संकट से जूझ रहे लक्ष्मी विलास बैंक का DBS इंडिया में होगा विलय, प्रस्ताव को मंजूरी
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को आर्थिक संकट से जूझ रहे लक्ष्मी विलास बैंक (LVB) के DBS इंडिया बैंक में विलय को मंजूरी दे दी। DBS इंडिया सिंगापुर के DBS बैंक की एक इकाई है और ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी निजी बैंक को बचाने के लिए सरकार ने उसके किसी विदेशी बैंक की भारतीय इकाई में विलय की मंजूरी दी है। विलय के साथ LVB से पैसे निकालने पर लगी पाबंदियों को भी हटा दिया गया है।
इन कारणों से आर्थिक संकट का सामना कर रहा था LVB
LVB ग्राहकों के लोन का भुगतान न करने और प्रशासन से संबंधित समस्याओं के कारण पिछले काफी समय से आर्थिक संकट का सामना कर रहा था और न चुकाए गए लोन की राशि उसकी संपत्ति के 23.27 प्रतिशत के बराबर हो गई थी। इस संकट से बाहर निकलने के लिए बैंक ने पिछले साल इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के साथ विलय का प्रस्ताव भी रखा था, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक ने उसके इस विलय का मंजूरी नहीं दी थी।
RBI ने 17 नवंबर को रखा था DBS इंडिया में विलय का प्रस्ताव
LVB को डूबने से बचाने के लिए RBI ने 17 नवंबर को ही DBS इंडिया बैंक में उसके विलय का प्रस्ताव रखा था। इसी दिन केंद्र सरकार ने बैंक पर एक महीने का मोरेटोरियम लगा दिया था और ग्राहकों के एक महीने में 25,000 रुपये से अधिक राशि निकालने पर पाबंदी लगा दी थी। अब केंद्र सरकार ने RBI के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और दोनों बैंक के विलय का रास्ता साफ हो गया है।
LVB में 2,500 करोड़ रुपये निवेश करेगा DBS इंडिया
विलय की योजना के अनुसार, DBS इंडिया LVB में 2,500 करोड़ रुपये निवेश करेगा। इसके अलावा संपूर्ण शेयर पूंजी और रिजर्व और सरप्लस को खत्म कर दिया जाएगा। इन कदमों से LVB की स्थिति सुधरने की उम्मीद है।
प्रकाश जावड़ेकर बोले- स्वच्छ बैंकिंग व्यवस्था के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है फैसला
बैंकों के विलय को मंजूरी देने के केंद्रीय कैबिनेट के फैसले के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस मामले का समाधान जमाकर्ताओं, जनता और वित्तीय व्यवस्था के हितों की रक्षा के साथ-साथ एक स्वच्छ बैंकिंग प्रणाली के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से LVB के 20 लाख जमाकर्ताओं और लगभग 4,000 कर्मचारियों को राहत मिलेगी जिनकी नौकरी जाने की आशंका बनी हुई थी।
पहले भी बैंकों का जबरदस्ती विलय कर चुका है RBI
बता दें कि RBI पहले भी जरूरत पड़ने पर बैंकों का जबरदस्ती विलय कर चुका है। इससे पहले उसने सितंबर, 2006 में IDBI बैंक और यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का विलय कराया था, वहीं 2004 में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में विलय किया गया था। हालांकि ऐसा पहली बार है जब RBI ने संकट से जूझ रहे किसी निजी बैंक को बचाने के लिए किसी विदेशी बैंक की भारतीय इकाई में उसके विलय की मंजूरी दी है।