भारत में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन को मिल सकती है आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी
भारत में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा मिलकर तैयार की जा रही कोरोना वायरस की संभावित वैक्सीन को आपात मंजूरी मिल सकती है। नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि एस्ट्राजेनेका को यूनाइटेड किंगडम (UK) में वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिलती है तो भारत में भी ऐसा हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो भारत में नए साल के शुरुआती महीनों में वैक्सीन उपलब्ध होगी।
फिलहाल तीसरे चरण में है ऑक्सफोर्ड की संभावित वैक्सीन
पॉल ने कहा, "हमें उम्मीद है कि UK में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी के लिए आवेदन किया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो भारतीय नियामकों के पास भी मौका होगा।" अगर भारत में इस संभावित वैक्सीन को तीसरे चरण के ट्रायल पूरे होने से पहले मंजूरी मिलती है तो कुछ ही महीनों में स्वास्थकर्मियों समेत प्राथमिकता समूहों में शामिल लोगों को इसकी खुराक मिल जाएगी। फिलहाल भारत में इसके तीसरे चरण का ट्रायल जारी है।
जनवरी-फरवरी तक समाप्त हो जाएंगे ट्रायल
नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 के प्रमुख डॉक्टर पॉल ने कहा कि अगर सब कुछ उम्मीदों के मुताबिक चलता रहा तो अगले साल जनवरी-फरवरी तक भारत में इस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल पूरे हो जाएंगे। बता दें कि पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) इस वैक्सीन के ट्रायल कर रही है और उसी के पास इसके वितरण के अधिकार हैं। भारत में इस वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से जाना जा रहा है।
दिसंबर तक भारत को मिल सकती है 10 करोड़ खुराक- पूनावाला
बीते सप्ताह SII के CEO आदर पूनावाला ने भी दिसंबर तक कोविशील्ड को आपातकालीन मंजूरी मिलने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि अगर अंतिम चरण में वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी पाई जाती है तो दिसंबर में इसे आपातकालीन उपयोग की अनुमति मिल जाएगी। NDTV से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि कंपनी दिसंबर तक वैक्सीन की 10 करोड़ खुराकों का उत्पादन कर चुकी होगी। ये सभी खुराकें देशभर में सप्लाई की जाएगी।
आपातकालीन मंजूरी का मतलब क्या होता है?
जब कोई नियामकीय संस्था ट्रायल के बीच शुरुआती नतीजों के आधार पर किसी वैक्सीन को इस्तेमाल के लिए मंजूरी देती है तो उसे आपातकालीन मंजूरी कहा जाता है। किसी भी देश में वैक्सीन के इस्तेमाल से पहले वहां की नियामकीय संस्था से मंजूरी लेनी पड़ती है। आमतौर पर किसी भी वैक्सीन को मंजूरी मिलने में कई साल लग जाते हैं, लेकिन महामारी के प्रकोप को देखते हुए इस बार यह प्रक्रिया तेजी से पूरी की जा रही है।
नुकसान से ज्यादा फायदे होने तक जारी रहती है अनुमति
स्वास्थ्य संकट के समय संस्थाएं अपने मानकों में छूट देते हुए वैक्सीन, दवा, डिवाइस या दूसरे मेडिकल उत्पादों के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दे देती है। ये चीजें तब तक बाजार में जारी रहती हैं, जब तक इनके नुकसान फायदों से ज्यादा नहीं हो जाते। कोरोना वायरस टेस्ट और इसके कई इलाजों को इसी तरह अनुमति मिली हुई है। हालांकि, इस दौरान लोगों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाता है।