उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग को बताया केंद्र का गुलाम, कहा- सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती
चुनाव आयोग के शुक्रवार को महाराष्ट्र में शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह के मामले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के हक में फैसला सुनाया है। शिंदे गुट ने जहां इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने केंद्र के गुलाम की तरह काम किया है और यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। वह फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
आयोग ने शिंदे गुट के पक्ष में सुनाया फैसला
चुनाव आयोग ने शिंदे गुट के हक में फैसला सुनाते हुए कहा था कि इस गुट को पार्टी का समर्थन प्राप्त था, इसलिए पार्टी का नाम 'शिवसेना' और चुनाव चिन्ह 'तीर-कमान' उसे दिया जाता है। 78 पेज के आदेश में आयोग ने कहा कि शिंदे गुट का समर्थन करने वाले विधायकों की पार्टी के कुल वोटों में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ऐसे में नियमानुसार यही गुट पार्टी के वास्वतविक नाम और चुनाव चिन्ह का हकदार बनता है।
मुख्यमंत्री शिंदे ने किया आयोग के फैसले का स्वागत
चुनाव आयोग के फैसले पर शिंदे गुट ने खुशी जताते हुए जमकर आतिशबाजी की थी। इसके अलावा मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा था, "मैं चुनाव आयोग का शुक्रिया अदा करता हूं। लोकतंत्र में बहुमत मायने रखता है। ये बालासाहेब की विरासत की जीत है। हमारी असली शिवसेना है।" वहीं उद्धव ठाकरे गुट की ओर से सांसद संजय राउत ने कहा था, "हमें ऐसे ही फैसले की उम्मीद थी। हमें चुनाव आयोग पर भरोसा ही नहीं है।"
ठाकरे ने बोला आयोग पर हमला
मामले में शनिवार को ठाकरे ने आयोग पर हमला बोलते हुए कहा, "आयोग ने केंद्र के गुलाम की तरह फैसला सुनाया है और यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।" उन्होंने आगे कहा, "हम फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। हमें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है। हमने कोर्ट में तर्क दिया था कि आयोग को पार्टी के चिन्ह पर अपना फैसला तब तक नहीं देना चाहिए, जब तक कि विधायकों की अयोग्यता वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं हो जाता।"
"BMC चुनाव को ध्यान में रखकर किया फैसला"
ठाकरे ने कहा, "हमें अब उम्मीद है कि बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनाव कुछ महीनों में घोषित हो जाएंगे। यह फैसला हमारे लिए अप्रत्याशित था, लेकिन आयोग ने यह फैसला BMC चुनाव को ध्यान में रखकर ही लिया है। वे अब चुनावों की घोषणा करेंगे।"
असली धनुष और तीर हमेशा मेरे पास रहेगा- ठाकरे
ठाकरे ने कहा, "शिंदे को दिया गया धनुष और तीर केवल कागजों पर है। असली धनुष और तीर हमेशा मेरे पास रहेगा। इसे बालासाहेब ठाकरे ने बनाया था और मैं इसकी पूजा करता हूं। विरोधी जल्द ही इसकी ताकत देखेंगे।" उन्होंने आगे कहा, "उनकी शिवसेना हारेगी नहीं। जनता हमारे साथ है। वे हर अन्याय और लोकतंत्र के अपमान का बदला लेंगे। मशाल जल चुकी है। हम मैदान में घुस चुके हैं और जीत हासिल होने तक पीछे नहीं हटेंगे।"
शरद पवार ने दी ठाकरे को सलाह
इस मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने कहा, "यह चुनाव आयोग का फैसला है। एक बार फैसला हो जाने के बाद कोई चर्चा नहीं हो सकती। इसे स्वीकार करें और नया चुनाव चिह्न लें।" उन्होंने आगे कहा, "इसका (पुराने चुनाव चिह्न के चले जाने का) कोई बड़ा असर नहीं होने वाला है, क्योंकि लोग नए चिन्ह को भी स्वीकार करेंगे। यह मामला बस अगले 15-30 दिनों तक ही चर्चा में रहेगा।"
पवार ने दिया कांग्रेस का उदाहरण
पवार ने कांग्रेस का उदाहरण देते हुए कहा, "मुझे याद है कि इंदिरा गांधी ने भी इस स्थिति का सामना किया था। कांग्रेस के पास 'हल के साथ दो बैल' का चुनाव चिन्ह था, लेकिन बाद में उन्होंने इसे खो दिया और 'हाथ' को एक नए प्रतीक के रूप में अपनाया। उसके बाद भी लोगों ने उसे स्वीकार कर लिया। इसी तरह लोग आपको मिले नए प्रतीक को स्वीकार करेंगे।" उन्होंने ठाकरे से शांत रहने की अपील भी की है।
क्या है पूरा मामला?
शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने जून, 2022 में 40 विधायकों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी और इससे शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार गिर गई थी। उसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली और अभी वह मुख्यमंत्री हैं। उसके बाद दोनों गुटों में पार्टी पर कब्जे को लेकर लड़ाई हुई थी और मामला चुनाव आयोग पहुंचा था।