NEET: फिजिक्स के प्रश्न की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट का समिति गठित करने का आदेश
नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) 2021 स्नातक परीक्षा में फिजिक्स के एक सवाल के हिंदी अनुवाद पर उठे विवाद के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिजिक्स पेपर में प्रश्न की शुद्धता का मूल्यांकन तीन विशेषज्ञों की समिति करेगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को ये समिति गठित करने के आदेश दिए हैं और समिति की राय और समाधान का हलफनामा भी दाखिल करने को कहा है।
30 नवंबर को होगी मामले में अगली सुनवाई
इस केस में अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हम फिजिक्स में असफल नहीं होना चाहते क्योंकि हम विषय के बारे में कुछ भी नहीं जानते। उन्होंने कहा कि इसलिए बेहतर होगा कि इसकी जांच विशेषज्ञों द्वारा की जाए जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाएं जानते हों। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जो कमेटी पहले से गठित है, उसके अलावा एक अन्य कमेटी का गठन होगा।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, NEET 2021 में पूछे गये फिजिक्स के एक सवाल पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। यह याचिका परीक्षा देने वाले छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि भौतिकी सेक्शन में प्रश्न संख्या 2 में पूछे गए सवाल का हिन्दी अनुवाद गलत था। प्रश्न के हिन्दी अनुवाद में 'amplitude of current' का जिक्र ही नहीं किया गया था जो कि अंग्रेजी में पूछे गए सवाल का हिस्सा था।
याचिका में क्या बातें कही गईं?
याचिका में कहा गया है कि जिन परीक्षार्थियों ने हिन्दी का सवाल पढ़कर उत्तर दिया, उनके उत्तर गलत हुए क्योंकि सवाल का अनुवाद ही गलत था। उन्होंने कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की गलती के कारण हिन्दी भाषी छात्रों को अंकों और रैंक का नुकसान भुगतना पड़ा। NTA का नियम कहता है कि NEET परीक्षा में किसी सवाल के अनुवाद में किसी भी तरह की अस्पष्टता या संशय की स्थिति में उस सवाल का इंग्लिश वर्जन फाइनल माना जाएगा।
सुनवाई के दौरान NTA की तरफ से क्या बातें कही गईं?
NTA की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सवाल का दोबारा मूल्यांकन तीन विशेषज्ञों के पैनल द्वारा किया जाएगा और हलफनामा दायर होगा। उन्होंने कहा कि NEET परीक्षा में 15 लाख छात्र शामिल हुए जिनमें दो लाख छात्र हिंदी के थे और दोनों के लिए निगेटिव मार्किंग समान है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि पहले भी सवाल का मूल्यांकन विशेषज्ञों के पैनल द्वारा कराया गया था और इसमें सवाल का जवाब समान ही आया था।