आखिर कौन हैं 'नाटु-नाटु' गाना बनाने वाले एमएम कीरवानी, एसएस राजामौली से क्या है रिश्ता?
क्या है खबर?
एसएस राजामौली की फिल्म 'RRR' के गाने 'नाटु-नाटु' को हाल ही में 'गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड' मिला था। इस सुपरहिट गाने काे एमएम कीरवानी ने कंपोज किया है।
बता दें, कीरवानी ने कई मशहूर गानों जैसे 'गली में आज चांद निकला', 'जादू है नशा है', 'आ भी जा आ भी जा' काे कंपोज कर चुके हैं।
परंतु, इन गानों में कीरवानी का नाम एमएम करीम लिखा है। क्यों? आइए जानते हैं।
करियर
राजामौली के भाई हैं कीरवानी
कीरवानी, साउथ के मशहूर निर्देशक राजामौली के कजिन हैं।
बता दें, जब कीरवानी ने फिल्म में इंडस्ट्री में कदम रखा था तब राजामौली महज 13 साल के थे।
कीरवानी ने अपने करियर की शुरुआत साल 1987 में आई फिल्म 'कलेक्टर गरी अब्बायी' से की थी। इस फिल्म उन्होंने बतौर साउंडट्रेक असिस्टेंट काम किया था।
परंतु कीरवानी को कामयाबी बॉलीवुड निर्देशक राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'क्षण क्षणम' से मिली। इस फिल्म में कीरवानी ने बतौर म्यूजिक डायरेक्टर काम किया था।
नाम
भिन्न-भिन्न फिल्म इंडस्ट्रीज के लिए रखा अलग-अलग नाम
क्या आपको पता है, कीरवानी ने भिन्न-भिन्न फिल्म इंडस्ट्रीज के लिए अपने अलग-अलग नाम रखें हैं?
तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें उनके मूल नाम कीरवानी से ही जाना जाता है, जबकि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उनका नाम 'एमएम करीम' है, वहीं तमिल और मलयालम में वह 'मराकादमनी' के नाम से काम करते हैं।
इस बात का खुलासा तब हुआ जब प्रोड्यूसर रामोजी राव और कीरवानी की नोक-झोंक हो गई थी।
जानकारी
कैसे हुआ तीन नामों का खुलासा?
दरअसल, कीरवानी रामोजी की एक फिल्म का गाना कंपोज करने वाले थे, लेकिन क्रिएटिव डिफरेंसेस की वजह से कीरवानी ने फिल्म छोड़ दी।
रामोजी भी नए कंपोजर की तलाश में निकल पड़े। इस दौरान उन्हें फिल्म 'सुर' के गाने काफी पसंद आए और उन्होंने इस फिल्म के कंपोजर से संपर्क करने की कोशिश की।
बता दें, इस फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर का नाम एमएम करीम था। जब रामोजी ने उनसे संपर्क किया तब पता चला कि "गंगाधर ही शक्तिमान था।"
जानकारी
गुरु की भविष्यवाणी की वजह से रखे तीन नाम
दरअसल, जब कीरवानी 30 साल के थे तब उनकी मुलाकात एक गुरुजी से हुई थी।
गुरुजी ने कीरवानी की असमय मृत्यु की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा था कि इससे बचने के लिए कीरवानी को डेढ़ साल तक संन्यासी की भांति रहना होगा।
कीरवानी को समझ नहीं आया और उन्होंने गुरुजी से पूछा कि परिवार से दूर रहना अलग बात है, लेकिन काम के बिना कैसे रहेंगे?
तब गुरुजी ने कीरवानी को नाम बदलकर काम करने की सलाह दी थी।