
'टीकू वेड्स शेरू' रिव्यू: बेदम कहानी, कमजोर किरदार; नवाजुद्दीन-अवनीत की बेमेल जोड़ी ने किया निराश
क्या है खबर?
लंबे समय से कंगना रनौत के होम प्रोडक्शन में बनी पहली फिल्म 'टीकू वेड्स शेरू' की चर्चा थी। इस फिल्म के निर्देशन की कमान साई कबीर ने संभाली है। इसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी और अवनीत कौर ने मुख्य भूमिका निभाई है।
फिल्म के ट्रेलर में दिखी नवाज और अवनीत की विचित्र प्रेम कहानी ने दर्शकों की उत्सुकता बढ़ा दी थी।
आज यानी 23 जून को यह फिल्म अमेजन प्राइम वीडियो पर आ गई है।
आइए जानें कैसी है 'टीकू वेड्स शेरू'।
कहानी
टीकू और शेरू की मुलाकात और शादी
यह कहानी है मुंबई में रहने वाले शेरू और भोपाल में रहने वाली टीकू की। शेरू एक जूनियर आर्टिस्ट है। हालांकि, कलाकार से ज्यादा लोग उसे एक दलाल के रूप में पहचानते हैं, जो रईस घरानों की लड़कियों की सप्लाई करता है।
उसके पास टीकू (अवनीत) का रिश्ता आता है। इस शादी से उसे 10 लाख रुपये मिलने है। टीकू का सपना भी मुंबई में जाकर हीरोइन बनने का है। इसी चक्कर में वह शेरू से शादी कर लेती है।
कहानी
टीकू को हीरोइन बनना पड़ा भारी
मुंबई में टीकू का बायफ्रेंड भी है, जिसकी बातों में आकर वह शेरू से शादी करती है। टीकू घर से रफू चक्कर हो जाती है। उसे पता चलता है कि उसका बॉयफ्रेंड पहले से शादीशुदा है और वह उसके बच्चे की मां बनने वाली है।
अब टीकू के सामने क्या कुछ मुश्किलें आती हैं और शेरू के साथ उसकी शादी का क्या होता है, इन सब सवालों के जवाब आपको लगभग 2 घंटे की यह फिल्म देखने के बाद मिलेंगे।
अभिनय
नवाज ने किया निराश
नवाजुद्दीन पर रोमांटिक फिल्में करने की धुन सवार हो गई, लेकिन उनकी यह जिद उन्हें ले डूबेगी।
रोमांटिक किरदार से उनका जितनी जल्दी मोह भंग हो जाए, उतना बेहतर है। न जाने क्यों रोमांटिक हीरो बनने की कोशिश में वह अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं।
नवाज जैसे बेहतरीन अभिनेता को इस तरह के किरदार में देखना बेहद कष्टकारी है। इतने मंझे हुए अभिनेता से ऐसी फिल्म और किरदार करने की उम्मीद नहीं थी।
अभिनय
निखरकर सामने नहीं आया अवनीत का अभिनय
यह अवनीत की पहली फिल्म है और उनका अभिनय भी ऐसा नहीं है, जो छाप छोड़ सके। कमजाेर पटकथा और निर्देशक के सही मार्गदर्शन की कमी ने उनका भी बंटाधार कर दिया।
फिल्म में विपिन शर्मा, मुकेश एस भट्ट और जाकिर हुसैन जैसे सहायक कलाकार भी हैं, जो चितपरिचित चेहरे हैं, लेकिन उनका होना न होना बराबर है।
दरअसल, निर्देशक ने हीरो-हीरोइन पर इतना फोकस कर लिया कि वह दूसरे किरदारों की प्रतिभा का इस्तेमाल करने से चूक गए।
निर्देशन
निर्देशन में खा गई मात
साई कबीर ने एक बहुत ही ढीली कहानी लिखी है। भला कैसे उन्होंने इतनी घिसी-पिटी और बचकानी कहानी परोसने की हिम्मत जुटाई। दूर-दूर तक इसमें ऐसा कुछ नहीं दिखता, जिसके लिए दर्शकों को समय का निवेश करने के लिए राजी किया जा सके।
न तो किरदारों का चयन ठीक से हुआ और ना ही यह स्पष्ट है कि किरदारों का मकसद क्या है।
पटकथा इतनी बिखरी हुई है कि शुरू से लेकर आखिर तक इससे एकरस नहीं हो पाते हैं।
जानकारी
साई ने फिर डुबाई कंगना की लुटिया
कंगना ने साई के साथ फिल्म 'रिवॉल्वर रानी' की थी, जो फ्लॉप हुई थी। कंगना उस फिल्म की हीरोइन थीं और इस बार वह फिल्म की निर्माता हैं। हैरानी इस बात की है कंगना ने बिना सिर पैर वाली इस कहानी पर निवेश किया क्यों?
कमियां
कमियां और भी
फिल्म देख लगता है मानों लेखक के जी में जो कहानी आई, वो लिख दी। न तो शुरुआत अच्छी है, ना ही अंत।
49 के नवाज और 21 साल की अवनीत का रोमांस खलता है। उम्र का फासला उनकी केमिस्ट्री में साफ झलकता है, जो दोनों की जोड़ी को असहज बना देता है।
कहने को यह फैमिली एंटरटेनर है, लेकिन भटकी हुई इस कहानी में गाली-गलौज खूब है।
कुछ सीन इतने अटपटे और उबाऊ हैं, जिन्हें हटाया जा सकता था।
जानकारी
कंगना की कविताएं
फिल्म के गाने ठीक-ठाक हैं, वहीं सिनेमैटोग्राफी भी अच्छी है। फिल्म में की गई शेरों-शायरी आकर्षित करती है, जिन्हें खुद कंगना ने लिखा है। कविताएं सुनने में अच्छी लगती हैं। इस बेजान पटकथा में केवल कंगना की कलम से निकलीं कविताएं प्रभावित करती हैं।
फैसला
देखें या ना देखें?
क्यों देखें?- अगर नवाज की कोई फिल्म नहीं छोड़ते तो 'टीकू वेड्स शेरू' को मौका दे सकते हैं क्योंकि उन्होंने अपने कमजोर किरदार को औसत तो बना ही दिया।
क्यों न देखें?- मायानगरी, फिल्मी दुनिया में पांव जमाने के लिए तरसते चेहरे और चकाचौंध की दुनिया के पीछे की काली सच्चाई को अलग नजरिए से दिखाने की परंपरा पुरानी है। ऐसे में अगर एक नई कहानी की चाह में फिल्म देखने वाले हैं तो निराश होंगे।
न्यूजबाइट्स स्टार- 1.5/5