कोटा: एक दिन में 2 छात्रों ने की आत्महत्या, 6 महीने में 14 ने ली जान
क्या है खबर?
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए मशहूर राजस्थान के कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। मंगलवार को 2 मेडिकल छात्रों की कथित तौर पर आत्महत्या से मौत हो गई।
उदयपुर के एक 18 वर्षीय मेडिकल अभ्यर्थी ने मंगलवार सुबह अपने छात्रावास के कमरे में फांसी लगा ली। ये छात्र पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) की तैयारी कर रहा था। बाद में NEET की तैयारी कर रहे एक अन्य छात्र ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
छात्र
2 महीने पहले ही कोटा आया था छात्र
पहली घटना में मृतक की पहचान मेहुल वैष्णव के तौर पर हुई है। वो उदयपुर के सलूंबर का रहने वाला था और 2 महीने पहले कोटा आया था। फिलहाल आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चला है।
मेहुल वैष्णव समाज के हॉस्टल में रहकर पढ़ रहा था। छात्रों ने बताया कि मेहुल सुबह 11 बजे तक कमरे से बाहर नहीं आया तो वार्डन को सूचना दी गई। मेहुल के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
उत्तरप्रदे
उत्तर प्रदेश के छात्र ने भी की आत्महत्या
मंगलवार को ही विज्ञान नगर के सेक्टर 2 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले आदित्य ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आदित्य भी NEET की तैयारी कर रहा था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आदित्य के घर वालों ने मंगलवार रात मकान मालिक को फोन लगाकर बताया था कि आदित्य फोन नहीं उठा रहा है। इसके बाद मकान मालिक ने रोशनदान से देखा तो आदित्य फांसी के फंदे पर लटका मिला, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई।
घटनाएं
6 महीने में आत्महत्या की 14 घटनाएं
कोटा में बीते 6 महीने में आत्महत्या का ये 14वां मामला है। मई महीने में ही 4 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं।
पिछले साल कुल 15 छात्रों ने आत्महत्या की थी, लेकिन इस साल के शुरुआती 6 महीनों में ही 14 छात्र मौत को गले लगा चुके हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2011 के बाद से अब तक कोटा में कम से कम 121 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं।
आंकड़े
क्या कहते हैं आत्महत्या के आंकड़े?
राज्य अपराध रिपोर्ट के अनुसार, कोटा में साल 2018 से 2022 तक 47 छात्रों ने आत्महत्या की। इनमें 34 छात्र और 13 छात्राएं हैं।
2018 में 14, 2019 में 5, 2020 में 2 और 2022 में 13 छात्रों ने आत्महत्या की है।
मनोचिकित्सकों का कहना है कि छात्रों की आत्महत्या के पीछे टेस्ट में पिछड़ना, अभिभावकों की महत्वाकांक्षा, पढ़ाई संबंधी तनाव और आर्थिक तंगी जैसे कारण मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।