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तकनीकी रूप से मंदी में पहुंची भारतीय अर्थव्यवस्था, GDP में 7.5 प्रतिशत की गिरावट

तकनीकी रूप से मंदी में पहुंची भारतीय अर्थव्यवस्था, GDP में 7.5 प्रतिशत की गिरावट

संपादन Manoj Panchal
Nov 27, 2020
07:28 pm

क्या है खबर?

कोरोना महामारी के कारण वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में धराशाही हुई देश की अर्थव्यवस्था में अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। यही कारण है कि दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.5 प्रतिशत की ही गिरावट आई है। जबकि पहली तिमाही में GDP में 23.9 प्रतिशत की गिरावट रही थी। ऐसे में अर्थव्यवस्था में तो सुधार दिख रहा है, लेकिन लगातार दूसरी गिरावट से देश 'तकनीकी मंदी' में पहुंच गया है।

जानकारी

कैसे निकाली जाती है GDP?

देश में एक निश्चित समय के अंदर किये गए उत्पादन के कुल मूल्य को GDP कहा जाता है। आसान भाषा में समझें तो सुई से लेकर हवाई जहाज तक, देश में बने सभी सामानों और सेवाओं के मूल्य को जोड़ दिया जाए तो GDP मिलेगी।

अनुमान

विशेषज्ञों के अनुमानों से कम रही गिरावट

तमाम विशेषज्ञ पहले से ही जुलाई-सितंबर की तिमाही में भारत की विकास दर नेगेटिव में जाने की आशंका जता रहे थे क्योंकि इन तीनों महीनों में देशभर में आर्थिक गतिविधियां पूरी रफ्तार नहीं पकड़ पाई थी। इसको देखते हुए विशेषज्ञों ने 8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट का अनुमान लगाया था, लेकिन जारी आंकड़ों ने विशेषज्ञों के अनुमान को गलत साबित कर दिया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में स्थिति बेहतर होगी।

गिरावट

RBI ने 8.6 प्रतिशत की गिरावट का लगाया था अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक ने GDP में 8.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था। इसी तरह इंडिया रेटिंग्स ने 11.9 प्रतिशत, स्टेट बैंक ने 10.7 प्रतिशत, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 8 प्रतिशत, नोमुरा ने 10.4 प्रतिशत, बार्कलेज ने 8.5 प्रतिशत की गिरावट की आशंका जाहिर की थी। इसी तरह बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने 7.8 प्रतिशत, मॉर्गन स्टेनली ने छह प्रतिशत, ICRA ने 9.5 प्रतिशत और CARE ने GDP ग्रोथ में 9.9 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया था।

मंदी

इसलिए कही जा सकती है 'तकनीकी मंदी'

NDTV के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि जब किसी देश के GDP लगातार दो तिमाही में गिरावट दर्ज करे तो उसे मंदी कहा जाता है। ऐसे में भारत में लगातार दो बार गिरावट दर्ज की गई है। इसको देखते हुए तकनीकी मंदी कहा जा सकता है। हालांकि, पहली तिमाही के मुकाबले अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है, लेकिन कोरोना महामारी की मौजूदगी आगे भी अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल सकती है। ऐसे में ठोस कदम उठाने होंगे।

उछाल

कृषि और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आया उछाल

दूसरी तिमाही में कृषि, मत्स्यपालन और वानिकी के क्षेत्र की रफ्तार तेज हुई है। आंकड़ों के अनुसार इस तिमाही में कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक 3.4 प्रतिशत और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 0.6 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई है। इसके उलट कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 8.6 प्रतिशत, ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट सेक्टर में 15.6 प्रतिशत, फाइनेंस, रियल एस्टेट सेक्टर में 8.1 प्रतिशत और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, डिफेंस सेक्टर में 12.1 प्रतिशत की गिरावट आई है।

अप्रैल-जून

पिछली तिमाही में देखी गई थी ऐतिहासिक गिरावट

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत GDP में 23.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। जब से देश में GDP के आंकड़े इकट्ठा होना शुरू हुए हैं, ये अब तक की सबसे कम विकास दर थी और 1991-92 में आर्थिक उदारीकरण के बाद देश की विकास दर पहली बार नेगेटिव में गई थी। बता दें कि अप्रैल-जून के बीच कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लगा हुआ था और देशभर में आर्थिक गतिविधियां बंद पड़ी थी।

जानकारी

देश में कोरोना के मामलों में भी आई कमी

देश में कोरोना के मामलों में भी रोजाना गिरावट आ रही है। सितंबर में देश में प्रतिदिन करीब 97,000 मामले आ रहे थे, जो अब गिरकर 40,000 से 50,000 के बीच रह गए हैं। इससे ही आने वाले समय में अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।