महाराष्ट्र में तेज हुई मराठा आरक्षण की मांग, अब तक 3 युवकों ने की आत्महत्या
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग उग्र होती जा रही है। बीड जिले में एक युवक ने आरक्षण की मांग को लेकर आत्महत्या कर ली है। आंदोलन के दौरान युवक एक पानी की टंकी पर चढ़ गया और वहां से कूदकर अपनी जान दे दी। ये तीसरा मामला है, जब आरक्षण की मांग कर रहे युवक ने आत्महत्या की है। बता दें कि मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में बीते कई दिनों से प्रदर्शन हो रहे हैं।
युवक ने टंकी पर चढ़कर की नारेबाजी
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक का नाम शत्रुघ्न है और वो शुक्रवार देर रात पानी की टंकी पर चढ़ गए थे। यहां उन्होंने आरक्षण के समर्थन में नारेबाजी की आंदोलन की अगुवाई कर रहे मनोज जारांगे पाटिल से बात करने की इच्छा जताई। सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंची और शत्रुघ्न को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। पुलिस अब मामले की जांच कर रही है।
अब तक 3 युवकों ने की आत्महत्या
19 अक्टूबर को सुनील कावले का शव बांद्रा में एक फ्लाईओवर पर लटका हुआ मिला था। कावले ने अपने सुसाइड नोट में मराठा आरक्षण का जिक्र किया था। 24 अक्टूबर को बीड जिले में ही शरद अशोक नामक युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। अशोक का शव खेत में पेड़ से लटका हुआ मिला था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरक्षण आंदोलन शुरू होने के बाद कथित तौर पर कई युवा आत्महत्या कर चुके हैं।
भूख हड़ताल पर बैठे हैं जारांगे
आंदोलन की अगुवाई कर रहे जारांगे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उन्होंने आरक्षण के लिए विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। उन्होंने कहा, "हमने सरकार को 40 दिन का वक्त दिया है और मराठा आरक्षण पर अपने रुख को साबित करने के लिए जरूरी साक्ष्य पेश किए हैं। अगर इस मुद्दे पर काम कर रही समिति के कार्यकाल को विस्तार दिया तो यह आरक्षण नहीं देने की साजिश है।''
29 अगस्त से चल रहा है आंदोलन
महाराष्ट्र में ये आंदोलन 29 अगस्त से चल रहा है। जालना में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया था, इसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को माफी मांगनी पड़ी थी। इसके बाद जारांगे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी और सरकार को 40 दिन की मोहलत दी थी। ये अवधि 24 अक्टूबर को खत्म हो गई और जारांगे फिर धरने पर बैठ गए। सरकार ने इस संबंध में 5 सदस्यों की समिति गठित की है।
न्यूजबाइट्स प्लस
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी लगभग 32 प्रतिशत है। 2018 में देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने नौकरी सहित कई क्षेत्रों में मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया था। हालांकि, 2021 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने इसे रद्द कर दिया था। बता दें कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के आरक्षण का मुद्दा काफी बड़ा है। 2014 में भी इसे लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे।