महामारी में कोविड एंग्जाइटी और नींद की परेशानी बढ़ी, विशेषज्ञ से जानें इससे कैसे उबरें
कोरोना काल में अपनों को खोने का डर और भविष्य की अनिश्चितताओं ने मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को बढ़ा दिया है। इन्हीं परेशानियों में एक समस्या है कोविड एंग्जाइटी। एंग्जाइटी एक मानसिक रोग है जिसमें मरीज को बेचैनी, नकारात्मक विचार, चिंता और डर का आभास होता है। जब ये आशंकाएं कोरोना से जुड़ी होती हैं, तो उसे कोविड एंग्जाइटी कहते है। इसके बारे में हमने डॉक्टर निशांत विभाष (पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर, CIP) से बात की। जानिए उन्होंने क्या कुछ कहा।
कोरोना महामारी में एंग्जाइटी के आंकड़े
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण संसाधनों की कमी, संक्रमित होने का डर और भविष्य की चिंता का मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है। इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के सर्वे की मानें तो कोरोना महामारी में प्रत्येक पांच में से एक व्यक्ति भारत में किसी न किसी मानसिक रोग से पीड़ित है। इनमें सबसे ज्यादा मामले एंग्जाइटी के हैं। महामारी के बाद मानसिक रोग के मामलों में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
ऐसे लक्षण दिखें, तो हो जाएं सतर्क
कोविड एंग्जाइटी में कोविड से संबंधित अनहोनी होने का डर हमेशा सताता है। कभी-कभी दिल का धड़कन बढ़ जाना, डर लगना, पैनिक अटैक आना, लोगों पर गुस्सा होना, चिड़चिड़ापन बढ़ना, अत्यधिक पसीना आना और घबराहट होना इसके सामान्य लक्षण हैं। नींद में कमी और काम में रुचि खत्म होना भी इसके लक्षण हैं। मामूली लक्षण समय के साथ ठीक हो जाते हैं, लेकिन गंभीर लक्षण एंग्जाइटी डिसऑर्डर में तब्दील हो जाते हैं। इन लक्षणों के प्रति सतर्क रहें।
कोविड एंग्जाइटी की सामान्य चिंताएं
कोरोना काल में खुद के साथ अपने परिवार के सदस्यों के संक्रमित होने का डर कई लोगों के मन में बैठ गया है। इसके कारण मरीज का व्यवहार बदल जाता है। संक्रमित होने के डर के कारण अत्यधिक सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना, इम्युनिटी बढ़ाने के लिए मल्टीविटामिन लेना और सप्लीमेंट्स का सेवन करना कोविड एंग्जाइटी के लक्षण हैं। अत्यधिक काढ़ा और गिलोय का सेवन करने के भी मामले सामने आए हैं, जिससे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है।
कोविड एंग्जाइटी का कारण
डॉक्टर निशांत ने हमें बताया कि जिनके परिवार में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां रहती हैं, उन्हें कभी भी एंग्जाइटी डिसऑर्डर हो सकता है। जैसे ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर (OCD), जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है। थॉयराइड, दमा, शुगर या हृदय संबंधी रोग होने के बाद एंग्जाइटी डिसऑर्डर होने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ लोगों में भम्र है कि नशे का सेवन करके इससे निजात मिल सकती है, जबकि समस्याएं इससे अधिक बढ़ जाती हैं।
स्लीप पैटर्न पर असर: इनिशियल एनोस्मिया
कोविड एंग्जाइटी के कारण स्लीप पैटर्न पर तीन तरीके से असर पड़ा है। पहली शिकायत है इनिशियल एनोस्मिया, जिसमें बेड पर जाने के बाद नींद आने में देरी होती है। कोरोना से संबंधित चिंताओं के कारण यह समस्या बढ़ गई है। कोविड एंग्जाइटी के कारण कोरोना वायरस से संबंधित जानकारियों को इंटरनेट और मोबाइल पर सर्च करने से यह समस्या और अधिक बढ़ गई है। इससे मरीज को बेड पर जाने के बाद देरी से नींद आती है।
टर्मिनल एनोस्मिया व बार-बार नींद टूटना
डॉक्टर निशांत के अनुसार, नींद से संबंधित दूसरी परेशानी है टर्मिनल एनोस्मिया। इसमें नींद लगने के बाद जल्दी नींद खुल जाती है और उसके बाद घबराहट होने लगता है। सोने के बाद अचानक आधी रात को आपकी नींद खुल जाए और फिर नींद न आए, तो यह टर्मिनल एनोस्मिया का लक्षण है। यह एक गंभीर समस्या है, जो आगे चलकर डिप्रेशन का कारण बन सकता है। तीसरी समस्या है टूट-टूट कर नींद आना या टुकड़ों में नींद पूरा होना।
उपचार और जांच की प्रक्रिया
डॉक्टर निशांत कहते हैं कि सामान्य तौर पर मरीज की हिस्ट्री लेकर कोविड एंग्जाइटी का उपचार किया जाता है। नींद की परेशानी का पता लगाने के लिए पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट की जाती है, लेकिन इसका उपचार भी मरीज की हिस्ट्री के आधार पर किया जाता है। एंग्जाइटी में मरीज को साइकोथेरेपी और काउंसलिंग की मदद से उबरने में मदद मिलती है। इसका उपचार उपलब्ध है, लेकिन इसे बिल्कुल भी हल्के में नहीं लें। लक्षण दिखने पर डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
कोविड एंग्जाइटी व नींद की कमी के जोखिम
कोविड एंग्जाइटी और नींद की कमी से किसी व्यक्ति पर दोहरी मार पड़ सकती है। इससे व्यक्ति डिप्रेशन में जा सकता है। यह नशे की प्रवृत्ति और कई प्रकार के एंग्जाइटी डिसऑर्डर का कारण बन सकता है। ये परेशानियां लंबे समय तक मरीज को प्रभावित करती हैं। लगातार एंग्जाइटी होने के कारण डायबिटीज और हाइपरटेंशन की समस्याएं बढ़ जाती हैं। इससे लोगों की इम्युनिटी कम हो सकती है, जिसकी अभी महामारी में लोगों को सबसे अधिक जरूरत है।
हेल्पलाइन नंबर पर करें संपर्क
कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निदान के लिए सरकार ने कई हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने पिछले साल निशुल्क काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया था। इस हेल्पलाइन का नंबर (1800-599-0019) है।
लाइफस्टाइल में करें बदलाव
कोरोना वायरस के कारण दिनचर्या बिगड़ गई है, जो एंग्जाइटी और नींद की परेशानी बढ़ाती है। ऐसे में सही दिनचर्या का पालन करें। लोगों से जुड़े रहें और नियमित एक्सरसाइज करें। सोने के चार घंटे पहले चाय या कॉफी का सेवन न करें। सोने और जागने का समय तय करें। जब तक नींद न आए, बेड पर न जाएं। मेडिटेशन और योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। बार-बार कोरोना से जुड़ी खबरों को सर्च न करें।