'खिचड़ी 2' रिव्यू: हंसी-ठिठोली के साथ खुफिया मिशन पर लेकर जाएगा पारेख परिवार, मिलेगा भरपूर मजा
सलमान खान की फिल्म 'टाइगर 3' के दिवाली धमाके के बाद अब दर्शकों को हंसी से लोटपोट करने के लिए फिल्म 'खिचड़ी 2' ने सिनेमाघरों का दरवाजा खटखटा दिया है। छोटे पर्दे पर वर्षों तक दर्शकों का मनोरंजन करने के बाद पारेख परिवार अब 13 साल बाद फिर से बड़े पर्दे पर लौट आया है, जिसमें कॉमेडी और ड्रामे का मजेदार संगम देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं कि आतिश कपाड़िया के निर्देशन में बनी फिल्म 'खिचड़ी 2' कैसी है।
खुफिया मिशन पर निकला पारेख परिवार
'खिचड़ी 2: मिशन पंथुकिस्तान' की कहानी एक खुफिया मिशन पर आधारित है, जिसमें पारेख परिवार दुनिया को बचाने की कोशिश में जुटा है। पंथुकिस्तान के राजा का चेहरा प्रफुल्ल (राजीव मेहता) से काफी मिलता-जुलता है। ऐसे में पारेख परिवार उसके राज्य में बदलाव लाने का फैसला लेता है। इसके बाद प्रफुल्ल को राजा की चाल-ढाल सिखाई जाती और फिर कहानी की परतें खुलती हैं, जो मिशन को पूरा करने के साथ एक हंसी से लोटपोट यात्रा पर लेकर जाती है।
सितारों ने शानदार अभिनय से जमाया रंग
फिल्म के सभी कलाकारों ने अपनी अदाकारी से दिल जीत लिया है तो हंसा के रूप में हुई सुप्रिया पाठक की वापसी काबिल-ए-तारीफ है। राजीव भी प्रफुल्ल और पंथुकिस्तान के राजा की दोहरी भूमिका में अपनी बहुमुखी प्रतिभा दिखाने में सफल रहे हैं तो बाबूजी बने अनंग देसाई का प्रदर्शन भी उम्दा है। जयश्री भाभी बनी वंदना पाठक और हिमांशु के रूप में जमनादास मजेठिया ने भी अपने अभिनय से इस फिल्म में कॉमेडी का जबरदस्त तड़का लगाया है।
कैमियो भी रहे शानदार
फिल्म में परमिंदर बन हुई कीर्ति कुल्हारी की वापसी और प्रतीक गांधी की पायलट के रूप में उपस्थिति ट्विस्ट लाती है, वहीं डॉन के रूप में निर्देशक फराह खान का कैमियो बढ़िया लगता है। कीकू शारदा, फ्लोरा सेनी और देवेन भोजानी भी उम्दा लगते हैं।
दोहराव करता है परेशान
आतिश ने फिल्म के लेखन के साथ निर्देशन की जिम्मेदारी भी संभाली है। निर्देशन में वह अव्वल रहे हैं तो कहानी में उनसे थोड़ी चूक हो गई है। सितारों की कॉमिक टाइमिंग जबरदस्त है, जो दर्शकों को हंसाने में कामयाब रहती है। हालांकि, 'खिचड़ी' फ्रैंचाइजी से परिचित दर्शकों के साथ पहली बार इस देखने वालों को भी कई जगह दोहराव जरूर परेशान करता है। ऐसे में अंत तक आते-आते फिल्म कहीं न कहीं दर्शकों को खटकने लगती है।
यहां खलेगी कमी
'खिचड़ी 2' में पारेख परिवार एक काल्पनिक देश को उसके राजा से बचाने की जद्दोजहद कर रहा है, जिसे पर्दे पर दिखाने का कपाड़िया का विचार अच्छा था, लेकिन वह कॉमेडी के साथ इसका तड़का नहीं लगा पाए हैं। इसे देखकर ऐसा लगता है कि पारेख परिवार जिस हंसी-ठिठोली में माहिर था, उसे अब किसी अलग ही मिशन पर भेज दिया गया है जो उससे संबंध ही नहीं रखता। ऐसे में इसकी कहानी अधिकांश समय बोझिल सी लगने लगती है।
डायलॉग बने फिल्म की जान
अगर 'खिचड़ी 2' के डायलॉग को इसकी जान कहा जाए तो गलत नहीं होगा। "...हाय हाय मैं तो थक गई", हंसा का यह डायलॉग आज भी पहले जैसा ही मजा देता है। इसके अलावा भी कई ऐसे दृश्य हैं, जिनके डायलॉग ही उसे मजेदार बनाते हैं। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है, जो पंथुकिस्तान को बेहतरीन ढंग से पेश करती है साथ ही पारेख परिवार की जीवनशैली को भी बखूबी दर्शाता है। इसके अलावा फिल्म का संगीत ठीक-ठाक है।
13 साल बाद हुई बड़े पर्दे पर पारेख परिवार की वापसी
मजेठिया और कपाड़िया के हैट्स ऑफ प्रोडक्शंस ने 2002 में टीवी शो 'खिचड़ी' की शुरुआत की थी, जिसे दर्शकों ने बेशुमार प्यार दिया। इसके बाद 2004 में इसका दूसरा सीजन 'इंस्टेंट खिचड़ी' आया, जो भी लोगों का दिल जीतने में सफल रहा है। 2010 में निर्माता 'खिचड़ी' फ्रैंचाइजी को छोटे से बड़े पर्दे पर लेकर आए और छा गए। अब 13 साल बाद 'खिचड़ी 2: मिशन पंथुकिस्तान' के साथ एक बार फिर पारेख परिवार ने सिनेमाघरों का रुख किया है।
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- अगर आप पारेख परिवार के प्रशंसक हैं तो यह फिल्म आपको जरूर पसंद आएगी। हंसा और प्रफुल्ल के साथ बाबूजी की होने वाली नोंकझोक और परिवार के हर सदस्य का अतरंगी अंदाज आपको हंसने पर मजबूर कर देगा। क्यों न देखें?- अगर आपको कॉमेडी फिल्में पसंद नहीं हैं और आपने इस पर बनी फिल्म या धारावाहिक नहीं देखा है तो आप शायद इससे जुड़ाव महसूस नहीं कर पाएंगे। इसकी कॉमेडी में भी नयापन नहीं है। न्यूजबाइट्स स्टार- 2.5/5