उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है डैश डाइट, जानिए इससे जुड़ी अहम बातें
गलत खान-पान, शारीरिक गतिविधियों में कमी और मानसिक तनाव आदि के कारण हर उम्र का व्यक्ति उच्च रक्तचाप की घातक समस्या से ग्रसित हो सकता है। ऐसा नहीं है कि इस समस्या से बचा नहीं जा सकता है और इसके लिए आपको संतुलित दिनचर्या और डाइट का पालन करने की जरूरत है। डाइट की बात करें तो इसमें डैश डाइट आपके लिए काफी फायदेमंद सिद्ध हो सकती है। चलिए फिर आपको डैश डाइट के फायदों के बारे में बताते हैं।
क्या है डैश डाइट?
डैश डाइट एक साधारण डाइट की तरह ही है और इसमें फल, सब्जियां, सूखे मेवे, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद और बीन्स आदि शामिल होते हैं। इस डाइट में आपको केवल 1,500-2,300 मिलीग्राम सोडियम का सेवन करना होता है। इसके अलावा आपको शुगर, फैट और जंक फूड के उपयोग को भी नियंत्रित करना होगा। यहीं नहीं, यह डाइट हृदय रोग, मोटापा और कुछ तरह के कैंसर के जोखिम को कम करने में भी मददगार है।
डैश डाइट से कैसे नियंत्रित होता है उच्च रक्तचाप?
120/80 रक्तचाप (सिस्टोलिक/डायस्टोलिक) सामान्य माना जाता है और डैश डाइट इसमें मदद कर सकती है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि डैश डाइट में सोडियम की मनाही के कारण रक्तचाप में कमी आती है। इससे व्यक्तियों के सिस्टोलिक रक्तचाप में 12 mmHg और डायस्टोलिक रक्तचाप में 5 mmHg की कमी दर्ज की गई। वहीं सामान्य रक्तचाप वाले जिन लोगों ने डैश डाइट अपनाई, उनके सिस्टोलिक रक्तचाप में 4 mmHg और डायस्टोलिक रक्तचाप में 2 mmHg की कमी आई।
डैश डाइट में किन खाद्य पदार्थों को शामिल करना है सही?
अगर आप डैश डाइट फॉलो करने का प्लान बना रहे हैं तो अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा साबुत अनाज, फल और सब्जियों के साथ-साथ कम वसा वाले डेयरी उत्पादों को शामिल करें। इसके अलावा जितना संभव हो सके उतना तैलीय और नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें। किसी भी तरह के जंक फूड का सेवन तो भूल से भी न करें। इसी के साथ डॉक्टरी सलाह लेकर खाने में नमक का कम इस्तेमाल करें।
डैश डाइट के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
1) अगर आप वजन नियंत्रित करने के लिए डैश डाइट को फॉलो कर रहे हैं तो जितनी एनर्जी आपको खाने से मिलती है, आपको उससे अधिक एनर्जी बर्न करनी होगी। 2) अपनी रोजाना के कैलोरी पर ध्यान दें और शुगर और सोडियम से भरपूर चीजों से दूर बनाकर रखें। 3) अपने एक्टिविटी लेवल को समीक्षा करके जानें कि आपकी एक्टिविटी वजन नियंत्रित करने में कितनी हेल्प कर रही है और आप कितना चलते हैं और कितनी फिजिकल एक्टिविटी करते हैं।