उत्तर प्रदेश सब-इंस्पेक्टर भर्ती: फर्जीवाड़े के आरोप में जेल में बंद आरोपी, फिर भी हुआ चयन
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड (UPPBPB) ने हाल ही में सब इंस्पेक्टर और इसके समकक्ष 9,000 से अधिक पदों के लिए आयोजित भर्ती के नतीजे जारी किए थे। इस भर्ती के नतीजों के बाद एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, इस भर्ती परीक्षा के तहत एक ऐसे उम्मीदवार का चयन कर लिया गया है जो इसी परीक्षा में धोखाधड़ी करने के आरोप में जेल में है।
12 जून को आए नतीजे, 20 मई से जेल में बंद है आरोपी
बता दें कि UPPBPB ने 12 जून को सब इंस्पेक्टर, प्लाटून कमांडर और अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के कुल 9,534 पदों के फाइनल नतीजे घोषित किए थे। इसमें उत्तर प्रदेश बलिया के रहने वाले अर्जुन प्रसाद का नाम भी शामिल था। दिलचस्प ये है कि 20 मई, 2022 को फर्जीवाड़े के आरोप में अर्जुन और बिहार के रहने वाला शिशुपाल को गिरफ्तार किया गया था और कानपुर पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया था।
बिना लिखित और शारीरिक परीक्षा के पास हुआ आरोपी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी अर्जुन प्रसाद ने सॉल्वर गिरोह के जरिए लिखित और शारीरिक परीक्षा पास की थी। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि इस भर्ती परीक्षा की पूरी प्रक्रिया के दौरान आरोपी जेल में बंद था। वह न ही लिखित परीक्षा में शामिल हुआ, न ही शारीरिक परीक्षा और न ही दस्तावेजों के सत्यापन के लिए गया, इसके बावजूद वह हर परीक्षा में पास होता रहा।
परीक्षा से लेकर दस्तावेज सत्यापन तक अभ्यर्थी की जगह सॉल्वर गिरोह का सदस्य रहा मौजूद
जानकारी के मुताबिक, शिशुपाल सॉल्वर गिरोह का सदस्य है और उसी ने 16 नवंबर, 2021 को लखनऊ में ऑनलाइन सेंटर में अर्जुन प्रसाद की जगह इस भर्ती के लिए परीक्षा दी थी। इसके बाद परीक्षा में पास होने पर वह 5 मई, 2022 को प्रयागराज पहुंचा और यहां अर्जुन की जगह दस्तावेजों का सत्यापन भी कराया। फिर 19 मई, 2022 को कानपुर में शारीरिक दक्षता परीक्षा भी दी और वह इसमें भी अर्जुन की जगह पास हो गया।
फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ कैसे हुआ?
जिस दिन कानपुर में शारीरिक दक्षता परीक्षा हुई, उस दिन शिशुपाल पर एक व्यक्ति को शक हुआ और उसने इसकी जानकारी अगले दिन STF को दे दी। इसके बाद STF ने अर्जुन और शिशुपाल को पकड़ने के लिए जाल बिछाया और दोनों आरोपियों को कानपुर से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान पता चला कि सॉल्वर गिरोह के साथ इस फर्जीवाड़े के लिए सात लाख रुपये में डील हुई थी।
फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ होने के बावजूद आरोपी का नाम फाइनल नतीजों में कैसे आ गया?
जब जेल में बंद अर्जुन का नाम इस भर्ती परीक्षा के चयनित उम्मीदवारों की सूची में देखकर लोगों ने सोशल मीडिया पर इस भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े करने शुरू किए तो भर्ती बोर्ड के अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। इसके बाद बोर्ड के चेयरमैन राजकुमार विश्वकर्मा ने बताया कि अभ्यर्थी की गिरफ्तारी की सूचना कानपुर पुलिस की तरफ से भर्ती बोर्ड को नहीं दी गई थी, इसी वजह से उसका नाम अंतिम चयन सूची में आ गया था।