#NewsBytesExplainer: बिहार में करोड़ों का ठेका JDU सांसद के परिजनों को देने पर क्या विवाद है?
क्या है खबर?
बिहार में आपाताकालीन सेवा के तहत चलने वालीं हजारों एम्बुलेंस के करोड़ों के ठेके को लेकर विवाद छिड़ गया है।
एम्बुलेंस चलाने का ठेका जिस कंपनी को दिया गया है, वह राज्य में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (JDU) के सांसद चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी के करीबी परिजनों की है।
भाजपा ने ठेका देने में पक्षपात और अनियमतता का आरोप लगाते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।
आइए जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है।
मामला
कैसे हुई मामले की शुरुआत?
बिहार सरकार ने पिछले महीने राष्ट्रीय आपातकालीन सेवा 'डायल 102' के तहत चलने वालीं 2,125 एम्बुलेंस का करीब 1,600 करोड़ रुपये का ठेका पटना स्थित पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड (PDPL) को दिया था।
यह कंपनी जहानाबाद लोकसभा सीट से JDU सांसद चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी के परिजनों की है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस एजेंसी में चंद्रवंशी के बेटे सुनील कुमार, बहु नेहा रानी और साले योगेश प्रसाद निराला समेत कई अन्य रिश्तेदार निदेशक पद पर हैं।
नियम
सरकार पर क्या आरोप?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने एम्बुलेंस का ठेका देने के लिए नियमों में बदलाव किया।
नियमों के अनुसार, ठेका लेने के लिए किसी भी कंपनी के पास पिछले 3 वर्षों के दौरान 50 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस समेत कुल 750 एंबुलेंस को चलाने का अनुभव होना चाहिए। इसके अलावा कंपनी के पास 75 सीटों का कॉल सेंटर होना चाहिए।
हालांकि, PDPL के पास बिहार में अकेले एंबुलेंस संचालन करने का कोई अनुभव नहीं है।
कंपनी
कंपनी को लगातार दूसरी बार मिला है ठेका
PDPL को एंबुलेंस चलाने के लिए लगातार दूसरी बार ठेका मिला है। 2017 में PDPL और सम्मान फाउंडेशन को संयुक्त रूप से करीब 650 एम्बुलेंस चलाने के लिए 400 करोड़ रुपये का ठेका मिला था।
हालांकि, इस बार PDPL ने एकल रूप से यह ठेका हासिल किया है, जबकि उसे अकेले एम्बुलेंस चलाने का अनुभव नहीं है
सम्मान फाउंडेशन ने इस बार मुंबई की बीवीजी इंडिया लिमिटेड और अन्य 2 कंपनियों के साथ मिलकर बोली लगाई थी।
मामला
सबसे पहले RJD विधायकों ने उठाया था मुद्दा
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के 3 विधायकों ने पिछले साल जुलाई में ठेके की प्रक्रिया को लेकर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को पत्र लिखा था। उन्होंने कहा था कि ठेके की बोली के दस्तावेज लीक हो गए थे, इसलिए दोबारा से बोली लगाई जानी चाहिए।
अगस्त, 2022 को नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ नाता तोड़ लिया था और RJD के साथ मिलकर सरकार बना ली थी, जिसके बाद RJD ने दोबारा मामला नहीं उठाया।
मामला
क्या मामले में कोई कानूनी कार्रवाई हुई है?
PDPL के 2 प्रतिद्वंदियों ने पिछले साल दिसंबर में ठेके की प्रक्रिया में पक्षपात के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट ने ठेके में कथित तौर पर पाई गईं गड़बड़ियों का संज्ञान लेते हुए इस पर रोक लगा दी थी और स्वास्थ्य समिति से जवाब मांगा था।
हालांकि, इस साल अप्रैल में कोर्ट ने ठेके की प्रक्रिया पर लगी रोक को हटा दिया, जिसके बाद प्रक्रिया दोबारा शुरू हुई और PDPL को ठेका मिल गया।
बयान
सांसद ने मामले को लेकर क्या कहा?
सांसद चंद्रवंशी ने पक्षपात के आरोपों के बीच लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए उनके रिश्तेदारों को ठेका मिलने पर कहा, "हम सभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जानते हैं, वह किसी का पक्ष नहीं लेते हैं।"
उन्होंने कहा, "PDPL एक स्थापित कंपनी है, जो पेट्रोलियम, शराब व्यापार और परिवहन व्यवसाय में रह चुकी है और 'डायल 102' एम्बुलेंस के लिए ठेका योग्यता के आधार पर दिया गया है। अब हम एम्बुलेंस सेवा में स्थापित हैं।"
आरोप
विपक्षी पार्टी भाजपा का क्या कहना है?
भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मामले को लेकर कहा, "जिस कंपनी को ठेका दिया गया है, उसमें कई गड़बड़ियां पाई गई हैं। जिस तरह से यह फैसला लिया गया है, वह गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।"
उन्होंने कहा, "भाजपा इस मामले की ईमानदार जांच की उम्मीद करती है। जब तक यह स्पष्ट नहीं हो जाता, तब तक उसका ठेका रद्द किया जाना चाहिए।"