
'शैतान' रिव्यू: अभिनय में अजय देवगन पर भारी पड़े आर माधवन, यहां रह गई कमी
क्या है खबर?
अजय देवगन की फिल्म 'दृश्यम' का विजय सलगांवकर तो आपको याद ही होगा, वही किरदार जो अपनी बेटी को बचाने के लिए हर हद पार कर जाता है।
अब एक बार फिर अजय फिल्म 'शैतान' के जरिए ऐसी ही कहानी लाए हैं, जिसमें वह पिता बन शैतान से अपनी बेटी को बचाने की कोशिश करेंगे।
विकास बहल द्वारा निर्देशित यह फिल्म सस्पेंस और हॉरर से भरपूर है।
आइए जानते हैं आज (8 मार्च) सिनेमाघरों में आई यह फिल्म कैसी है।
कहानी
क्या है फिल्म की कहानी?
यह कहानी कबीर (अजय) और उसके हंसते-खेलते परिवार की है, जो अपनी पत्नी ज्योति (ज्योतिका), बेटी जाह्नवी (जानकी बोदीवाला) और बेटे ध्रुव (अंगद राज) के साथ अपने फार्म हाउस पर छुट्टियां मनाने जाता है।
यहां बीच रास्ते में एक रेस्तरां पर कबीर, वनराज (आर माधवन) से टकराता है, जो उनका पीछा करते-करते फार्महाउस तक पहुंच जाता है।
वनराज जाह्नवी को अपने वश में कर लेता है और उसे कठपुतली की तरह अपने इशारों पर नचाता है।
विस्तार
शुरू होगी बेटी को बचाने की जंग
अब काले जादू के चंगुल में फंसी जाह्नवी न अपने भाई का सिर फोड़ने से कतराती है, न पिता को थप्पड़ मारने से।
वनराज, जाह्नवी को अपने साथ ले जाना चाहता है, लेकिन उसके लिए उसे कबीर और ज्योति से अनुमति चाहिए।
एक ओर कबीर और ज्योति इसके लिए राजी नहीं हैं तो उनके बेटे की भी जिंदगी दांव पर लगी है।
ऐसे में वे बेटी को बचाने के लिए किस हद तक जाएंगे, यही देखने वाली बात है।
अभिनय
अभिनय में अव्वल रहे माधवन
खुद को "भगवान" कहने वाले वनराज के किरदार में माधवन कमाल के लगते हैं। शैतान बनकर शुरुआत से ही वह अपने उम्दा प्रदर्शन से आपकी नजरें हटने नहीं देते।
अजय एक बेबस पिता के किरदार में खूब फबते हैं, जो अपनी बेटी को बचाने के हर हद को पार करने को राजी है।
हालांकि, दमदार अदाकारी के बाद भी अजय की स्क्रीन पर थोड़ी कमी खलती है। दरअसल, खलनायक बने माधवन कई हिस्सों में उन पर भारी पड़ते हैं।
प्रदर्शन
जानकी का प्रदर्शन भी लाजवाब
'शैतान' की कहानी जानकी के किरदार के इर्द-गिर्द बुनी गई है, जो मूल गुजराती फिल्म 'वश' के लिए भी वाहवाही बटोर चुकी हैं। वह शैतान के कहने पर हंसने, रोने, नाचने से लेकर अपने परिवार की ही जान लेने वाले सीन में लाजवाब लगती हैं।
ज्योतिका के डायलॉग कम हैं, लेकिन माधवन के साथ उनकी भिड़ंत का दृश्य अच्छा है। मां की भूमिका में उनका प्रदर्शन काबिल-ए-तारीफ है।
छोटे बेटे बने अंगद ने भी फिल्म में अच्छा काम किया है।
निर्देशन
कैसे रहा निर्देशन?
'क्वीन' जैसी फिल्मों के लिए जाने वाले विकास 'शैतान' के साथ कुछ नया लेकर आए हैं। इसके जरिए वह डराने में सफल रहे तो उनसे चूक भी हुई।
फिल्म का पहला भाग जहां कहानी बिठाने और वशीकरण दिखाने में निकल गया तो दूसरा भाग हड़बड़ी में बनाया हुआ लगता है।
हालांकि, उनके पास मंझे हुए कलाकार थे, जिसके साथ उन्होंने पर्दे पर अच्छा काम किया है।
ऐसे में सितारों का अभिनय इसकी कमियों को काफी हद तक ढक देता है।
कमियां
लेखन में खलेगी बड़ी कमी
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर कमाल है, जो इसके दृश्यों में जान डालता है तो एडिटिंग भी बढ़िया है।
हालांकि, लेखन इसकी सबसे बड़ी कमी है। लेखक आमिल कियान खान और कृष्णदेव याग्निक ने इसमें सस्पेंस-थ्रिलर तो डाला, लेकिन कई सवालों को नजरअंदाज कर दिया।
वनराज कौन हैं, कहां से आया और कैसे वह लड़कियों को चुनता है? उसके लिए जाह्नवी को ले जाने के लिए माता-पिता की अनुमति क्यों जरूरी है? जैसे कई सवाल मन में ही रह जाते हैं।
जानकारी
कैसा है क्लाइमैक्स?
फिल्म का क्लाइमैक्स अच्छा है, जिसे देखकर एक बार तो आपको 'दृश्यम' का विजय याद आ ही जाएगा। हां, लेकिन इसकी कहानी आखिर में ऐसी होती जाएगी कि आपको समझ आ जाता है कि अगले पल क्या होने वाला है, जो मजा किरकिरा करता है।
निष्कर्ष
देखें या नहीं देखें?
क्यों देखें?- सितारों का अभिनय इस फिल्म को देखने की अहम वजह है। खासकर माधवन और जानकी आपका दिल जीत लेंगे। अगर हॉरर फिल्मों के शौकीन हैं तो इसे देखकर मजा आना तय है।
क्यों न देखें?- हॉरर फिल्में डराती हैं तो इससे दूरी ही बेहतर है। सितारों के अभिनय को हटा दिया जाए तो काले जादू की कहानी पुरानी बॉलीवुड फिल्मों की याद दिलाती है। ऐसे में इसके OTT पर आने का इंतजार कर सकते हैं।
न्यूजबाइट्स स्टार- 2.5/5