सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार, कहा- आपने पूरा देश बंद किया था, अब राहत दीजिए
लोन मोरेटोरियम के दौरान EMI पर ब्याज वसूले जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह मामले में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पीछे नहीं छुप सकती और उसके पास EMI पर वसूली जा रही ब्याज को माफ करने की पूरी शक्ति है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगाया और अब उसे ही राहत देनी होगी।
क्या है EMI पर ब्याज का मामला?
कोरोना वायरस महामारी के बीच आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे लोगों को राहत देते हुए RBI ने 31 अगस्त तक लोन की EMI वसूले जाने पर रोक (लोन मोरेटोरियम) लगा रखी है। उसके निर्देश पर बैंकों ने अपने ग्राहकों को EMI न भरने की सहूलियत तो दी है, लेकिन उन पर EMI भरने में इस देरी के लिए ब्याज लगाई जा रही है। इसका मतलब अगर ग्राहक EMI नहीं भरते तो उन्हें इतने समय की अतिरिक्त ब्याज देनी होगी।
याचिकाकर्ता की दलील- बार-बार सुनवाई टालने की अपील कर रही है केंद्र सरकार
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर RBI की इसी नीति को चुनौती दी गई है और EMI पर वसूली जा रही ब्याज को माफ करने का निर्देश देने को कहा गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ब्याज से संविधान के तहत दिए गए जीवन के अधिकार में बाधा पहुंचती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से बार-बार सुनवाई को टालने की मांग की जा रही है और उसकी तरफ से कोई हलफनामा दायर नहीं किया गया है।
कोर्ट ने कहा- सरकार के पास EMI पर ब्याज माफ करने की पर्याप्त शक्तियां
याचिकाकर्ता की ये दलीलें सुनने के बाद आज न्यायाधीश अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक मामले में अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है, जबकि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उसके पास EMI पर ब्याज माफ करने की पर्याप्त शक्तियां हैं। सरकार के इस रुख पर सख्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार RBI के पीछे छुप रही है।
सरकार के लॉकडाउन के कारण पैदा हुई ये समस्या- सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान जब केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि EMI पर ब्याज माफ करने से बैकों और व्यवसाय को नुकसान होगा तो कोर्ट ने कहा, "आप लोगों के दुखों को नजरअंदाज कर केवल व्यवसायों के बारे में नहीं सोच सकते... ये समस्या आपके लॉकडाउन के कारण पैदा हुई है। यह व्यवसाय के बारे में सोचने का समय भी नहीं है। लोगों की दुर्दशा पर भी विचार करना होगा।"
सरकार को जबाव दाखिल करने के लिए 1 सितंबर तक का समय
कोर्ट ने कहा कि ब्याय वसूलने या न वसूलने का फैसला केवल RBI पर नहीं छोड़ा जा सकता और केंद्र सरकार को मामले में अपना रुख स्पष्ट करना होगा। कोर्ट ने दो चीजों- आपदा प्रबंधन अधिनिमय और ब्याज पर ब्याज माफ करने- पर केंद्र सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। सरकार को जबाव दाखिल करने के लिए 1 सितंबर तक का समय दिया गया है और इसी दिन मामले की अगली सुनवाई होगी।