'कच्चे लिंबू' रिव्यू: पैशन और करियर के बीच उलझे युवाओं से जुड़ने वाली है फिल्म
राधिका मदान की फिल्म 'कच्चे लिंबू' का ट्रेलर कुछ दिन पहले ही रिलीज किया गया था। 19 मई को फिल्म जियो सिनेमा पर स्ट्रीम हो गई है। फिल्म का ज्यादा प्रमोशन नहीं किया गया, लेकिन ट्रेलर देखकर लग रहा था कि खेल प्रेमियों के लिए एक और बेहतरीन फिल्म आने वाली है। खास बात यह है कि यह फिल्म पिछले साल टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जा चुकी है। आइए, जानते हैं कैसी है निर्देशक शुभम योगी की यह फिल्म।
पैशन और जिम्मेदारियों में किसे चुनेगा आकाश?
ट्रेलर देखकर यह खेल पर आधारित फिल्म लगती है, लेकिन यह पैशन और पैसों की उलझन दिखाती है। अंकुर सोसाइटी में अंडरआर्म बोलिंग वाली क्रिकेट खेली जाती है। इस मोहल्ले में चौके, छक्के और आउट के अपने नियम हैं। आकाश नाथ इस क्रिकेट का हीरो है और छक्के मारने में माहिर है। एक दिन उसका वीडियो सचिन तेंदुलकर शेयर कर देते हैं और वह वायरल हो जाता है। आकाश के पिता चाहते हैं कि वह इंटरव्यू देकर अच्छी जॉब करे।
करियर को लेकर उलझी है अदिति
आकाश की बहन अदिति चाहती है कि वह अंडरआर्म क्रिकेट न खेलकर सीजनल क्रिकेट खेले। वह शर्त रखती है कि अगर उसने अंडरआर्म क्रिकेट में आकाश को हरा दिया तो वह इसे छोड़कर जॉब करेगा। अदिति फैशन डिजाइनर बनना चाहती है। वह अपने पापा के कहने पर मेडिकल पढ़ रही है, मां के कहने पर भरतनाट्यम सीख रही है और भाई के लिए क्रिकेट खेलने लगी है। इन सबके बीच वह तलाश रही है कि वह खुद क्या चाहती है।
जम गई भाई-बहन की जोड़ी
फिल्म में राधिका मदान मुख्य भूमिका में हैं। अदिति के किरदार में एक उभरती हुई खिलाड़ी की बॉडी लैंग्वेज को उन्होंने बखूबी अपनाया है। आकाश का किरदार रजत बारमेचा ने निभाया है। जिम्मेदारियों और सपनों के बीच उलझे इस किरदार को उन्होंने अपने अभिनय से संवारा है। भाई-बहन के रूप में राधिका और रजत की केमिस्ट्री खूब अच्छी लगती है। पर्दे पर आयुष मेहरा की उपस्थिति भी अच्छी लगती है। उनका किरदार कबीर, अदिती की टीम की मजबूत खिलाड़ी है।
'कच्चे लिंबू', पक्के कलाकार
जिस तरह क्रिकेट एक टीम गेम है, उसी तरह यह फिल्म भी कलाकारों की टीम की वजह से मजबूत बनी है। फिल्म में खिलाड़ी बने सभी कलाकार रोमांच बनाए रखते हैं। फैज खान, जयवंत वाडकर कच्चे खिलाड़ी बनकर पिच पर उतरते हैं। बाल कलाकार वेदांश जाजू ने युवी के किरदार से दर्शकों का दिल जीत लिया। फिल्म का क्लाइमैक्स युवी के साथ ही पूरा होता है, जो दर्शकों को एक मुस्कान के साथ छोड़ जाता है।
यहां पटरी से उतर गए निर्देशक
निर्देशक शुभम योगी इससे पहले शॉर्ट फिल्मों का निर्देशन करते रहे हैं। यह फिल्म भी शॉर्ट फिल्मों वाला ही स्वाद रखती है। फिल्म अपनी कहानी और कलाकारों की वजह से दिल में उतरती है, लेकिन निर्देशन में कई कमियां नजर आती हैं। फिल्म में कई किरदार हैं और सबकी अपनी कहानी है, ऐसे में ये कहानियां बिखरी-सी लगती हैं। फिल्म नई पीढ़ी के सपनों के इर्द-गिर्द होने के बाद भी कहीं भी गहरी चोट नहीं करती।
संगीत से और गहरी उतरती कहानी
फिल्म के संवाद इसे मजबूती देते हैं। क्रिकेट टूर्नामेंट के बीच जब फिल्म एक ढर्रे पर चलने लगती है, तो कॉमेंटरी के जरिए इसमें कॉमेडी का मसाला मिलता है। हालांकि, संगीत कहानी का और साथ दे सकता था। फिल्म में अदिति और आकाश के किरदार कई मोड़ से गुजरते हैं, ऐसे में उनके इमोशन को संगीत के जरिए और मजबूत बनाया जा सकता था। गहरे संगीत के अभाव में फिल्म रोचक होने के बाद भी रोमांचक नहीं बनती है।
देखें या न देखें?
क्यों देखें - अगर आप इसे खेल पर आधारित रोमांचक फिल्म समझ रहे हैं तो आप गलत हैं। यह फिल्म किशोरों और युवाओं को पसंद आएगी। वीकेंड पर कुछ पॉजिटिव देखना चाहते हैं, तो इस फिल्म को समय दे सकते हैं। क्यों न देखें- फिल्म हल्के-फुल्के मनोरंजन के लिए है। अगर आप तगड़े इमोशन या ड्रामा वाली फिल्में पसंद करते हैं तो आप दूसरी फिल्मों का रुख कर सकते हैं। न्यूजबाइट्स स्टार- 3/5