सरकार की टेस्ला को प्रोत्साहन देने की योजना, स्थानीय कंपनियों को सता रहा यह डर
भारत सरकार टेस्ला और दूसरे इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को आयात शुल्क में 15 फीसदी की रियायत देने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही वैश्विक कंपनियों के लिए स्थानीयकरण मानदंडों से अधिक कीमत वाली भारी बैटरी, सेमीकंडक्टर और मैग्नेटिक पार्ट्स को बाहर कर सकती है। ये तीनों कंपोनेंट एक कार की लागत का करीब 50 फीसदी होता है। इससे देश में इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में कदम रखने वाली कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी।
स्थानीय कंपनियां घरेलू मूल्य संवर्धन मापदड़ों में छूट के खिलाफ
TOI के मुताबिक, जहां सरकार एक तरफ यह कदम उठाने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय वाहन निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी और हुंडई, टोयोटा और किआ जैसी विदेश कपनियों को यह विचार रास नहीं आ रहा। स्थानीय कंपनियां इलेक्ट्रिक कारों पर आयात शुल्क कम करने के प्रस्ताव का पहले से ही विरोध कर रही हैं। अब घरेलू उपकरण खरीदने की शर्त में विदेशी निर्माताओं को छूट देने की मंशा के भी खिलाफ हैं।
कंपनियों को नुकसान होने का डर
उद्योग निकाय सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) सहित अन्य कंपनियां भी सरकार तक अपना विरोध पहुंचा रहे हैं। सूत्र ने कहा, "स्पष्ट रूप से अब यह ऐसी स्थिति है जहां स्थानीय निर्माता टेस्ला जैसी कंपनियों के खिलाफ खड़े हैं, उन्हें डर है कि आसान, राहत के साथ उनकी एंट्री उनके इलेक्ट्रिक की संभावनाओं को खत्म कर सकती है।" हालांकि, सरकारी अधिकारियों ने कहा कि प्रस्तावित कोई भी प्रोत्साहन घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए समान होगा।