एजेंसियों की छापे के बाद 30 कंपनियों ने भाजपा को दिया 335 करोड़ रुपये चंदा- रिपोर्ट
बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए इन पर रोक लगा दी थी। अब पार्टियों को मिलने वाली कॉरपोरेट फंडिंग को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। न्यूजलॉन्ड्री और द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 5 वित्तीय वर्षों में कई कंपनियों ने जांच एजेंसियों के छापे के बाद भाजपा को लगभग 335 करोड़ रुपये चंदा दिया। कुछ मामलों में छापे के बाद चंदे की राशि में बढ़ोतरी हुई।
23 कंपनियों ने 2014 से नहीं दिया था भाजपा को चंदा, छापे के बाद दिया
रिपोर्ट के मुताबिक, 23 कंपनियों, जिन्होंने 2014 से छापे वाले साल तक भाजपा को एक भी रुपये चंदा नहीं दिया था, उन्होंने छापा पड़ने के बाद भाजपा को 187.58 करोड़ रुपये चंदा दिया। इनमें से भी 4 कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने छापा पड़ने के 4 महीनों के भीतर ही 9.05 करोड़ रुपये पार्टी को दिए। ये आंकड़े उन कंपनियों के हैं, जिन्होंने पिछले 10 साल में एक करोड़ रुपये से ज्यादा का चंदा दिया है।
6 कंपनियों ने छापे के बाद बढ़ाई चंदे की रकम
रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 6 कंपनियां ऐसी थीं, जो भाजपा को पहले से ही चंदा दे रही थीं, लेकिन उन पर फिर भी छापा पड़ा। छापे के बाद उन्होंने चंदे की रकम बढ़ा दी। इसके अलावा 6 कंपनियां ऐसी रहीं, जिन्होंने एक साल भाजपा को चंदा नहीं दिया तो उन्हें एंजेंसियों की कार्रवाई का सामना करना पड़ा। मध्य प्रदेश की एक कंपनी ने भी कार्रवाई के बाद पार्टी को दिए जाने वाले दान में तेजी से बढ़ोतरी की।
भाजपा को ट्र्स्ट के माध्यम से मिले 1,893 करोड़ रुपये
बीते 10 साल में भाजपा को चुनावी ट्रस्ट के माध्यम से 1,893 करोड़ रुपये से अधिक चंदा मिला है। दूसरी ओर कांग्रेस को मिलने वाला चंदे में भारी कमी आई है। 2022-23 में भाजपा को चुनावी ट्रस्ट के जरिए मिले हर 100 रुपये की तुलना में कांग्रेस को मात्र 19 पैसे मिले। बता दें कि चुनावी ट्रस्ट में कंपनियां पैसे जमा करती हैं और ट्रस्ट कंपनियों की पहचान गोपनीय रखते हुए राशि को राजनीतिक पार्टियों को देता है।
चुनावी ट्रस्ट में गोपनीयता चिंता का विषय
चुनावी बॉन्ड की तरह ही ट्रस्ट में भी दानदाता की पहचान उजागर नहीं होती है। चुनावी बॉन्ड लागू होने के बाद केवल प्रूडेंट नाम से एक ट्र्स्ट काम कर रहा है, जिसको मिलने वाला ज्यादातर चंदा भाजपा को जा रहा है। विपक्षी पार्टियां आरोप लगाती रही हैं कि भाजपा सरकार प्रवर्तन निदेशालय (ED), आयकर विभाग और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जैसी एजेंसियों के छापों के जरिए कंपनियों और कारोबारियों से जबरदस्ती पैसे वसूलती है।
न्यूजबाइट्स प्लस
चुनावी ट्रस्ट को 2013 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा अधिसूचित किया गया था। ये कंपनियों द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट है, जिसका उद्देश्य अन्य कंपनियों और व्यक्तियों से मिले आर्थिक योगदान को राजनीतिक पार्टियों को वितरित करना है। ट्रस्टों को वित्तीय वर्ष के दौरान मिला कुल 95 प्रतिशत चंदा पार्टियों को देना होता है। वित्त वर्ष 2022-23 में चुनावी ट्रस्ट को मिले कुल दान का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा भाजपा को मिला था।