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    #NewsBytesExclusive: नए IT नियमों के बाद आएगा प्राइवेसी कानून? जानिए विशेषज्ञ की राय
    एक्सक्लूसिव

    #NewsBytesExclusive: नए IT नियमों के बाद आएगा प्राइवेसी कानून? जानिए विशेषज्ञ की राय

    लेखन प्राणेश तिवारी
    June 17, 2021 | 10:57 am 1 मिनट में पढ़ें
    #NewsBytesExclusive: नए IT नियमों के बाद आएगा प्राइवेसी कानून? जानिए विशेषज्ञ की राय
    सोशल मीडिया कंपनियों ने नए नियमों से जुड़े बदलाव लागू कर दिए हैं।

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए साल की शुरुआत में नए IT नियम लाए गए और पिछले महीने के आखिरी सप्ताह से ये प्रभाव में आ गए हैं। नए नियमों को लेकर असमंजस की स्थिति भी देखने को मिली और सवाल उठे कि इनके साथ 'फ्री स्पीच' को प्रभावित करने की कोशिश तो नहीं हो रही। IT नियम, 2021 के मायने क्या हैं, यह जानने के लिए न्यूजबाइट्स ने पॉलिसी थिंक टैंक 'द डायलॉग' के फाउंडर काजिम रिजवी से बात की।

    क्या हैं सरकार की ओर से लाए गए नए नियम?

    IT नियम, 2021 के मायने और प्रभाव पर चर्चा करने से पहले जरूरी है कि आप नियमों के बारे में जान लें। सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से यूजर्स की शिकायतों का निपटारा करने के लिए मैकेनिज्म तैयार करने को कहा है और तीन पद तय किए हैं। इसके अलावा तय वक्त में कार्रवाई करने की बाध्यता तय की गई है और जरूरत पड़ने पर मेसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर ट्रेसिंग की मांग भी की गई है।

    क्यों पड़ी नए IT नियमों की जरूरत?

    काजिम रिजवी ने हमें बताया कि सोशल मीडिया पर चाइल्ड पॉर्नोग्राफी, मिस-इन्फॉर्मेशन और फेक न्यूज जैसी चुनौतियां लंबे वक्त से देखने को मिल रही थीं। यह मुद्दा पिछले कुछ साल से ज्यादा चर्चा में आया और सरकार ने दिसंबर, 2018 में इससे जुड़ी पहल करते हुए और गाइडलाइन्स का एक ड्राफ्ट निकाला था। सरकार ने इस ड्राफ्ट पर फीडबैक लेने के बाद सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी तय करने का मन बनाया और नए नियम तैयार किए गए।

    इससे पहले कौन से नियम लागू थे?

    काजिम ने बताया कि नए IT नियम, 2021 से पहले भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कुछ रेग्युलेशंस लगे थे और उन्हें IT नियम और दूसरे कानूनों का पालन करते हुए काम करना होता था। हालांकि, सोशल मीडिया पर शेयर किए गए किसी कंटेंट के लिए अब तक पोस्ट करने वाले यूजर को जिम्मेदार माना जाता था और उसके खिलाफ IPC के तहत कानूनी कार्रवाई हो सकती थी। यानी कि ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को जिम्मेदार नहीं माना जाता था।

    प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट हटाने की जिम्मेदारी

    नई गाइडलाइन्स लागू होने के बाद क्या बड़े बदलाव हुए हैं, इसपर काजिम ने बताया, "अब तक न्यायालय के आदेश या सरकार की ओर से निर्देश दिए जाने पर प्लेटफॉर्म्स को कंटेंट हटाना होता था, लेकिन नए नियम यह जिम्मेदारी खुद प्लेटफॉर्म्स को सौंपते हैं।" यानी कि प्रो-ऐक्टिव होकर प्लेटफॉर्म्स को विवादित या आपत्तिजनक कंटेंट हटाना होगा और ऐसा ना करने की स्थिति में उन्हें जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई की जा सकती है।

    क्या हैं नए IT नियमों के फायदे?

