किआ कैरेंस की 30,000 यूनिट्स के लिए रिकॉल जारी, इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर में आई खराबी
क्या है खबर?
किआ मोटर्स ने पिछले साल जनवरी में अपनी किआ कैरेंस MPV को भारतीय बाजार में उतारा था। अब कंपनी इसकी 30,297 यूनिट्स को डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर में आई खराबी के कारण वापस बुला रही है।
किआ इंडिया अपने डीलरशिप के माध्यम से प्रभावित गाड़ियों के मालिकों से संपर्क करेगी। बाद में कंपनी इन गाड़ियों की जांच करेगी और जरूरत पड़ने पर मुफ्त में सॉफ्टवेयर को अपडेट भी करेगी।
आइये इस बारे में जानते हैं।
वजह
इस वजह से वापस बुलाई जा रही गाड़ी?
जानकारी के अनुसार, सितंबर, 2022 से लेकर फरवरी, 2023 के बीच बनी किआ कैरेंस की लगभग 30,297 यूनिट्स के डिजिटल इंस्टूमेंट क्लस्टर में खराबी की आशंका है, जिस कारण यह सही तरीके से काम नहीं कर रहा।
इस वजह से किआ इस दौरान बनी अपनी सभी कैरेंस के लिए रिकॉल जारी किया है। कंपनी सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिये इस समस्या को ठीक करेगी।
बता दें कि यह दूसरी बार है जब किआ इस गाड़ी को वापस बुला रही है।
रिकॉल
पिछले साल भी वापस बुलाई गई थी कैरेंस
पिछले साल अक्टूबर में कंपनी ने एयरबैग कंट्रोल यूनिट (ACU) में आई खराबी के कारण किआ कैरेंस की 44,174 यूनिट्स को वापस बुलाया था। बता दें कि ACU यह निर्धारित करता है कि दुर्घटना के दौरान एयरबैग को खोलना है या नहीं।
ACU का कवर इसकी मेमोरी चिप के संपर्क में आ सकता था और इससे इलेक्ट्रिक सर्किट के खराब होने की संभावना थी। इस वजह से दुर्घटना के दौरान एयरबैग्स के खुलने में समस्या आ सकती थी।
जानकारी
क्या है इस गाड़ी की कीमत?
भारत में किआ कैरेंस के बेस प्रीमियम (पेट्रोल) मॉडल की कीमत 10.45 लाख रुपये से शुरू होती है और इसके रेंज-टॉपिंग लग्जरी प्लस ट्रिम के लिए 18.9 लाख (सभी कीमतें, एक्स-शोरूम) तक जाती है।
नियम
2021 में लागू हुई थी रिकॉल पॉलिसी
साल 2021 में परिवहन मंत्रालय ने मोटर वाहन एक्ट (1988) में संशोधन कर वाहन कंपनियों के लिए रिकॉल पॉलिसी को अनिवार्य बना दिया था, जिसे 1 अप्रैल, 2021 से लागू कर दिया गया।
इसके अनुसार वाहन में गड़बड़ी पाए जाने पर निर्माताओं को अनिवार्य रूप से वाहन रिकॉल जारी करना होगा। अगर कोई कंपनी रिकॉल करने से मना करती है तो उस पर 10 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लग सकता है।
इससे पहले
पहले क्या थे नियम?
रिकॉल पॉलिसी से पहले भारत में जितनी भी ऑटोमोबाइल कंपनियां हैं वो खुद ही इस बात का फैसला करती थी कि किसी वाहन में खराबी है या नहीं और गड़बड़ी पाए जाने पर गाड़ियों को रिकॉल करती थी और उन्हें ठीक कर ग्राहक को वापस करती थी।
ग्राहकों द्वारा अक्सर शिकायत रहती थी कि रिकॉल के बाद भी उनकी गाड़ियां ठीक नहीं हुईं। ऐसे में ग्राहकों को आए दिन खराब वाहन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता था।