
तेज हुई अर्थव्यवस्था की रफ्तार, पहली तिमाही में 13.5 प्रतिशत रही GDP विकास दर
क्या है खबर?
देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार में वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में खासी बढ़ोतरी देखने को मिली है।
इस तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विकास दर में 13.5 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों में इसका खुलासा हुआ है।
यह बढ़ोतरी जनवरी से मार्च तक की तिमाही की दर 4.1 प्रतिशत से 9.4 प्रतिशत अधिक रही है।
अनुमान
अनुमान से कम रही है दर
भले ही GDP विकास दर पिछली तिमाही की तुलना में काफी तेजी से बढ़ी है, लेकिन विश्लेषकों के अनुमानों के काफी कम रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस महीने की शुरुआत में अपनी मौद्रिक नीति संबंधी बैठक में इसके 16.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई थी।
इसी तरह भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक रिपोर्ट में इसके 15.7 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी, लेकिन ये सभी अनुमानों से काफी कम रही है।
जानकारी
क्या होती है GDP?
देश में एक निश्चित समय के अंदर किये गए उत्पादन के कुल मूल्य को GDP कहा जाता है। आसान भाषा में समझें तो सुई से लेकर हवाई जहाज तक, देश में बने सभी सामानों और सेवाओं के मूल्य को जोड़ दिया जाए तो GDP मिलेगी।
तुलना
पिछले साल इस अवधि में 20.1 प्रतिशत रही थी विकास दर
बता दें कि पिछले साल इसी अवधि में विकास दर में 20.1 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी, लेकिन उस तेजी की वजह GDP का लो बेस होना था।
दरअसल, कोरोना महामारी के कारण अप्रैल-जून 2020 तिमाही में सख्त लॉकडाउन था। इस वजह से अर्थव्यवस्था में 23 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई थी।
उसके बाद GDP आंकड़ों की लो बेस के आधार पर गणना की गई तो विकास दर 20 फीसदी से ज्यादा पर पहुंच गई थी।
सुस्ती
कोर सेक्टर में रहा सुस्ती का हाल
पहली तिमाही के लिए कोर सेक्टर के आंकड़े भी जारी किए गए हैं। एक साल पहले की तुलना में जुलाई 2022 में इस सेक्टर में सुस्ती देखने को मिला और इसकी विकास दर 4.5 प्रतिशत ही रही।
जुलाई 2021 में यह 9.9 प्रतिशत थी। विकास की यह दर छह महीने में सबसे कम है। कोर सेक्टर की विकास दर जून में 13.2 प्रतिशत, मई में 19.3 प्रतिशत, अप्रैल में 9.5 प्रतिशत और मार्च में 4.8 प्रतिशत ही रही थी।
हालत
किस सेक्टर की क्या रही स्थिति?
आंकड़ों के अनुसार, कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के पहले चार माह अप्रैल-जुलाई में 11.5 प्रतिशत रही।
एक साल पहले 2021-22 की इसी अवधि में यह 21.4 प्रतिशत थी। वहीं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में 3.8 प्रतिशत वृद्धि रही है, जो पिछले साल की तुलना में 0.3 प्रतिशत कम है।
इसके कारण GDP विकास दर अनुमान के अनुरूप नहीं रही।
कमी
राजकोषीय घाटे में आई है कमी
केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों यानी जुलाई के अंत तक वार्षिक लक्ष्य के 20.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है। एक साल पहले की इसी अवधि में यह 21.3 प्रतिशत था।
बता दें कि व्यय और राजस्व के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है।राजकोषीय घाटा सरकार द्वारा बाजार से लिए गए कर्ज को भी दर्शाता है।
पिछले वित्त वर्ष में वास्तविक रूप में राजकोषीय घाटा 15,86,537 करोड़ रुपये रहा था।
जिम्मेदार
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
GDP के उतार-चढ़ाव के लिए चार महत्वपूर्ण कारक होते हैं। पहला है कि आप जितना खर्च करते हैं, वो देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देता है।
दूसरा है निजी क्षेत्र के व्यापार की ग्रोथ। यह GDP में 32 प्रतिशत तक का योगदान देती है। तीसरा होता है सरकारी खर्च। इसका GDP में 11 प्रतिशत योगदान है।
इसी तरह चौथा कारक होता है नोट डिमांड। इसमें कुल निर्यात को आयात से घटाया जाता है। इसका GPD पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।