
बजट 2020: महाभारत के हस्तिनापुर समेत इन पांच प्राचीन स्थलों को विकसित करेगी सरकार
क्या है खबर?
अपने दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट में मोदी सरकार ने अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ देश के प्राचीन स्थलों को विकसित करने पर भी ध्यान दिया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में पांच पुरातात्विक स्थलों को विकसित किए जाने का ऐलान किया।
इन स्थलों पर संग्रहालय भी बनाया जाएगा ताकि पर्यटकों को इनका महत्व पता चल सके।
ये पांच स्थल कौन से हैं और इन्हें क्यों चुना गया है, आइए आपको बताते हैं।
#1
राखीगढ़ी में मिले हैं 2600-1900 ईसा पूर्व पुरानी सभ्यता के सबूत
इस सूची में पहला ऐतिहासिक स्थल हरियाणा के हिसार जिले में स्थित राखीगढ़ी गांव है।
300 हेक्टेयर में फैले इस गांव को हड़प्पा काल से पहले की सभ्यता का स्थल माना जाता है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अमरेंद्र नाथ की खुदाई में यहां 2600-1900 ईसा पूर्व पुरानी सभ्यता के सबूत मिले हैं।
खुदाई में यहां ईंटों से बने घरों और जल निकासी की उचित व्यवस्था वाला शहर होने के सबूत सामने आए हैं।
#2
महाभारत के 'हस्तिनापुर' को भी किया जाएगा विकसित
उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित हस्तिनापुर वो दूसरा स्थल है जिसे सरकार विकसित करेगी।
हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथ महाभारत में पांडवों की राजधानी के तौर पर हस्तिनापुर का जिक्र है और इसी से इसका महत्व समझा जा सकता है।
ASI ने 1950-52 में हस्तिनापुर में खुदाई शुरू की थी और इस दौरान तीर, भाला, चिमटा, कुल्हाड़ी और चाकू समेत लोहे की लगभग 135 वस्तुएं बरामद हुईं।
इन वस्तुओं को 1500-2000 ईसा पूर्व की बताया जाता है।
धार्मिक महत्व
अन्य धर्मों के पूज्यनीय स्थल भी हस्तिनापुर में मौजूद
इसके अलावा हस्तिनापुर में अन्य कई धर्मों के पूज्यनीय स्थल भी मौजूद हैं।
जैन धर्म के 24 तीर्थांकरों में से 16, 17 और 18वें तीर्थांकर का जन्म यहीं हुआ था। श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के नाम से यहां एक प्राचीन मंदिर भी है और हर साल हजारों जैन श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।
हस्तिनापुर को सिखों के दसवें धर्मगुरू गुरू गोविंद सिंह के शिष्य पंच प्यारे भाई धरम सिंह का जन्म स्थान भी माना जाता है।
#3
राखीगढ़ी की तरह हड़प्पा सभ्यता से जुड़ा है गुजरात का धौलावीरा
जिन पुरातात्विक स्थलों का विकास होना है उनमें गुजरात के कच्छ जिले में स्थित धौलावीरा भी शामिल हैं।
राखीगढ़ी की तरह यहां भी हड़प्पा सभ्यता के समय के अवशेष पाए गए हैं।
इसे हड़प्पा सभ्यता से जुड़ा पांचवां सबसे बड़ा स्थल माना जाता है और यहां खुदाई में कांसे के आभूषण मिले हैं।
इसके अलावा पत्थर के 10 बड़े शिलालेख भी खुदाई में मिले हैं जिनपर सिंधु घाटी सभ्यता की भाषा में लिखा हुआ है।
#4
तमिलनाडु के आदिचनल्लूर को भी विकसित करेगी सरकार
तमिलनाुड के थूथुकुडी जिले स्थित आदिचनल्लूर वो चौथा पुरातात्विक स्थल है जिसे सरकार विकसित करेगी।
इस जगह को प्राचीन तमिल संस्कृति से जुडा हुआ माना जाता है और इसके पांडियन साम्राज्य के जमाने से संबंध होने की बात कही जाती है।
खुदाई में मिले नमूनों की कार्बन डेटिंग से इनके 696-905 ईसा पूर्व पुरानी होने की जानकारी सामने आई है।
खुदाई में कलशों में मानव कंकाल भी मिले हैं जिनके 2000-2500 ईसा पूर्व के होने की बात सामने आई है।
जानकारी
एक अंग्रेज ने की थी दशकों खुदाई
जर्मनी के डॉ जैगर ने सबसे पहले आदिचनल्लूर के प्राचीन अवशेषों को दुनिया की नजरों में लाया था। इसके बाद एजेक्जेंडर राई नामक एक अंग्रेज ने यहां 1876 से 1905 के बीच खुदाई की और इसे दक्षिण भारत का सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल बताया था।
#5
अहोम राजाओं की राजधानी रहा शिवसागर नगर भी बनेगा पुरातात्विक स्थल
1699-1788 के बीच असम के अहोम साम्राज्य की राजधानी रहा शिवसागर नगर वो आखिरी स्थल है जिसे पुरातात्विक स्थल के तौर पर विकसित किया जाएगा। इसे अहोम राजा शिव सिंह ने बनवाया था।
यहां हुई खुदाई में गलियों, लंबी दीवारों और जल निकासी की व्यवस्था के सबूत पाए गए हैं।
इस जगह पर 'रंग घर' भी स्थित है जिसे अहोम राजाओं के मनोरंजन का केंद्र माना जाता था और यहां कई खेल होते थे।