कौन हैं 'भारत के एडिसन' जीडी नायडू, जिनकी बायोपिक से जुड़े आर माधवन?
क्या है खबर?
आर माधवन को बायाेपिक फिल्मों से प्रेम हो गया है। फिल्म 'रॉकेट्री' में वैज्ञानिक नांबी नारायण का सफरनामा पर्दे पर उतारने के बाद अब उन्होंने एक और बायोपिक साइन कर ली है, जबकि सी शंकरन नायर की बायोपिक में वह पहले से ही काम कर रहे हैं।
माधवन अब 'भारत के एडिसन' माने जाने वाले जीडी नायडू का जीवन और उनकी उपलब्धियां पर्दे पर पेश करने वाले हैं।
आइए आपको नायडू के बारे में विस्तार से बताते हैं।
घोषणा
जारी हुआ फिल्म का पोस्टर
माधवन की इस फिल्म का पहला पोस्टर भी सामने आ गया है। प्रोडक्शन हाउस मीडियावन ग्लोबल एंटरटेनमेंट लिमिटेड ने ट्वीट कर इसकी घोषणा की है। इस ट्वीट को माधवन ने रीट्वीट किया है।
पोस्टर में एक नायडू अपने गैराज में कैमरे की तरफ पीठ करते दिख रहे हैं। माधवन के फिल्म में होने से उनके प्रशंसकों की खुशी का ठिकाना नहीं है। एक फैन ने लिखा, 'इस महान वैज्ञानिक की कहानी के साथ केवल माधवन ही न्याय कर सकते हैं।'
ट्विटर पोस्ट
यहां देखिए पोस्टर
Mediaone Global Entertainment Limited signed with GD Naidu charities to make a Biopic on the life and achievements of Miracle man #GDNaidu with@ActorMadhavan as the lead.@ActorMadhavan@Mediaone_M1@ActressGheetha@vijaymoolan@ProSrivenkatesh pic.twitter.com/hkbUYVrgcs
— Mediaone Global Entertainment Limited (@Mediaone_M1) April 6, 2023
शुरुआती जीवन
एक किसान के बेटे थे नायडू
जीडी उर्फ गोपालस्वामी दोराईस्वामी नायडू का जन्म 23 मार्च, 1893 को कलंगल, कोयंबटूर में हुआ था। वह एक किसान के बेटे थे। उनका बचपन गुरबत में बीता।
नायडू ने मोटरसाइकिल खरीदने के लिए पैसे बचाने के इरादे से कोयम्बटूर के एक होटल में बतौर वेटर काम किया। बाद में वह एक मैकेनिक बन गए।
बता दें कि नायडू ने वो बाइक 300 रुपये में खरीदी थी, जो आज भी जीडी नायडू के नाम पर कोयंबटूर संग्रहालय में संरक्षित है।
शिक्षा
महज तीसरी कक्षा तक पढ़े
आजकल अगर आपको इंजीनियर या वैज्ञानिक बनना है तो आपके पास इससे संबंधित डिग्री होनी जरूरी है। इन डिग्रियों के बिना अपने क्षेत्र से जुड़ीं कंपनियों में नौकरी मिलने की गुंजाइश न के बराबर हो जाती है।
इस मामले में नायडू देशभर के उन युवाओं के लिए मिसाल हैं, जो वैज्ञानिक बनने का सपना देखते हैं। वह भारत के एक ऐसे वैज्ञानिक और आविष्कारक हैं, जो महज तीसरी कक्षा तक पढ़े थे क्योंकि उन्हें स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था।
आविष्कार
भारत में पहली इलेक्ट्रिक मोटर का आविष्कार
1937 में नायडू ने भारत की पहली इलेक्ट्रिक मोटर का निर्माण किया। एक आविष्कारक के रूप में वह अपने प्रयोग को लेकर हमेशा आश्वस्त रहते थे।
इनके दूसरे आविष्कारों में इलेक्ट्रिक रेजर, जूसर, एक टेंपर प्रूफ वोटिंग मशीन और केरोसिन से चलने वाला पंखा भी शामिल था।
नायडू का दावा था कि वह सिर्फ 70 रुपये में 5 वाॅल्व वाला रेडियो सेट और 2,000 रुपये में 2 सीटर पेट्रोल कार बना सकते हैं।
भूमिका
इन क्षेत्रों में अहम योगदान
नायडू की इन्हीं खूबियों के कारण उन्हें 'मिरेकल मैन' और 'एडिसन ऑफ इंडिया' कहा जाता है। उनका योगदान मुख्य रूप से औद्योगिक था, लेकिन यह इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, कृषि और ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी फैला हुआ था।
नायडू लोक कल्याण से जुड़े काम करने और ज्ञान बटोरने के लिए हमेशा लालायित रहते थे। उन्होंने अपनी तकनीकी समझ बढ़ाने के लिए जर्मनी के कई वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्रों की यात्रा की।
4 जनवरी, 1974 को उन्होंने आखिरी सांस ली थी।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
जीडी नायडू पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बन चुकी है, जिसका नाम है 'जीडी नायडू- द एडिसन ऑफ इंडिया'। के रंजीत कुमार इसके निर्देशक थे। फिल्म्स डिविजन ऑफ इंडिया के बैनर तले बनी इस डॉॅक्यूमेंट्री ने सर्वश्रेष्ठ विज्ञान और तकनीक फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था।