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होम / खबरें / करियर की खबरें / MBBS की पढ़ाई के लिए यूक्रेन क्‍यों जाते हैं भारतीय छात्र?
करियर

MBBS की पढ़ाई के लिए यूक्रेन क्‍यों जाते हैं भारतीय छात्र?

MBBS की पढ़ाई के लिए यूक्रेन क्‍यों जाते हैं भारतीय छात्र?
लेखन तौसीफ
Feb 27, 2022, 09:30 pm 4 मिनट में पढ़ें
MBBS की पढ़ाई के लिए यूक्रेन क्‍यों जाते हैं भारतीय छात्र?
डॉक्‍टरी की पढ़ाई के लिए यूक्रेन क्‍यों जाते हैं भारतीय छात्र, जानें वजह

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद वहां भारत के हजारों छात्र फंसे गए हैं। यूक्रेन के शिक्षा और विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक, देश में 18,095 भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। इनमें से अधिकतर छात्र डॉक्टर बनने के लिए MBBS की पढ़ाई करने यूक्रेन गए हुए हैं। इन आंकड़ों के बारे में जानकारी मिलने के बाद अब यह जानना जरूरी है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र यूक्रेन पढ़ने क्यों जाते हैं।

फीस
भारत के मुकाबले यूक्रेन में कम फीस

भारत के प्राइवेट संस्‍थानों में MBBS की पढ़ाई के लिए सालाना 10 से 12 लाख रुपये फीस ली जाती है। इस हिसाब से पांच साल में इसकी पढ़ाई पूरी होने तक छात्र को 50 से 60 लाख रुपए तक फीस चुकानी पड़ती है। वहीं यूक्रेन में MBBS की पढ़ाई के लिए सालाना चार से पांच लाख रुपए की जरूरत होती है, यानी पांच साल की पढ़ाई पूरी करने का कुल खर्च 25 से 30 लाख ही होता है।

मान्यता
लगभग हर जगर मान्य है यूक्रेन से प्राप्त MBBS डिग्री

इंडियन एक्‍सप्रेस के मुताबिक, यूक्रेन से किए जाने वाले MBBS की दुनियाभर में मान्‍यता है। इंडियन मेडिकल काउंसिल (IMC), वर्ल्‍ड हेल्‍थ काउंस‍िल (WHC), यूरोप और यूनाइटेड किंगडम में यूक्रेन से पढ़ने वाले छात्रों की डिग्री की मान्यता है। इस तरह यहां से MBBS करने वाले छात्रों को दुनिया के ज्‍यादातर देशों में काम करने का मौका मिलता है। फीस कम होने के साथ-साथ यह भी एक बड़ा कारण जिसकी वजह से भारत के छात्र यूक्रेन पढ़ने जाते हैं।

सीटें
भारत में कम हैं MBBS के लिए सीटें

MBBS करने वाले एक छात्र का कहना है कि भारत में MBBS के लिए जितनी भी सीटें हैं, उससे कई गुना अध‍िक छात्र नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) परीक्षा में बैठते हैं। भारत में सीटों की कमी के कारण जो छात्र यहां दाखिला नहीं ले पाते हैं, उनके पास यूक्रेन का विकल्‍प रहता है। हालांकि इसके लिए सरकारी कॉलेजों के मुकाबले कई गुना अधिक फीस देनी होती है।

आधार
यूक्रेन में MBBS के एडमिशन के लिए क्या आधार है?

भारत में MBBS में दाखि‍ले के लिए NEET का आयोजन किया जाता है। परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर छात्रों को सरकारी और प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन दिया जाता है। भारत में दाखिले के लिए NEET का स्‍कोर काफी मायने रखता है, जबकि यूक्रेन में एडमिशन लेने के लिए छात्रों का NEET पास होना एकमात्र शर्त है। यूक्रेन में MBBS की सीटों पर एडमिशन के लिए अंक उतने मायने नहीं रखते, इसलिए भारतीय छात्र यूक्रेन का रुख करते हैं।

MBBS
भारत में MBBS सीटों की संख्या कितनी है?

2021 में 15 लाख छात्रों ने NEET परीक्षा दी थी। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने 2021 में लोकसभा में बताया था कि देश में सरकारी और निजी कॉलेजों में MBBS की कुल 88,120 सीटें हैं। वहीं 2020 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया था कि भारत के 541 मेडिकल कॉलेजों में कुल 82,926 MBBS सीटों की पेशकश की जाती है। इनमें 278 शासकीय और 263 प्राइवेट कॉलेज शामिल हैं।

यूक्रेन युद्ध
न्यूजबाइट्स प्लस

आज यूक्रेन-रूस युद्ध का चौथा दिन है और रूस ने अपने हमले तेज कर दिए हैं। आज सुबह रूसी सेना यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में घुसने में कामयाब रही, हालांकि शाम होते-होते यूक्रेनी सेना ने स्थानीय मिलिशिया की मदद से उसे बाहर खदेड़ दिया। खारकीव के गवर्नर ओलेग सिनेगुबोव ने कहा कि रूसी सैनिकों से जंग लड़ने के बाद शहर को एक बार फिर से पूरी तरह से नियंत्रण में ले लिया गया है।

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तौसीफ
तौसीफ
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IIMC से पढ़ाई पूरी करने के बाद पांच वर्षों से देश की राजधानी दिल्ली में राजनीति, गृह मंत्रालय और अल्पसंख्यक मामलों पर खबरें करने के बाद अब करियर से जुड़े मुद्दों पर लिख रहा हूं। समाजसेवा में समय देना सुकून देता है।
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