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एनिमल रिव्यू: खूंखार किरदार में खरे उतरे रणबीर कपूर, फिल्म की लंबाई ने खराब किया मजा
कैसी है रणबीर कपूर की 'एनिमल'?

एनिमल रिव्यू: खूंखार किरदार में खरे उतरे रणबीर कपूर, फिल्म की लंबाई ने खराब किया मजा

Dec 01, 2023
02:59 pm

क्या है खबर?

रणबीर कपूर की फिल्म 'एनिमल' 1 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म लंबे समय से चर्चा में थी। खासकर, फिल्म से रणबीर की पहली झलक और इसमें उनका हिंसक अवतार सामने आने के बाद दर्शक इसके लिए खासा उत्साहित थे। निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा की यह फिल्म बॉबी देओल की झलक और रश्मिका मंदाना के वायरल दृश्य की वजह से भी चर्चा में थी। जानिए, कैसा है रणबीर का यह नया अंदाज।

कहानी 

पिता के प्यार में 'एनिमल' बनने की कहानी

'एनिमल' रणविजय (रणबीर) की कहानी है, जो अपने पिता से बेशुमार प्यार करता है। हालांकि, उसका यह प्यार कुछ हद तक एकतरफा है क्योंकि बदले में उसे कभी अपने पिता का प्यार नहीं मिला। रणविजय के पिता बलबीर सिंह (अनिल कपूर) देश के अमीर बिजनेसमैन हैं। एक दिन उन पर जानलेवा हमला होता है। इसके बाद रणविजय हमलावर का पता लगाने अमेरिका से भारत आता है। पिता की रक्षा करने में वह एक खूंखार व्यक्ति बन जाता है।

रणबीर कपूर 

हर दृश्य में राज करते हैं रणबीर

फिल्म में रणबीर का किरदार स्वभाव से हिंसक है और अपने परिवार के लिए किसी की भी, कहीं भी जान ले सकता है। निर्देशक संदीप प्यार और हिंसा के इस तालमेल के लिए खासतौर से जाने जाते हैं। रणबीर इस तरह की गंभीर हिंसक एक्शन किरदार में पहली बार नजर आए हैं और उन्होंने साबित किया है कि पर्दे पर उन्हें कुछ भी दे दिया जाए, वह निराश नहीं करेंगे। रणबीर फिल्म के हर दृश्य में राज करते हैं।

अभिनय 

बाकी कलाकारों को ज्यादा नहीं मिला मौका

अनिल मंझे हुए कलाकार हैं। उनकी उपस्थिति पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है। फिल्म में बॉबी देओल विलेन बने हैं। हालांकि, वह आधी फिल्म के बाद नजर आते हैं। आखिर में रणबीर के साथ बिना कमीज के एक्शन के अलावा, फिल्म में उन्हें ज्यादा मौका नहीं दिया गया। इस तरह के हिंसक व्यक्ति की पत्नी की भावनाओं को रश्मिका मंदाना ने बखूबी बयां किया है। तृप्ति डिमरी के हिस्से कुछ ही दृश्य हैं, जिसमें उन्हें सीमित मौका मिला।

सक्रिप्ट 

हिंसा को जगह देने में कमजोर हुई स्क्रिप्ट

इसकी कहानी बेटे और पिता के भावुक रिश्ते से शुरू होती है जो आखिर में बिजनेस, पारिवारिक कलह, हार्ट ट्रांसप्लांट से लेकर पुस्तैनी रंजिश तक पहुंच जाती है। ऐसा लगता है कि फिल्म में कई घटनाएं इसे सिर्फ और हिंसक बनाने के लिए जोड़ी गईं हैं। ट्रेलर में दिखाई गई हिंसा तो जैसे नाममात्र है। फिल्म की टाइमलाइन भी इसे ढीली बनाती है। कहानी फ्लैशबैक और वर्तमान के बीच इतना झूलती है कि दर्शक परेशान हो जाते हैं।

संगीत और निर्देशन 

इन भावनाओं से चूके निर्देशक

फिल्म का संगीत इसे रोमांचक बनाता है, लेकिन ज्यादातर गाने आपको किसी और गाने की याद दिलाते हैं। ऐसे में बॉलीवुड में संगीत में रचनात्मकता पर सवाल उठाए जाएंगे। फिल्म में कभी बाप-बेटे पर केंद्रित होती है, कभी पति-पत्नी तो कभी हीरो-विलेन पर। ऐसे में फिल्म किसी एक भावना पर पकड़ नहीं बना पाती। रोमांच बढ़ाने के चक्कर में फिल्म में हत्याएं ही नहीं खत्म होतीं और यह 3 घंटे 20 मिनट की बन जाती है।

जानकारी

VFX ने बढ़ाया रोमांच

फिल्म का VFX और सिनेमाटोग्राफी इसका रोमांच बढ़ाते हैं। निर्देशक ने हर फ्रेम को शानदार तरीके से गढ़ा है। रणबीर और रश्मिका को दिए गए संवाद भी इसका वजन बढ़ाते हैं और इसे रोमांचक बनाते हैं।

निष्कर्ष

देखें या न देखें?

क्यों देखें?- फिल्म में रणबीर का अभिनय, उनका एक्शन देखने लायक है। शानदार दृश्यों, VFX और बॉलीवुड मसालों के साथ यह एक मनोरंजक सिनेमाई अनुभव देती है। क्यों न देखें?- फिल्म 3 घंटे से भी ज्यादा लंबी है और पूरी तरह खून-खराबे से लबरेज है। पर्दे पर हिंसा से परहेज करने वाले इससे दूरी बना सकते हैं। न्यूजबाइट्स स्टार- 3/5