वोडाफोन ने भारत सरकार के खिलाफ जीता 20,000 करोड़ रुपये के टैक्स विवाद वाला केस
क्या है खबर?
ब्रिटेन की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन को भारत सरकार के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है।
कंपनी ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में 20,000 करोड़ रुपये के टैक्स विवाद मामले भारत सरकार को हराकर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) केस जीत लिया है।
कंपनी की ओर से शुक्रवार को बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने भारतीय टैक्स अथॉरिटीज की ओर से की गई 20,000 करोड़ रुपये के रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स की मांग को गलत करार दिया है।
प्रकरण
भारत ने वोडफोन को दिया गया था 20,000 करोड़ का कर चुकाने का नोटिस
बता दें साल 2012 में भारत सरकार ने एक कानून को मंजूरी दी थी, जिसके तहत वह 2007 में वोडाफोन की ओर से हच एस्सार के अधिग्रहण की डील पर टैक्स वसूल सकती थी।
इसको लेकर सरकार ने कंपनी को 12,000 करोड़ रुपये का बकाया रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स (पूर्वप्रभावी कर) और 7,900 करोड़ जुर्माना चुकाने का नोटिस दिया था।
मामले में कंपनी ने साल 2016 में इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर यानी अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता अधिकरण के पास याचिका दाखिल की थी।
फैसला
फैसले में कही गई यह बात
वोडाफोन की अपील के बाद जज सर फ्रैंकलिन की अध्यक्षता में 2016 में एक ट्रिब्यूनल का गठन किया था।
मामले में लंबी सुनवाई के बाद शुक्रवार को कंपनी को बड़ी राहत मिली है। सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने भारत सरकार द्वारा कंपनी से की जा रही टैक्स भरने की मांग को गलत करार दिया।
इसके अलावा यह भी कहा कि भारत सरकार द्वारा कंपनी पर डाली गई कर देनदारी भारत और नीदरलैंड के बीच हुए निवेश समझौते का उल्लंघन है।
राहत
वोडाफोन को सुप्रीम कोर्ट से भी मिली थी राहत
बता दें इस मामले में वोडाफोन को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत मिली थी।
शीर्ष अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया था, जिसमें उच्च न्यायालय ने वोडाफोन को 11,218 करोड़ रुपये कर चुकाने का निर्देश दिया था।
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया ने कहा था कि विदेश में पूरे हुए सौदे भारतीय कर विभाग के क्षेत्राधिकार में नहीं आते हैं। आर्थिक गतिविधियों में स्थायित्व के लिए निवेशकों को अपनी स्थिति से वाकिफ रहना चाहिए।
AGR
AGR की मार झेल रही है कंपनी
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब वोडाफोन आइडिया समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया की मार झेल रही है।
दरअसल, वोडाफोन आइडिया पर दूरसंचार मंत्रालय का 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा AGR बकाया है। कंपनी ने इस बकाया की मामूली रकम ही चुकाई है।
हालांकि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को शर्तों के साथ AGR बकाया चुकाने के लिए 10 साल की छूट दी है। ऐसे में यह जीत कंपनी को बड़ी राहत देगी।