'लस्ट स्टोरीज 2' रिव्यू: कोंकणा की कहानी और कुछ कलाकारों की अदाकारी से बची फिल्म
रिश्तों का ताना-बाना दिखातीं 2018 में आई फिल्म 'लस्ट स्टोरीज' की कहानी और कलाकारों के अभिनय को दर्शकों और समीक्षकों ने खूब सराहा था। इसे एमी अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ ड्रामा फिल्म के लिए नामांकन भी मिला था। इसका दूसरा सीजन 'लस्ट स्टोरीज 2' 29 जून को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुका है। इसमें काजोल, तमन्ना भाटिया, मृणाल ठाकुर, नीना गुप्ता, तिलोत्तमा शोम और अमृता सुभाष ने अहम भूमिका निभाई है। देखने से पहले पढ़िए इस फिल्म सीरीज का रिव्यू।
पहली कहानी
इस सीजन में भी पिछले सीजन की तरह 4 कहानियां हैं। कहानी की शुरुआत आर बाल्की ने की है। दादी बनी नीना इसमें आकर्षण का केंद्र है, जो इतनी कूल है कि उसके सवालों से पूरे घरवाले भौंचक्के रह जाते हैं। दादी अपनी पोती मृणाल को शादी करने से पहले "टेस्ट ड्राइव" लेने की सलाह देती है। इस कहानी के जरिए यह कहने की कोशिश की गई है कि अगर यौन संबंध अच्छे रहेंगे तो शादीशुदा जिंदगी खुशहाल बनी रहेगी।
दूसरी कहानी
कोंकणा सेन न सिर्फ एक बेहतरीन अदाकारा, बल्कि एक मंझी हुई निर्देशक भी हैं और उन्होंने फिर यह साबित कर दिया है। इस एंथोलॉजी फिल्म की दूसरी कहानी उन्होंने ही लिखी, जो इस फिल्म की दिल और जान है। उनकी इस कहानी की नायिकाएं हैं तिलोत्तमा शोम और अमृता सुभाष। कहानी दो महिलाओं की है, जो शुरू से लेकर अंत तक बांधे रखती है। यौन जीवन की दबी हुईं आकांक्षाओं को जिस तरह से कोंकणा ने परोसा, वो काबिल-ए-तारीफ है।
तीसरी कहानी
सुजॉय एक बेहतरीन निर्देशक हैं, जो 'कहानी' और बदला जैसी फिल्में निर्देशित कर चुके हैं, लेकिन क्या सोचकर उन्होंने ऐसी अधपकी और नीरस कहानी लिखी, यह समझ से परे है। सुजॉय ने जहां तमन्ना को आईकैंडी बना दिया, वहीं विजय की प्रतिभा का भी ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाए। तमन्ना, विजय की पूर्व पत्नी की भूमिका में हैं, जो बस ग्लैमर का तड़का लगाती हैं। कहानी देख लगता है मानों वेब सीरीज 'गंदी बात' का कोई नया एपिसोड हो।
चौथी कहानी
इस फिल्म की चौथी यानी आखिरी कहानी अमित रविंद्रनाथ शर्मा ने लिखी है। काजोल और कुमुद मिश्रा ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई है। कुमुद ने एक ऐसे आदमी का किरदार निभाया है, जो पितृसत्तामक सोच का है और दूसरी महिलाओं पर नजर रखता है। कहानी बढ़िया है और खासकर इसका अंत जबरदस्त है, वहीं कुमुद ने नकारात्मक किरदार ऐसे निभाया है कि उन्हें देख नफरत होने लगती है। यह दूसरी कहानी है, जिसने इस एंथोलॉजी फिल्म के नंबर बढ़ाए हैं।
इन कलाकारों की आला अदाकारी ने किया दिल खुश
पहली कहानी की हीरो नीना हैं, जो फिल्म दर फिल्म नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। मृणाल ठाकुर और अंगद बेदी का अभिनय औसत है। दूसरी कहानी में तिलोत्तमा और अमृता की अदाकारी ऐसी है, जो किसी को भी तालियां बजाने पर मजबूर कर दे। तीसरी कहानी में विजय और तमन्ना बहुत निराश करते हैं। चौथी कहानी में काजोल और कुमुद ने 100 फीसदी अपना-अपना किरदार पर्दे पर उतारा और कुमुद की हवस भरी निगाहें बहुत कुछ कह गईं।
निर्देशन में कोंकणा का कमाल
बाल्की ने 'सीधी बात नाे बकवास' वाला फंडा अपनाया है। उन्होंने अपनी कहानी अश्लील नहीं बनने दी और बड़ी संजीदगी और जिम्मेदारी से इसे पेश किया। कोंकणा की कहानी और उनका निर्देशन देख मुंह से बस वाह निकलता है। 4 कहानियों की इस फिल्मावली में उनकी कहानी अव्वल दर्जे की है। दूसरी ओर सुजॉय की कहानी के साथ-साथ किरदार भी नकली से लगते हैं आखिरी कहानी अमित की है और इसे भी फिल्म की मजबूत कड़ी कहा जा सकता है।
सबसे ज्यादा खलती हैं ये कमियां
जहां काजोल के किरदार में कुछ नयापन नहीं दिखता, वहीं सुजॉय की कहानी फूहड़ता से भरी है। फिल्म में सस्पेंस है, लेकिन यह वो रोमांच लाने में नाकाम रही, जो असल में होना चाहिए था। तमन्ना तो ग्लैम डॉल बनकर रह गईं। विजय संग उनकी केमिस्ट्री अच्छी है, लेकिन उनके औसत अभिनय ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। यौन संबंधों पर बार-बार नीना का जोर देना खलता है। कहीं-कहीं उनकी जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी बर्दाश्त से बाहर हो जाती है।
देखें या ना देखें?
क्यों देखें?- 2 घटे 12 मिनट की यह फिल्म सीरीज कोंकणा की बेहतरीन कहानी के लिए देखी जा सकती है, वहीं अगर ख्वाहिशें और वासनाओं के इर्द-गिर्द घूमती कहानियां पसंद हैं तो भी यह आपकी कसौटी पर खरी उतरेगी। क्यों न देखें?- सुजॉय का पिछला काम देख फिल्म देखने वाले हैं तो निराश होंगे क्योंकि उनकी कहानी और किरदार दोनों ही ढीले हैं। ऐसा कुछ नहीं है, जिसे देख कुछ नया या अलग देखने का भाव जागे। न्यूजबाइट्स स्टार- 2.5/5