मेटा ने 3,000 करोड़ में खरीदी थी गिफी, अब 400 करोड़ में शटरस्टॉक को क्यों बेची?
स्टॉक फोटो फर्म शटरस्टॉक ने मंगलवार को कहा कि वह मेटा से एनिमेटेड-इमेज प्लेटफॉर्म गिफी को लगभग 400 करोड़ रुपये नकद में खरीदेगी। इस सौदे से जुड़ा लेन-देन कैश-ऑन-हैंड माध्यम से किया जाएगा। शटरस्टॉक ने कहा कि इसमें एक इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी शेयरिंग डील भी शामिल है। इसके तहत मेटा को गिफी के कंटेंट का एक्सेस लगातार मिलता रहेगा। यह डील अगले महीने तक पूरी हो सकती है। आइये पूरी खबर जानते हैं।
मेटा ने 3 साल पहले 3,000 करोड़ रुपये में खरीदी थी गिफी
शटरस्टॉक की डील के साथ ही मेटा को भी गिफी का खरीदार मिल गया है। मेटा ने 3 साल पहले गिफी को लगभग 3,000 करोड़ रुपये में खरीदा था। अब शटरस्टॉक के साथ हुई डील में मेटा को इसकी एक्सेस भी मिलती रहेगी और बदले में पैसे भी मिल रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि मेटा को गिफी के लिए उसकी इच्छा के मुताबिक खरीदार मिल गया है।
ब्रिटेन की एंटीट्रस्ट अथॉरिटी ने दिया था गिफी को बेचने का आदेश
ब्रिटेन की एंटीट्रस्ट अथॉरिटी द्वारा मेटा को गिफी बेचने के लिए अंतिम आदेश जारी करने के लगभग 7 महीने बाद यह खबर आई है। कॉम्पिटिशन एंड मार्केट्स अथॉरिटी (CMA) ने मूल रूप से नवंबर, 2021 में मेटा को गिफी को बेचने का आदेश दिया था, लेकिन अपील की प्रक्रिया से इसकी बिक्री 1 साल के लिए बढ़ गई। पिछले साल अक्टूबर में मेटा ने पुष्टि की कि वह अनिच्छा से गिफी को बेचने के लिए सहमत हो गई है।
CMA को जांच में मिलीं ये कमियां
CMA ने अपने मूल्यांकन में पाया था कि मेटा की गिफी खरीद से ब्रिटेन के डिस्प्ले एडवरटाइजिंग में नवाचार कम हो जाएगा। इसके साथ ही यह भी निष्कर्ष निकाला था कि मेटा अपनी पहले से ही मजबूत बाजार को और बढा़ने में सक्षम हो जाएगी। CMA को यह भी आशंका थी कि मेटा अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की गिफी तक पहुंच को रोक सकती है या सीमित कर सकती है।
गिफी की बिक्री ही थी इससे निपटने का एक तरीका
मेटा और गिफी डील की जांच करने वाले समूह के अध्यक्ष स्टुअर्ट मैकिंटोश ने कहा था कि यह सौदा दो बाजारों में प्रतिस्पर्धा को काफी कम कर देगा। इससे निपटने का एकमात्र तरीका गिफी की बिक्री को माना गया। माना गया कि इसकी बिक्री से डिजिटल विज्ञापन में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और यह भी सुनिश्चित होगा कि ब्रिटेन के सोशल मीडिया यूजर्स गिफी की पहुंच से लाभान्वित होते रहें।
माइक्रोसॉफ्ट के एक्विविजन अधिग्रहण पर चर्चा में आ गई मेटा-गिफी डील
मेटा के सहमत होने के बाद इसे बेचने की प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर तब तक शुरू नहीं हुई, जब तक कि CMA ने इस साल जनवरी में अपना अंतिम आदेश जारी नहीं किया। इससे मेटा को गिफी को बेचने के लिए समय की एक निर्धारित अवधि मिल गई। अप्रैल के अंत में CMA द्वारा माइक्रोसॉफ्ट के मेगाबॉक्स एक्टिविजन अधिग्रहण पर रोक लगाने के दौरान मेटा और गिफी अधिग्रहण फिर से सुर्खियों में आ गया था।
CMA ने लगाई थी माइक्रोसॉफ्ट के डील पर रोक
दरअसल, बड़ी कंपनियां जब छोटी कंपनियों को खरीदती हैं तो इस बात पर चिंता जाहिर की जाती है कि ये उस चीज को कंट्रोल कर सकती हैं। दूसरी बात ये अपने प्रतिद्वंदियों के लिए प्रतिस्पर्धा खत्म करने लगती हैं। यही वजह है कि कई बार अथॉरिटी इनकी डील को कैंसिल कर देती हैं। ऐसे ही मामले में CMA ने कॉल ऑफ ड्यूटी गेम बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी एक्टिविजन बिल्जार्ड को खरीदने के माइक्रोसॉफ्ट की डील को रोक दिया था।
क्या है गिफी?
गिफी एक एनिमेशन बनाने वाला प्लेटफॉर्म है। यह बर्थडे, एंज्वाय, हैप्पी, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट आदि अलग-अलग कैटेगरी में रिएक्शन देने के लिए एनिमिशन और स्टिकर बनाती है। फेसबुक के कॉमेंट में रिएक्शन देने के लिए इसका काफी इस्तेमाल होता है।