केंद्र सरकार ने क्यों लगाया प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध और क्या होगा इसका असर?
प्याज की बढ़ती की कीमतों के बीच सोमवार को केंद्र सरकार ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। सरकार ने ये फैसला ऐसे पर लिया है जब वह प्याज जैसे कृषि उत्पादों के भंडार और मूवमेंट पर लगी सभी तरह की पाबंदियों को हटाने के लिए संसद में बिल पेश करने वाली है। सरकार ने अपने इस रूख के विपरीत प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध क्यों लगाया है और इसका क्या असर होगा, आइए जानते हैं।
थोक मूल्य में लगातार वृद्धि प्याज के निर्यात पर रोक का पहला कारण
प्याज के निर्यात पर रोक लगाए जाने के दो अहम कारण हैं और पहला कारण इसके थोक मूल्य में लगातार वृद्धि है। महाराष्ट्र के लासलगांव के थोक बाजार में मार्च से लेकर सितंबर के बीच प्याज की कीमतों में लगभग 100 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं नासिक जिले के निफाड तालुका में प्याज की कीमत मार्च में 1,500 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर अब लगभग 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।
खुदरा बाजार में भी बढ़ी कीमतें
थोक मूल्य में वृद्धि का असर खुदरा बाजार में भी देखने को मिला है। जून में जहां एक किलो प्याज 25-30 रुपये में मिल रही थी, वहीं अभी इसकी कीमत बढ़कर 35-40 रुपये प्रति किलो हो गई है।
मंहगाई दर और CFPI में वृद्धि निर्यात पर रोक का दूसरा कारण
प्याज के निर्यात पर रोक का दूसरा अहम कारण सोमवार को जारी किए गए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आंकड़ों में मिलता है। इन आंकड़ों में देश में मंहगाई दर 6.69 प्रतिशत दर्ज की गई थी जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के छह प्रतिशत के लक्ष्य से काफी अधिक है। इसके अलावा उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) भी नौ प्रतिशत से ऊपर बना हुआ है। ये दोनों आंकड़े अपने आप में निर्यात पर रोक लगाने के ठोस कारण हैं।
थोक बाजारों में क्यों बढ़ रही प्याज की कीमतें?
थोक बाजारों में प्याज की बढ़ती कीमतों का कारण अगस्त में देशभर में हुई भारी बारिश है। दरअसल, इस बारिश में कर्नाटक में प्याज की पूरी फसल बर्बाद हो गई जो सितंबर में बाजार में आती। इसके अलावा बारिश के कारण मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भंडार गृहों में रखी प्याज भी खराब हो गई। अभी केवल महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां मार्च-अप्रैल की प्याज फसल संग्रहित है।
विदेशों में बढ़ी भारतीय प्याज की मांग
बारिश के कारण फसल की बर्बादी के बीच विदेशों में भारतीय प्याज की मांग भी बढ़ी है। आमतौर पर भारत हर साल खाड़ी देशों, श्रीलंका और बांग्लादेश को प्याज निर्यात करता है। लेकिन इस साल श्रीलंका से प्याज की मांग बढ़ी है क्योंकि वहां भी बारिश के कारण प्याज की फसल बर्बाद हो गई है। आपूर्ति में कमी और मांग में वृद्धि के इसी चक्र के कारण भारत में प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं।
क्या निर्यात में रोक से कम हो जाएगी प्याज की कीमतें?
विशेषज्ञों का मानना है कि निर्यात पर रोक के बाद जब मंगलवार को बाजार खुलेंगे तो प्याज की कीमत में बड़ी गिरावट दर्ज की जा सकती है। हालांकि उनका अनुमान है कि एक हफ्ते बाद ही कीमतें फिर से बढ़ जाएंगी क्योंकि आपूर्ति कम ही रहेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, नवंबर में नई फसल आने से पहले त्योहारों का सीजन शुरू होने के कारण मांग में और वृद्धि होगी और इस कारण कीमतें ऊंची ही बनी रहेंगी।