कोरोना संकट के बीच कर्नाटक में इस साल जारी हुए 78,000 ज्यादा मृत्यु प्रमाण पत्र- रिपोर्ट
कर्नाटक में इस साल अब तक जारी हुए मृत्यु प्रमाण पत्रों की संख्या पिछले सालों की इसी अवधि की तुलना में लगभग 78,000 ज्यादा है। इससे पता चलता है कि पिछले सालों की तुलना में इस साल के शुरुआती छह महीनों में राज्य में अधिक मौतें हुई हैं। मृत्यु प्रमाण पत्रों से जुड़ा यह आंकड़ा ऐसे समय सामने आया है, जब राज्य सरकार पर कोरोना से हुई मौतें छिपाने का आरोप लग रहा है।
इस साल जारी हुए 3.37 लाख मृत्यु प्रमाण पत्र
सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के अनुसार, राज्य में इस साल 15 जून तक 3,37,580 लाख मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए हैं। इनमें से 87,082 प्रमाण पत्र बृह्त बेंगलुरू महानगर पालिका (BBMP) के क्षेत्राधिकार में जारी किए गए हैं। गुरुवार को ही राज्य में 4,302 ऐसे प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। इसकी तुलना पिछले सालों से करें तो कर्नाटक में 2018 के शुरुआती छह महीनों में 2.56 लाख और 2019 में 2.67 लाख मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए थे।
इस साल हुआ 20 प्रतिशत का इजाफा
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में जारी हुए मृत्यु प्रमाण पत्रों की संख्या में 2017 की तुलना में 1.3 प्रतिशत और 2019 में 4.2 प्रतिशत का इजाफा देखा गया था। 2020 के आंकड़े अभी तक उपलब्ध नहीं हुए हैं, लेकिन अगर इसमें 5 प्रतिशत का इजाफा मान लिया जाए तो जारी होने वाली मृत्यु प्रमाण पत्रों की सख्या 2.75-2.80 लाख होगी। इस साल इस संख्या में 20 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है।
क्या कहते हैं सरकारी अधिकारी?
कर्नाटक जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रार एमबी मधु कुमार ने कहा कि हर मौत के पीछे एक मृत्यु प्रमाण पत्र के पीछे एक मौत मानना उचित नहीं है। कई बार जमीन आदि का विवाद होने पर परिजन प्रमाण पत्र की एक से अधिक कॉपियां निकलवाते हैं। कई मामलों में बीते सालों के दौरान हुई मौत के प्रमाण पत्र भी जारी किए जाते हैं। विश्लेषण में सामने आया है कि डुप्लिकेट प्रमाण पत्र करीब 5 प्रतिशत हैं।
सरकार पर 15,000-20,000 कोविड मौतें कम दिखाने का आरोप
महामारी का विश्लेषण करने वाले एक डाटा प्रोजेक्ट से जुड़े संजीव मैसूर कहते हैं कि अगर महामारी नहीं आती तो कर्नाटक में लगभग 2.95-3 लाख के बीच मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने थे। यह आंकड़ा इस साल जारी हुए मृत्यु प्रमाण पत्रों की तुलना में काफी कम है। राज्य सरकार ने 1 जनवरी से 15 जून तक 20,521 मौतें होने की बात कही है। इस आधार पर मैसूर ने कहा कि मौतों के आंकड़े में 15,000-20,000 का अंतर है।
बाकी राज्यों ने भी छिपाए आंकड़े- मैसूर
मैसूर ने कहा कि वो बीमा के लिए किए दावों के विश्लेषण के आधार पर कह रहे हैं कि तेलंगाना और गुजरात ने भी कोरोना से हुई 15,000-20,000 मौतों को छिपाया है और उन्होंने इसकी जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय को भी दी है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र ने कोरोना से हुई मौतों को ताजा आंकड़ों में जोड़ना शुरू कर दिया है। इसका मतलब यह है कि पहले सारी मौतों का सही आंकड़ा पेश नहीं किया गया था।
सरकार पर लग रहे मौतें छिपाने के आरोप
कई राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार पर भी कोरोना से हुई मौतों की असल संख्या न बताने के आरोप लगे हैं। पिछले महीने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया था अलग-अलग अनुमानों के आधार पर भारत में कोरोना से 6-42 लाख तक मौतें हुई हैं। इसे लेकर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा था। बाद में सरकार ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए पूरी तरह से झूठी और आधारहीन करार दिया था।