रभाव दिखाते हुए लोगों को मौत की ओर खींच रहे हैं।
हालांकि, अमेरिका, पश्चिमी और उत्तरी यूरोप और छोटे द्वीपों पर इसका प्रभाव बहुत कम है।
सुझाव
भारत और चीन को दिए वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के सुझाव
वैज्ञानिकों के अनुसार भारत, चीन और अन्य उभरते हुए देश के लोग सबसे अधिक वायु प्रदूषण से होने कुप्रभावों की चपेट में आ रहे हैं।
ऐसे में वहां की सरकारों को इस पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इसमें सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम जीवाश्म ईंधन का उपयोग बंद करना है।
इन देशों की सरकारों को सबसे पहले इस पर काम करना चाहिए। इसके बाद ही अन्य कारणों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।