उत्तर प्रदेश: सिलेबस में हुई 30 प्रतिशत की कटौती, तीन भागों में होगा विभाजित
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UPMSP) ने भी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), राजस्थान और हरियाणा बोर्ड की तरह 9वीं-12वीं तक के सिलेबस को 30 प्रतिशित कम करने का फैसला लिया है।
कोरोना वायरस के कारण वर्तमान में मुश्किल से ऑनलाइन क्लासेस के जरिए छात्रों को पढ़ाया जा रहा है। वहीं सरकारी स्कूल के बच्चों के पास इसके लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सिलेबस को कम करने का निर्णय लिया गया है।
सिलेबस
तीन भागों में बांटा जाएगा सिलेबस
बता दें कि 30 प्रतिशत सिलेबस कम करने के बाद बाकी के 70 प्रतिशित सिलेबस को तीन भागों में बांटा जाएगा।
पहले भाग में सिलेबस के उस हिस्से को रखा जाएगा, जिसे ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाने के लिए अध्याय और विषय अनुसार वीडियोज तैयार की जाएंगी।
वहीं दूसरे भाग में सिलेबस के उस हिस्से को रखा जाएगा, जो छात्रों को खुद से पढ़ना होगा।
साथ ही तीसरे भाग में प्रोजेक्ट के माध्यम से पढ़ाए जाने वाले हिस्से को रखा जाएगा।
बयान
विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया जाएगा कैलेंडर
हर महीने छात्रों को कितना सिलेबस पढ़ाया जाएगा, इसके बारे में पूरी जानकारी शैक्षिक कैलेंडर में दी जाएगी।
यहां तक कि शिक्षक सही तरह से छात्रों को पढ़ा रहे हैं या नहीं। इसकी मॉनीटरिंग के लिए स्कूल, जिला, मंडल और राज्य स्तर पर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) तय की जाएगी।
राज्य के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने बताया कि विषय के विशेषज्ञों द्वारा क्लास, विषय और अध्याय अनुसार शैक्षिक कैलेंडर तैयार किया जाएगा।
अन्य बोर्ड
हरियाणा और राजस्थान बोर्ड ने भी कम किया सिलेबस
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (HBSE) से संबद्ध सभी स्कूलों में वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए 9वीं से लेकर 12वीं तक के सिलेबस को कम किया जाएगा।
इसके साथ ही राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोट्सरा ने भी 9 जुलाई को ट्वीट कर सिलेबस को कम करने की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि राजस्थान स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड टीचिंग (RSCERT) इस वर्ष के लिए RBSE के सिलेबस को कम करेगा।
जानकारी
CBSE ने हटाए ये अध्याय
इससे पहले CBSE ने 9वीं से 12वीं तक के सिलेबस को 30 प्रतिशत कम करने का निर्णय लिया था। इसके तहत CBSE के सिलेबस से लोकतांत्रिक अधिकार, भारत में खाद्य सुरक्षा, संघवाद, नागरिकता और धर्मनिरपेक्षता जैसे प्रमुख अध्यायों को हटा दिया गया है।