प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों की थी भारत में ही शादी करने की अपील? आंकड़ों से जानें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूं ही अमीरों से देश में शादी करने की अपील नहीं की है, इसके पीछे का राज शादी-विवाह उद्योग है, जिससे करोबरियों को करोड़ों की कमाई होती है और अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचता है। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार, विदेश धरती पर किये गए खर्च से देश को कोई आर्थिक लाभ नहीं होता। आइए जानते हैं यह उद्योग कितना बड़ा है और इससे अर्थव्यवस्था को कैसे लाभ पहुंचता है।
कितना बड़ा है शादी-विवाह उद्योग?
द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शादियों पर सालाना लगभग 11,000 अरब खर्च करते हैं। इससे यह उद्योग ऊर्जा, बैंकिंग और बीमा के बाद देश का चौथा सबसे बड़ा उद्योग है। भारतीयों ने नवंबर और दिसंबर, 2022 के बीच शादियों पर अनुमानित 3.75 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, जो 2021 की समान अवधि से अधिक थे। इस साल भी शादी के खर्च में वृद्धि का अनुमान है।
इस साल कितने की कमाई का अनुमान?
इस साल 23 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच 38 लाख विवाह संपन्न होने का अनुमान लगाया गया था। इससे CAIT ने लगभग 4.74 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान लगाया था। CAIT महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया था कि पिछले साल लगभग 32 लाख शादियां हुईं और कुल खर्च 3.75 लाख करोड़ रुपये था। इस साल इस खर्च में 1 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि की उम्मीद है, जो अर्थव्यवस्था और खुदरा व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है।
शादी-विवाह उद्योग कैसे बन रहा इतना बड़ा?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विवाह उद्योग को इतना बड़ा बनाने में कई कारक शामिल हैं। इसमें औसतन खानपान और वेन्यू पर 30 प्रतिशत, उपहारों पर 19, इवेंट प्लानिंग पर 12, लॉजिस्टिक्स पर 9, हनीमून पर 8, फोटोग्राफी पर 3, मेकअप पर 3 और निमंत्रण पर 2 प्रतिशत का खर्च शामिल है। लोग शादी को यादगार बनाने के लिए अधिक से अधिक खर्च कर रहे हैं और यही कारण है कि वेडिंग प्लानर्स की मांग बढ़ी है।
अर्थव्यवस्था के लिए कैसे फायदेमंद हैं शादियां?
CAIT द्वारा शादी के एक सीजन में 4.74 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान दर्जनों देशों की समग्र अर्थव्यवस्था (GDP) से भी अधिक है। सब्या ब्रांड ने अकेले 2021 में 271 करोड़ रुपये का कारोबार किया था। भारत में आभूषण का गढ़ कहा जाने वाला मुंबई के जवेरी बाजार की कुल बिक्री में शादियों का 70 प्रतिशत से अधिक का योगदान रहता है। शादी ही एक बड़ा कारण है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोना आयातक है।
शादियां बढ़ा रहीं रोजगार
शादियां न केवल अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाती हैं, बल्कि रोजगार को भी बढ़ावा दे रही हैं। शादियों के मौसम में जमकर खरीदारी से मांग और आपूर्ति दोनों बढ़ जाती है। इससे देशभर में संगठित और असंगठित क्षेत्र में बड़े स्तर पर रोजगार भी पैदा होता है। इससे निम्न और मध्यम के वर्ग के लोगों को लाभ होता है। शादी को निजी बनाने और यादगार बनाने की चाहत ही भारतीय खूब खर्चा कर रहे, जिससे वेडिंग प्लानर्स की मांग बढ़ी है।
डेस्टिनेशन वेडिंग का बन रहा नया ट्रेंड
अमीर युवा पीढ़ी डेस्टिनेशन वेडिंग पर ज्यादा जोर रही है। लगभग 80 प्रतिशत भारतीय परिवार कम लोगों के साथ डेस्टिनेशन वेडिंग करना पसंद करते हैं क्योंकि यह शादियां बजट के अनुकूल भी होती हैं। इंडिया टुडे से बातचीत में देवम इवेंट्स के सक्षम ने कहा, "लोग सोचते हैं कि अगर उन्हें शादी में करीब 1 करोड़ रुपये खर्च करने हैं तो उन्हें थाईलैंड या किसी अन्य जगह क्यों नहीं जाना चाहिए।" प्रधानमंत्री मोदी ने इसी ट्रेंड पर बयान दिया था।