12वीं की सुधार परीक्षा में फेल हुए छात्रों को CBSE ने दी बड़ी राहत
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सुधार परीक्षा में फेल हुए छात्रों को बड़ी राहत देते हुए अहम फैसला लिया है। बोर्ड ने छात्रों के पिछले अंकों के आधार पर परिणाम तैयार करने का निर्णय किया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में बोर्ड ने कहा कि जिन छात्रों को 29 सितंबर को जारी 12वीं कक्षा के रिजल्ट में फेल या रिपीट थ्योरी (RT) घोषित किया गया था, उन्हें अपने पिछले रिजल्ट को बरकरार रखने की अनुमति दी जाएगी।
पहले CBSE की मूल्यांकन नीति क्या थी?
बता दें कि CBSE की मूल्यांकन नीति में शर्त थी कि यदि कोई छात्र सुधार परीक्षा देता है तो प्राप्त अंकों को अंतिम अंक माना जाएगा। इसमें कहा गया था कि छात्र पिछली मार्कशीट पर दावा नहीं कर सकता है। याचिका उन छात्रों द्वारा दायर की गई थी, जो सुधार परीक्षा में या तो फेल हो गए या उन्हें पहले से कम अंक मिले।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या कहा?
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, "ऐसे छात्रों ने, जिन्होंने सुधार परीक्षा में कम अंक प्राप्त किए हैं, उन्होंने अपने मूल अंकों के आधार पर प्रवेश लिया है। इसमें किसी तरह की परेशानी नहीं आनी चाहिए।" पीठ ने कहा कि छात्र केवल अपने मूल अंक के परिणामों को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं और यदि सुधार परीक्षा में मिले कम अंकों को मान्य माना जाता है तो उनके प्रवेश प्रभावित होंगे।
CBSE ने कोर्ट में क्या कहा?
अधिवक्ता रूपेश कुमार ने CBSE की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा, "यह केवल ऐसे छात्रों को राहत देने का एक सचेत और तर्कसंगत निर्णय है जो सुधार परीक्षा में असफल रहे हैं, लेकिन मूल्यांकन नीति के अनुसार पास हुए हैं।"
मूल्यांकन नीति के आधार पर तैयार हुआ था पिछले साल का परिणाम
पिछले साल कोरोना की दूसरी लहर की वजह से शैक्षणिक सत्र 2020-21 की बोर्ड परीक्षा को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद छात्रों को अंक देने के लिए CBSE ने एक वैकल्पिक मूल्यांकन नीति बनाई थी और उसी के आधार पर छात्रों को अंक दिए गए थे। मूल्यांकन नीति के तहत छात्रों को वैकल्पिक मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में अपने अंकों में सुधार करने का मौका दिया गया था।