खाना डिलीवरी करने वाले लड़के ने सीखी कोडिंग, बन गया साफ्टवेयर इंजीनियर
क्या है खबर?
"जहां चाह, वहां राह", यह कहावत आपने कितनी बार सुनी होगी। आज हम आपको इस कहावत को सच साबित करने वाले शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो कल तक स्विगी, जोमैटो और ओला जैसी कंपनियों के लिए फूड डिलीवरी ब्वॉय के तौर पर काम करता था, लेकिन आज वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।
अपनी इस उपलब्धि से हजारों-लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बने युवक का नाम है शेख अब्दुल सत्तार।
शुरुआत
परिवार की आर्थिक सहायता के लिए शुरू की डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी
आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में रहने वाले अब्दुल के पिता पेशे से कॉनट्रैक्ट वर्कर हैं।
अब्दुल अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक मदद भी करना चाहते थे इसलिए उन्होंने कॉलेज के समय में ही डिलीवरी ब्वॉय का पेशा चुना और पैसे कमाने शुरू किए।
इस बीच किसी ने उन्हें कोडिंग सीखने का सुझाव दिया, जिसके बाद उन्होंने इस कोर्स के लिए अपना नामांकन करवाया और नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी शुरू कर दी।
दिनचर्या
दिन में पढ़ाई, रात में नौकरी करता थे अब्दुल
अपना अधिकांश कॉलेज जीवन लोगों को भोजन और किराने का सामान पहुंचाने में बिताने वाले अब्दुल ने अपनी इस कहानी को सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट लिंक्डइन पर साझा किया है।
अपनी सफलता की कहानी के बारे में वह आगे बताते हैं कि वह दिन में कोडिंग की पढ़ाई और शाम 6 बजे से रात के 12 बजे तक डिलीवरी का काम करते थे और पॉकेट मनी से वे अपने घर की छोटी-मोटी जरूरतें पूरी करते थे।
जानकारी
डिलीवरी ब्वॉय के तौर पर काम करने का भी हुआ फायदा
उन्होंने कहा कि पहले उनके अंदर लोगों से बात करने में संकोच होती थी, लेकिन डिलीवरी ब्वॉय के तौर पर काम करने के बाद उन्होंने लोगों से बातचीत करने का तरीका सीखा जिसका उन्हें फायदा हुआ।
बेंगलुरू
बेंगलुरू स्थित कंपनी में मिली सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी
अब्दुल ने कोडिंग की पढ़ाई नेक्सटवेव नामक कंपनी से सीखी।
उन्होंने बताया कि कुछ दिन की पढ़ाई के बाद वह धीरे-धीरे कोडिंग सीखने लगे और उन्होंने वेब एप्लीकेशन्स बनानी भी शुरू कर दी।
कुछ प्रोजेक्ट्स में काम करने के बाद उन्होंने विभिन्न कंपनियों में आवेदन करना भी शुरू कर दिया, जिसके बाद उनका चयन बेंगलुरु स्थित प्रोब इंफॉर्मेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर हुआ।
चाहत
वेतन मिलने के बाद परिवार का कर्ज चुकाएंगे अब्दुल
उन्होंने अपने पोस्ट में अंत में बताया कि एक समय था जब उन्हें हर रुपये का हिसाब रखना पड़ता था और अब वो कुछ महीनों के वेतन से अपने माता-पिता का सारा कर्ज चुका सकते हैं।
बता दें कि अब्दुल ने इससे पहले 2017 से 2020 तक साई गणपति इंजीनियरिंग कॉलेज से 78 प्रतिशत अंक के साथ सिविल इंजीनियरिंग की थी, लेकिन नौकरी न मिलने के कारण उन्होंने डिलीवरी ब्वॉय के तौर पर नौकरी शुरू की थी।