देश में 2018 के बाद 6,210 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके, RTI में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
देश में चुनावी चंदे सहित अन्य दान के लिए चुनावी बॉन्ड का जमकर उपयोग हो रहा है।
यही कारण है कि देश में साल 2018 से लेकर मार्च 2020 तक कुल 13 चरणों में छापे गए 6,210 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिक गए।
एक RTI कार्यकर्ता की ओर से सूचना का अधिकार (RTI) के तहत भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से चुनावी बॉन्ड के संबंध में मांगी गई जानकारी में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
जानकारी
क्या होते हैं चुनावी बॉन्ड?
चुनावों में राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए चुनावी बॉन्ड का इस्तेमाल होता है।
इस बॉन्ड में एक करेंसी नोट लिखा रहता है, जिसमें उसकी वैल्यू होती है। ये बॉन्ड पैसा दान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इसकी न्यूनतम कीमत 1,000 रुपये जबकि अधिकतम एक करोड़ रुपये होती है। वर्तमान में देश में चुनावी बॉन्ड 1,000, 10,000, एक लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध हैं।
RTI
RTI कार्यकर्ता ने मांगी थी चुनावी बॉन्ड से जुड़ी अहम जानकारी
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार RTI कार्यकर्ता और सेवानिवृत्त कमोडोर लोकश कत्रा ने SBI से चुनावी बॉन्ड के मुद्रण और विक्रय के संबंध में जानकारी मांगी थी।
इस पर SBI को दिए गए जवाब में सामने आया कि देश में 19 मार्च, 2020 तक कुल 6.60 लाख चुनावी बांड मुद्रित किए गए हैं।
हालांकि, मार्च 2020 तक इनमें से महज 12,452 चुनावी बॉन्ड ही बेचे गए थे। इसमें एक करोड़ की कीमत के सबसे ज्यादा 5,702 बॉन्ड बिके हैं।
जारी
साल में चार बार जारी किए जाते हैं चुनावी बॉन्ड
SBI के अनुसार देश में साल में चार बार यानी जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीने में ही चुनावी बॉन्ड जारी किए जाते हैं।
हालांकि, साल 2020 में केवल जनवरी और बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अक्टूबर में ही इन्हें जारी किया गया था।
इस साल मार्च तक 1,000 रुपये की कीमत के 47 बॉन्ड, 10,000 रुपये के 70, एक लाख रुपये के 1,722, 10 लाख रुपये के 4,911 और एक करोड़ रुपये के 5,702 बॉन्ड बिके हैं।
जानकारी
एक करोड़ रुपये मूल्य के 92 प्रतिशत बॉन्ड बिके
SBI के अनुसार देश में एक करोड़ मूल्य के करीब 92 प्रतिशत चुनावी बॉन्ड बेचे गए हैं। इसी तरह 10 लाख रुपये मूल्य के महज सात प्रतिशत बॉन्ड बिके हैं। इसके अन्य अन्य मूल्य के महज एक प्रतिशत ही चुनावी बॉन्च बेचे जा सके हैं।
रद्द
12 चुनावी बॉन्ड को किया निरस्त
SBI के अनुसार अनुसार देश में अब तक मुद्रित किए गए कुल चुनावी बॉन्ड में से 12 को निरस्त किया जा चुका है।
इनमें एक बॉन्ड 1,000 रुपये की कीमत वाला तथा 11 बॉन्ड एक करोड़ रुपये की कीमत वाले थे।
RTI कार्यकर्ता लोकेश बत्रा ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि SBI ने चुनावी बॉन्ड को निरस्त किए जाने का कारण नहीं बताया है। इसको लेकर उनसे फिर से जानकारी मांगने का प्रयास किया जाएगा।
लागत
चुनावी बॉन्ड की छपाई पर आया 1.85 करोड़ का खर्च
बत्रा ने बताया कि देश में 2018 से चुनावी बॉन्ड की छपाई शुरू होने के बाद अब तक छापे गए कुल बॉन्डों पर कुल 1.85 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आया है।
एक बॉन्ड की छपाई पर GST सहित कुल 28 रुपये का खर्च आता है। छपाई का पूरा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है। यह राशि करदाताओं की होती है। बिके हुए बॉन्ड यह भी दर्शाते हैं कि इन्हें अमीर कॉरपोरेट ने खरीदा है।
बिहार
बिहार चुनाव से पहले बिके 282 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड
SBI के अनुसार अनुसार बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यानी अक्टूबर में कुल 282 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके हैं।
इनके जरिए राजनीतिक पार्टियों को 6,493 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। सभी बॉन्ड दिल्ली, पटना, गांधी नगर, भुवनेश्वर आदि शाखाओं में बिके थे।
इनमें 32 बॉन्ड एक-एक करोड़ रुपये की लागत के थे। मुंबई की मुख्य शाखा से 130 करोड़, नई दिल्ली से 11.99 करोड़ और पटना से मात्र 80 लाख के बॉन्ड बिके थे।