    'द डायलॉग' फाउंडर ने कहा कि नया मैकेनिज्म बनने के बाद कंटेंट हटाए जाने पर अपील करने का विकल्प यूजर्स को मिलेगा। यूजर्स ग्रीविएंट ऑफिसर्स से सीधे संपर्क कर शिकायत कर पाएंगे। इसके अलावा प्लेटफॉर्म्स हर महीने कंप्लायंस रिपोर्ट भी तैयार करेंगे और बताएंगे कि उन्होंने शिकायतों का निपटारा कैसे किया। सरकार समझ रही है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रेग्युलेशन जरूरी है, जिससे इससे जुड़ी चेतावनियों और खतरों से निपटा जा सके।

    IT नियम, 2021 में कितने सुधार की गुंजाइश?

    नए नियमों को सकारात्मक पहल मानते हुए काजिम ने इस बात पर जोर दिया कि गाइडलाइन्स का स्पष्ट होना जरूरी है। काजिम कहते हैं, "नए नियमों से पहले प्राइवेसी कानून लाया जाना बेहतर होता, जिससे यूजर्स का भरोसा बरकरार रहे।" उन्होंने कहा, "सरकार डाटा किन स्थितियों में जुटाएगी या मांगेगी, यह साफ होना चाहिए। इसके अलावा नए नियमों में प्लेटफॉर्म्स की ओर से नियुक्त किए गए अधिकारियों की व्यक्तिगत कानूनी जवाबदेही तय करना भी चिंताजनक है।"

    छोटे प्लेटफॉर्म्स के पास मॉनीटरिंग टूल्स नहीं

    उन्होंने कहा कि फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स के पास प्रो-ऐक्टिव मॉनीटरिंग के लिए AI टूल्स और सॉफ्टवेयर हैं, लेकिन अन्य छोटे प्लेटफॉर्म्स के साथ ऐसा नहीं है। उनके लिए टेकडाउन और मॉनीटरिंग सिस्टम तैयार करना उनका खर्च पहले के मुकाबले बढ़ा देगा।

    एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन बरकरार रखना अब चुनौती

    व्हाट्सऐप, सिग्नल और टेलीग्राम जैसे ऐप्स पर मिलने वाला एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन नई गाइडलाइन्स के चलते खतरे में है। सरकार ट्रेसिबिलिटी की मांग कर रही है और ऐसा करने के लिए एनक्रिप्शन तोड़ना होगा। काजिम ने कहा कि एनक्रिप्शन तोड़ने और चैट ऐक्सेस करने के बजाय प्लेटफॉर्म्स से मिलने वाले मेटाडाटा की मदद से टारगेट की प्रोफाइलिंग की जा सकती है। बता दें, एनक्रिप्शन के चलते डाटा चोरी और चैट लीक्स का खतरा लगभग ना के बराबर हो जाता है।

    क्या होता है मेटाडाटा?

    मेटाडाटा किसी यूजर के IP एड्रेस, फोन नंबर और लोकेशन जैसी जानकारी होती है। इस तरह के डाटा की मदद कई ऐप्स और प्लेटफॉर्म्स यूजर की प्रोफाइलिंग करते हैं और इस आधार पर उसे ऐड दिखाते हैं।

    कहीं 'फ्री स्पीच' के लिए खतरा ना बनें नियम?

    बड़ा सवाल यह है कि IT नियम, 2021 की गाइडलाइन्स का गलत इस्तेमाल हो सकता है या नहीं। काजिम कहते हैं कि नए नियमों में कुछ कमियां हैं, जिनके चलते इनके गलत इस्तेमाल की गुंजाइश जरूर दिखती है। उन्होंने कहा, "किसी भी नियम के गलत इस्तेमाल की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए और उससे जुड़े सभी पहलू स्पष्ट हों तो ऐसा नहीं होगा।" गाइडलाइन्स लागू करने की मंशा बेशक सही हो, लेकिन इसके प्रभाव बाद में साफ दिखेंगे।

    जल्द आएगा प्राइवेसी कानून?

    नए IT नियमों के अलावा सरकार लंबे वक्त से डाटा सुरक्षा कानून और प्राइवेसी कानून लाने पर भी विचार कर रही है। काजिम ने बताया कि प्राइवेसी कानून से जुड़ा बिल जल्द पास हो सकता है और इसके बाद एंड यूजर्स को उन ऐप्स और सर्विसेज से सुरक्षा मिलेगी, जो गैर-जरूरी डाटा जुटाती हैं। यह कानून लागू होने के बाद डाटा चोरी से जुड़ी गलत प्रैक्टिस के बदले यूजर्स कार्रवाई की मांग कर सकेंगे और न्यायालय जा सकेंगे।

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