#NewsBytesExplainer: देश के वनों के संरक्षण के लिए लाया गया वन संरक्षण संशोधन विधेयक क्या है?
क्या है खबर?
लोकसभा में हाल ही में वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 को पारित किया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में महत्त्वपूर्ण बदलाव करना है।
केंद्र सरकार इस विधेयक के जरिए अधिनियम के दायरे को और अधिक व्यापक बनाते हुए वनों और वन भूमि के गैर-वन कार्यों के उपयोग के लिए नियमों में बदलाव लाना चाहती है।
आइए इस विधेयक के प्रावधानों और इससे जुड़ी हुई राज्यों की आपत्तियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कारण
क्यों लाया गया है विधेयक?
भारत की स्वतंत्रता के बाद वन भूमि के विशाल क्षेत्रों को आरक्षित और संरक्षित वनों के रूप में नामित किया गया था।
हालांकि, अनेक वन क्षेत्रों को छोड़ दिया गया और बिना किसी स्थायी वन वाले क्षेत्रों को वन भूमि में शामिल किया गया था।
इस विधेयक के जरिए अधिनियम का दायरा अधिसूचित वन भूमि से लेकर राजस्व वन भूमि और सरकारी रिकॉर्ड में वन के रूप में दर्ज भूमि तक बढ़ा दिया गया है।
प्रावधान
वन भूमि के उपयोग को लेकर किए गए प्रावधान
विधेयक के तहत अधिनियम का नाम बदलकर वन (संरक्षण एवं सवर्धन) अधिनियम, 1980 किया गया है, जिससे प्रावधानों की क्षमताएं इसके नाम में परिभाषित की जा सकें।
इस संशोधन का उद्देश्य दर्ज वन भूमि, निजी वन भूमि और वृक्षारोपण के लिए इस्तेमाल भूमि पर अधिनियम के अनुप्रयोग को सुनिश्चित करना है।
विधेयक में प्रस्ताव है कि अधिनियम अब अधिसूचित वन भूमि के साथ-साथ राजस्व वन भूमि और सरकारी रिकॉर्ड पर वन के रूप में पहचानी गई भूमि पर लागू होगा।
छूट
वन भूमि के उपयोग को लेकर दी गई है छूट
विधेयक में वन भूमि के उपयोग को लेकर कुछ छूट दिए जाने के प्रस्तावों को भी शामिल किया गया है।
इनमें अंतरराष्ट्रीय सीमा, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC), नियंत्रण रेखा (LoC) से 100 किलोमीटर के दायरे में स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी रणनीतिक परियोजनाओं को छूट शामिल है।
इसके अलावा रक्षा संबंधी अवसंरचना के लिये 10 हेक्टेयर तक भूमि और वाम चरमपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में सार्वजनिक सुविधा परियोजनाओं के लिये 5 हेक्टेयर तक भूमि देने का प्रावधान किया गया है।
विधेयक
क्या है राज्यों की आपत्ति?
कई राज्यों ने विधेयक को लेकर आपत्तियां दर्ज करवाई हैं।
हिमाचल प्रदेश अधिनियम में राष्ट्रीय महत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करने, जबकि छत्तीसगढ़ इसमें सुरक्षा से संबंधित बुनियादी ढांचे और उपयोगकर्ता एजेंसियों के प्रकारों का स्पष्ट रूप से उल्लेख चाहता था।
मिजोरम ने कहा कि किसी भी एजेंसी द्वारा किसी भी गतिविधि को राष्ट्रीय महत्व या राष्ट्रीय सुरक्षा की परियोजना के रूप में उल्लेखित किया जा सकता है, जिससे सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।
छूट
राज्यों ने छूट के दायरे पर भी जताई चिंता
देश के सबसे छोटे राज्यों में एक सिक्किम ने कहा कि सीमाओं से 100 किलोमीटर तक छूट देने से पूरा राज्य इसमें समाहित हो जाएगा। सिक्किम ने प्रस्तावित छूट की सीमा को घटाकर 2 किलोमीटर करने के लिए कहा है।
दूसरी ओर सीमा सड़क संगठन (BRO) और अरुणाचल प्रदेश ने कहा कि चीन के साथ बुनियादी ढांचे के अंतर को कम करने के लिए 100 किलोमीटर की छूट सीमा को 150 किलोमीटर तक बढ़ाया जाना चाहिए।
कारण
संशोधन से हो पाएगा वनों का बेहतर प्रबंधन- केंद्र
पर्यावरण मंत्रालय का कहना है कि संशोधन से वन संरक्षण और संवर्धन के लिए कानून की भावना अधिक स्पष्ट होगी और उसमें नयापन आयेगा।
मंत्रालय के मुताबिक, यह संशोधन वन उत्पादकता बढ़ाने, वन क्षेत्र से बाहर पौधारोपण बढ़ाने, स्थानीय समुदायों की आजीविका से जुड़ी आकांक्षाओं को व्यवस्थित करने के साथ ही नियामकीय प्रणाली को मजबूत बनाएंगे।
गौरतलब है कि इन सभी प्रावधानों से उत्पादकता बढ़ाने के लिए वनों का बेहतर प्रबंधन का रास्ता भी साफ होगा।