IIT JEE: सिलेबस बदलने पर हो रहा विचार, विशेषज्ञ समिति करेगी समीक्षा
जब से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने सिलेबस में 30% की कटौती की है। तब से प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी समस्या बढ़ गई है। ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (JEE) और नेशनल टेस्ट कम एंट्रेंस एग्जाम (NEET) जैसी प्रवेश परीक्षाओं के सिलेबस और CBSE बोर्ड के सिलेबस में कई समानताएं हैं। इसके सिलेबस के आधार पर ही इनका आयोजन होता है। इस कारण अब JEE के सिलेबस में भी बदलाव करने पर विचार किया जा रहा है।
विशेषज्ञ करेंगे सिलेबस की समीक्षा
JEE एडवांस्ड का आयोजन करने वाले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) ने विशेषज्ञ समिति को इसके सिलेबस की समीक्षा करने के लिए कहा है। IIT दिल्ली के निदेशक वी रामगोपाल राव ने कहा कि उन्हें CBSE के सिलेबस और उसमें हुए बदलावों को देखना होगा। इसके बाद इसे समिति और प्रश्न पत्र सेट करने वालों के सामने रखना होगा। प्रश्न पत्र सेट करने से पहले उन टॉपिक्स पर विचार करना जरूरी है, जो अब सिलेबस का हिस्सा नहीं है।
अगले सप्ताह मीटिंग में रखा जाएगा प्रस्ताव
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार राव ने यह भी कहा कि सिलेबस और पैटर्न में बदलाव को लेकर अलगे सप्ताह होने वाली समीक्षा मीटिंग में प्रस्ताव रखा जाएगा और फैसला संयुक्त प्रवेश बोर्ड (JAB) के निर्णय के बाद लिया जाएगा।
"JEE मेन और CBSE के सिलेबस में है बहुत अंतर"
इसके साथ ही JEE मेन का आयोजन करने वाली राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के एक अधिकारी का कहना है कि जब उन्होंने वर्तमान JEE मेन के सिलेबस को CBSE के सिलेबस से मिलाया तो उसमें कई बदलाव देखने को मिले। छात्र प्रवेश परीक्षा के लिए काफी पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं। ऐसे में बदलाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस कारण सिलेबस को बदलने पर विचार किया जा रहा है।
इस साल होने वाली परीक्षाओं पर नहीं होगा कोई असर
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2020 में होने वाली JEE मेन और एडवांस्ड परीक्षाओं के सिलेबस में कोई बदलाव नहीं होगा। CBSE के बदले हुए सिलेबस का असर इस साल की परीक्षाओं पर नहीं पड़ेगा। कोरोना वायरस महामारी के कारण इनके आयोजन को टाल दिया गया है। अब जुलाई की जगह JEE मेन 1 सितंबर से 6 सितंबर के बीच और एडवांस्ड का आयोजन 27 सितंबर को होगा।
CBSE ने हटाया कई प्रमुख अध्याय
बता दें कि देश में फैले कोरोना वायरस के कारण CBSE ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए 9वीं से 12वीं तक के सिलेबस को 30 प्रतिशत कम करने का फैसला लिया है। इसके तहत लोकतांत्रिक अधिकार, भारत में खाद्य सुरक्षा, संघवाद, नागरिकता और धर्मनिरपेक्षता जैसे प्रमुख अध्यायों को हटाया जा रहा है। इसको लेकर विवाद भी शुरू हो गया है। कई जानकारों का कहना है कि इससे छात्रों की पढ़ाई का नुकसान होगा।